कोरोना: सतना में रोजाना 500 टेस्ट का टारगेट
सतना | कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए सतना में भी कोविड-19 के संदिग्ध मरीजों की जांच बढ़ाने के निर्देश मिले हैं। स्वास्थ्य विभाग ने सतना को रोजाना पांच सौ संभावित संक्रमितों की जांच कराने के आदेश जारी किए हैं। आदेश में यह भी उल्लेख किया गया है कि आरटीपीसीआर से 350 और एंटीजन किट के माध्यम से 150 संदिग्धों का आरएटी सेम्पल लेना है कुल मिलाकर प्रतिदिन पांच सौ सेम्पल कलेक्शन का टारगेट सतना को दिया गया है। हालांकि स्थानीय स्तर पर इतनी जांचे नहीं हो पा रहीं। इसकी वजह यह है कि सतना में तकनीकी मानव संसाधन की कमी है और बीते साल जो इस कार्य में तकनीकी तौर पर मजबूत हैं उन्हें बाहर कर दिया गया है, ऐसे में कर्मचारियों की कमी के चलते सतना में 500 जांच नहीं हो रहीं जबकि इतने सेम्पल लेने का टारगेट सरकारी स्तर पर है।
सतना में बीते साल कोरोना के लगातार बढ़ रहे संक्रमण को देखते हुए कर्मचारियों की भर्ती की गई थी जिसमें डाक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ भी रखा गया था और इन्हीं के दम पर कोरोना के कार्य स्वास्थ्य विभाग द्वारा कराए गए लेकिन वर्ष 2021 के पहले महीने जनवरी में ही अधिकांश कर्मचारियों को बाहर कर दिया गया। लिहाजा अब एक बार फिर संक्रमण बढ़ रहा है और कर्मचारियों का टोंटा है। हालांकि विभागीय स्तर पर ऐसी भी खबरें आ रही हैं कि जो कर्मचारी बीते साल कोविड का कार्य कर चुके हैं उनके पास बेहतर अनुभव है उनको ही दोबारा रखा जाएगा लेकिन तकनीकी मानव संसाधन की भर्ती का काम अभी सतना में शुरू नही हुआ जबकि संक्रमण तेजी के साथ बढ रहा है।
निजी अस्पतालों से नहीं मिलती मदद
सतना में कहने को तो दर्जन भर निजी चिकित्सा संस्था हैं लेकिन कोरोना का नाम सुनते ही इनकी मानवीयता मर जाती है, बीते साल कोरोना काल के दौरान यह देखा गया था कि कलेक्टर हो या सीएमएचओ लगातार इन्हें निर्देश देते रहे कि मरीजों को देखें, उनको भर्ती करें, उपचार की दरें भी सरकारी गाइड लाइन के अनुसार तय की गई थी लेकिन निजी अस्पतालोंं पर न तो सरकार के आदेश न ही प्रशासन के निर्देशों का कोई असर पड़ा।
आलम यह था कि सर्दी, जुकाम व बुखार का नाम सुनते ही मरीजों को दुत्कार दिया जाता था। सुझाव में निजी अस्पताल प्रबंधन यह बताते थे कि वो सरकारी अस्पताल जाएं। सतना का एक बड़ा अस्पताल ऐसा भी है जो स्वस्थ मरीजों से भी कोरोना की जांच के नाम पर 35 सौ रुपए सीटी स्कैन के नाम पर वसूलने का गोरखधंधा चालू कर दिया। ऐसे हालातों में कोरोना मरीजों की देखभाव, उपचार व उनकी जांच का काम कोरोना के दौरान रखे गए कर्मचारियों से ही कराया गया। संक्रमण काल के दौरान इन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए संक्रमितों के उपचार में सरकारी डाक्टरों के साथ काम किया और नतीजा यह कि जनवरी से फरवरी तक उन्हें निकाल दिया गया।
बिना अमला कैसे होगी जांच
स्वास्थ्य विभाग ने सतना को टारगेट दिया है कि डेढ़ सौ आरएटी सेम्पल और 350 आरटीपीसीआर सेम्पल लिए जाएं लेकिन जिले में समस्या यह है कि इनके पास कोरोना जैसी महामारी में काम करने के लिए तकनीकी मानव संसाधन नहीं है। अब सवाल यह है कि बिना अमले के संक्रमण से जंग कैसे जीती जाएगी और रोजाना 500 संभावित संक्रमितों की जांच का टारगेट कैसे पूरा होगा?
कोरोना के फिर आए 15 मरीज
कोरोना के सतना में लगातार मरीज बढ़ रहे हैं। सरकारी आंकड़ों में भले ही यह बताया जा रहा है कि एक्टिव केस 100 के आस पास है पर हकीकत ये है कि जिले में लगभग 150 मरीज वायरस से पीड़ित हैं। शनिवार को जिले में 39 केस मिलने के बाद से आमजन दहशत में हैं तो वहीं कोरोना का कहर रविवार को भी कम नहीं रहा एक साथ 15 मरीज संडे को पाए गए हैं। सतना में वायरस के संक्रमण को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा हालात साल भर पुराने होने लगे हैं। फर्क तो सिर्फ इतना है कि अभी लाकडाउन नहीं है बांकी मरीज की तादात बढ़ती जा रही है। रविवार को मैहर में फिर एक साथ 7 मरीज मिले तो सोहावल में 2 और अमरपाटन में 1 तो नागौद में 5 मरीज पाए गएहैं। वहीं रेलवे में भी संक्रमितों में कमी नहीं आ रही है।