दिव्य विचार: सदाचारी नारी देवी का स्वरूप है- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

मुनिश्री प्रमाण सागर जी कहते हैं कि गृहस्थ के लिये अपने जीवन के निर्वाह के लिये धन भी चाहिये। ये तीन शक्तियाँ है जिसकी हमें आवश्यकता हैं भारतीय तत्त्व चिन्तकों ने तीन शक्तियों के प्रतीक स्वरूप तीन देवियों की कल्पना की, दुर्गा सरस्वती और लक्ष्मी। तीनो ही नारियाँ हैं। दुर्गा शक्ति का, सरस्वती बुद्धि का और लक्ष्मी संपत्ति का प्रतीक बनी हैं। जो नारी जाति के सौभाग्य और गौरव का विषय हैं। इसे समझे और अपने जीवन को तद्नुरूप आगे बढ़ाने की कोशिश करें, पर बन्धुओं, ये सारा सम्मान नारी को मिला है, पर कौन सी नारी का, एक रूप देवी का है तो दूसरा डायन का भी है एक रूप माँ का हैं तो चुड़ैल भी नारी दिखती हैं। हमें दोनों रूपों को देखना चाहिये नारी यदि सदाचारी है तो समाज के लिये कल्याणकारी हैं और यदि नारी दुराचारी हो गई तो पूरी की पूरी मानव जाति के लिये वह एक बहुत बड़ा खतरा है। हमारे यहाँ आचार्य जिनसेन ने नारी के सम्मान को रेखांकित करते हुए आदि पुराण में लिखा
"नारी च गुणवती धत्ते, सृष्टेरग्रिमं पदं।"
गुणवान स्त्रियाँ सृष्टि में श्रेष्ट पद को धारण करती हैं इसलिये नारी को सम्मान हमारे यहाँ दिया गया। नारी की तुलना नदी से की गई हैं नदी के दो कुल होते हैं और नारी के दो कुल होते हैं। नदी अपने दोनों कुलो के मध्य प्रवाहित होती हैं और जब तक वह अपने दोनों कुलों के मध्य नियंत्रित और मर्यादित रूप से बहती हैं वह सबकी जीवन दायिनी बनी रहती है। उसका साफ स्वच्छ जल सबके त्रास को हरता हैं सबकी प्यास को हरता हैं, सूखी धरती को हरा भरा बना देता हैं। प्यासे कंठ को तरोताजा बनाता है लेकिन वही नदी जब बाढ़ की विभीषिका को धारण करती हैं तो अपने दोनों तटबंधों का उल्लंघन कर देती हैं और तब महाविकराल रूप धारण कर लेती हैं। अभी मैंने सुना हैं कि बिहार में बहुत ज्यादा बाढ़ आ । रही हैं तबाही है। वो नदी जो जीवनदायिनी थी वहाँ सर्वनाशिनी बन गई।