भौतिक कक्षाओं में शामिल होने से कतरा रहे कॉलेजी छात्र

रीवा | उच्च शिक्षा विभाग ने 1 जनवरी से भले ही कॉलेजों में आफलाइन प्रेक्टिकल क्लास प्रारंभ कर दी हो मगर कॉलेजों में छात्र संख्या 10 से 15 प्रतिशत में अटक गई है। बाहुल्य छात्र संख्या आॅफलाइन क्लास में शामिल नहीं हो रही है। कक्षाओं में गिने चुने छात्र ही अध्ययन कर रहे हैं। वहीं आॅनलाइन कक्षाओं से भी कालेजी छात्रों की रुचि घटने लगी है। उच्च शिक्षा विभाग सेलेबस पूरा कराने के लिए जद्दोजहद तो कर रहा है मगर जब छात्र ही पढ़ाई में दिलचस्पी न लें तो शिक्षक और कॉलेज प्रबंधन क्या करे।

एडी कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक कॉलेजों में महज 10 से 15 प्रतिशत छात्र ही पढ़ाई करने पहुंच रहे हैं। यह आंकड़े किसी एक कॉलेज के नहीं चाहे टीआरएस हो या माडल साइंस कॉलेज, जीडीसी हो या शासकीय गोलवलकर कॉलेज या संभाग के भी महाविद्यालय हों सबका हाल यही है। ऐसे में सेलेबस अधूरा रह जाने का डर बना हुआ है और परीक्षा में छात्र फेल भी हो सकते हैं। क्योंकि ऐसे हजारों छात्र हैं जो न तो आॅनलाइन कक्षा में शामिल हुए हैं और न ही भौतिक कक्षाओं में जाकर पढ़ाई कर रहे हैं।

हाजिरी की बाध्यता न होना वजह
दरअसल इस शैक्षणिक सत्र में अटेंडेंस की बाध्यता को समाप्त कर दिया गया है। अब तक सरकारी कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों की 75 प्रतिशत अटेंडेंस होने के बाद ही उन्हें परीक्षा में शामिल होने दिया जाता था मगर इस बार ऐसा नहीं है। छात्र आॅनलाइन कक्षा में शामिल हो या न हों या आफलाइन कक्षा में पढ़ने आए या न आए, इसकी कोई बाध्यता नहीं है। यही वजह है कि छात्रों को पढ़ाई करने की कोई टेंशन नहीं है। वह मनमानी पर उतर आए हैं और कॉलेज की कक्षाओं में सन्नाटा पसरा हुआ है।

विभाग की तरफ से छात्र संख्या की जानकारी मांगी गई थी जो भेज दी गई है। संभवत: कोरोना इफेक्ट के कारण भौतिक कक्षाओं में छात्र शामिल होने से कतरा रहे हैं। प्रयास है कि छात्र भौतिक कक्षाओं में शामिल हों।
डॉ. पंकज श्रीवास्तव, एडी उच्च शिक्षा