दमोह उपचुनाव में महिलाएं भी आजमा रहीं किस्मत

भोपाल | दमोह विधानसभा उपचुनाव में 37 प्रत्याशियों ने नामांकन फार्म जमा किए। इनमें से 11 लोगों ने फॉर्म वापस ले लिए और 4 फॉर्म निरस्त हो गए। इस तरह अब दमोह उपचुनाव में 2 महिला समेत 22 प्रत्याशी मैदान में हैं। वहीं, इस बार तीन महिला उम्मीदवारों ने भी नामांकन फार्म जमा किया है। इनमें से एक का फार्म निरस्त हो गया। सभी उम्मीदवारों ने अपने अनुसार चुनाव चिन्ह की मांग की है। राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार उपचुनाव में अब तक प्रमुख दलों द्वारा महिला प्रत्याशी नहीं उतारी है। दमोह सीट पर वर्ष 1951 से 2018 तक भाजपा हो या कांग्रेस किसी ने महिलाओं को मौका नहीं दिया, लेकिन इस बार दो महिलाएं मैदान में उतरी हैं।

कांग्रेस ने मनु मिश्रा को कमान देकर किया खुश

कांग्रेस ने दमोह पार्टी जिलाध्यक्ष रहे अजय टंडन को प्रत्याशी घोषित करने के साथ ही मनु मिश्रा को जिलाध्यक्ष बना दिया। इस वजह से मिश्रा की न केवल नाराजगी दूर हो गई, बल्कि उनकी ब्राह्मण समाज में अच्छी पकड़ का फायदा भी टंडन को मिलना तय माना जा रहा है। यहां पर यह वर्ग निर्णायक भी माना जाता है। कांग्रेस के लिए यह कदम डैमेज कंट्रोल के लिए अच्छी पहल मानी जा रही है। यह बात अलग है कि टंडन के लिए अभी नेतृत्व मुकेश नायक की निष्क्रियता को मुसीबत के तौर पर देखा जा रहा है। उनके भाई सतीश नायक हाल ही में कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो चुके हैं।

मौकापरस्तों को सबक सिखाना
मध्य प्रदेश की दमोह विधानसभा सीट पर होने वाले दंगल में भाजपा प्रत्याशी राहुल सिंह के भाई वैभव सिंह भी कूद पड़े हैं। उन्होंने दमोह से बतौर निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में नामांकन भरा है और अपना चुनाव निशान चप्पल रखा है। हिंडोरिया राजघराने से ताल्लुक रखने वाले वैभव देश भर में चल रहे ओबीसी आंदोलन के प्रणेता हैं। वहीं बीजेपी के प्रत्याशी राहुल सिंह लोधी के चचेरे भाई हैं। ज्यादातर लोग इन्हें भाई के विरोधी बता रहे है तो वही वे इस फैसले को अपने जन हितैषी मुद्दों पर चुनाव मे कूदना बता रहे हैं। खास बात ये है कि ये अपना चुनाव चिन्ह चप्पल लेकर मैदान में उतरे, इनका मानना है कि हर मतदाता के हाथों में अब चप्पल देना है। उन्होंने मतदाताओं से अपील की है कि जो हमारे देश के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन कर रहे है ऐसी पार्टियों के प्रत्याशियों को इस चुनाव में चप्पल दिखानी होगी। तभी इस घिनौनी मौकापरस्त राजनीति में परिवर्तन लाया जा सकता है।

दोनों पार्टियों के नेता रिश्तेदारों से मिलकर माहौल अपने पक्ष में बनाएंगे

मध्य प्रदेश के समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी के नेता इन दिनों उत्तर प्रदेश में न केवल रिश्तेदार तलाश रहे हैं, बल्कि करीब-करीब खत्म हो चुकी रिश्तेदारी को जिंदा करने की कोशिश भी कर रहे हैं। ये सारा मामला उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनावों से जुड़ा है। इसके लिए पार्टियों ने अपने नेताओं को कोई आधिकारिक आदेश तो जारी नहीं किया, लेकिन दबी जबान में ये काम करने को कहा है। दरअसल, उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव हैं। प्रदेश की कई सीमाएं मध्य प्रदेश से लगी हुई हैं। ऐसे में नेताओं की दोनों प्रदेशों में रिश्तेदारी होना आम बात है। इसकी के मद्देनजर मध्य प्रदेश के नेताओं से कहा गया है कि वे उत्तर प्रदेश के रिश्तेदारों से संपर्क बनाएं और पूरा माहौल पार्टी के पक्ष में बनाएं।