दिव्य विचार: अपनी योग्यताओं को पहचानो- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

मुनिश्री प्रमाण सागर जी कहते हैं कि यह बताइए अपने जीवन में अपनी दुर्बलताओं से कौन हारता है? जिसका अपने आप पर भरोसा नहीं रहता। अपने आप पर भरोसा किसका नहीं होता? जो योग्यता को पहचानता नहीं। मैं जब अपने आपको अनन्त सुख का धाम समझ लिया तो मेरा मुझ पर भरोसा होगा, जब मेरा मुझ पर भरोसा होगा तो पर-मुखापेक्षिता अपने आप छूटेगी और जैसे ही पर-मुखापेक्षिता छूटेगी मेरे जीवन की दिशा-दशा बदल जाएगी। छोटी-मोटी समस्याएँ, छोटी-मोटी बाधाएँ, मेरे लिए बाधा के रूप में दिखेंगी ही नहीं। मेरे अन्दर से एक ही पुकार होगी, मैं इसे कर सकता हूँ और करके निकलो। लौकिक क्षेत्र में आपके सामने कोई भी समस्या आए, समस्या को देखकर घबड़ाने की जगह, यह कैसे होगा यह मत सोचो, कैसे करना है यह सोचो। एक आदमी अपने जीवन में आई हुई समस्या को देखकर चिन्ता करता है आखिर यह कैसे होगा लेकिन ज्ञानी व्यक्ति यह सोचता है- कैसे नहीं होगा, कैसे करना है। मैं इसे कर सकता हूँ, आई केन डूइट। यह हो जाएगा, वह विश्वास अपने भीतर जगाइए, मेरे पास अनन्त क्षमता है, कभी हताशा हावी नहीं होगी। जिस मनुष्य को अपनी योग्यता का भरोसा होता है, वह कभी हताश नहीं होता और जिसे योग्यता का विश्वास नहीं होता वह कभी सफल नहीं होता। अपनी योग्यता को हमें पहचानना है, पहली बात। मैं सब कुछ कर सकता हूँ, मुझमें क्षमता है और उसे उभारने का प्रयत्न करें, निरन्तर उभारने का प्रयास करें, साधना करें और साथ- साथ निखारें भी । एक बात बताता हूँ- योग्यता आप पहचानो, योग्यता को उभार भी लो और योग्यता के लिए सक्रिय भी हो जाओ लेकिन आप उसे निखारोगे नहीं तो आपकी योग्यता कुन्द हो जाएगी। जैसे आपको उदाहरण देता हूँ एक व्यक्ति के पास अच्छा टैलेंट है, उसने जाना मेरा टैलेंट है, मेरा आई क्यू लेवल बहुत हाई है, मैं पढ़ सकता हूँ फिर उसने अपनी योग्यता को उभारने के लिए पढ़ाई शुरु कर दी और अच्छे से पढ़ाई करके उसने योग्यता को उभार भी लिया लेकिन एक बार पढ़ाई करने के बाद किताबें बन्द करके रख दीं, उसका प्रयोग नहीं किया।