दिव्य विचार: नई पीढ़ी में भटकाव खतरनाक- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज
मुनिश्री प्रमाण सागर जी कहते हैं कि आज जो समाज की तस्वीर उभर रही है वह बड़ी वीभत्स और घिनौनी है। आप सब को पता नहीं नई पीढ़ी में बहुत जबरदस्त भटकाव आ रहा है। मनुष्य की बढ़ती हुई भोग-लालसा ने सम्बन्धों की पवित्रता को भी संदिग्ध बना दिया है। मैं अपने अनुभवों के आधार पर कहता हूँ कि भाई-बहिन के सम्बन्धों की पवित्रता भी अब नष्ट हो रही है। सावधान हो जाओ, मेरे पास ऐसे भी प्रकरण आए हैं जिनमें सगे भाई-बहिन के मध्य भी सम्बन्ध बने हैं। बहुत घिनौना रूप है, रोंगटे खड़े हो जाते हैं सुनकर। आज के युवक-युवतियों में जबरदस्त भटकाव है। इसलिए मैं कहना चाहता हूँ 10-11 साल की उम्र हो जाने के बाद बहिन और भाई को कभी एक साथ नहीं रखना चाहिए, मर्यादा को सुरक्षित रखना चाहिए। हमारे यहाँ कुछ व्यवस्थाएँ दी गई थी ताकि उस तरह की शारीरिक, भौतिक और मानसिक परिस्थितियों से बचा जाए और लोग यौन-कदाचार से बच सकें। आज सह-शिक्षा (को-ऐजुकेशन) के कारण ये सब गड़बड़ियाँ हो रही हैं। हमारे शास्त्रकार कहते हैं-तारुण्ये इन्द्रियनिग्रहं दुष्करम् । तरुण अवस्था में इन्द्रियों का निग्रह करना बहुत कठिन है। आज के इस उन्मुक्त वातावरण और सह शिक्षा की व्यवस्था ने सारी व्यवस्थाओं को चरमरा दिया है, सत्यानाश कर दिया है। कल शाम के 'शंका समाधान' में आपके बीच का एक युवक बोला कि मेरे साथ पढ़ने वाले दो सौ लड़कों में से मैं सिर्फ दस को ही अपना मित्र बना सका जो एल्कोहल (शराब) नहीं लेते, बाकी सब लेने वाले मिले। एल्कोहल ही नहीं, अन्य प्रकार के अनाचार भी आज बढ़ते जा रहे हैं। कोई भी इनसे अछूता नहीं बचा। सावधान होने की जरूरत है। यदि यही स्थितियाँ बनी रहीं तो हमारे समाज की क्या दशा होगी? हमारे संस्कार कहाँ जीवित रहेंगे?