अस्पताल में प्रसूताएं बेहाल कब सुधरेंगे गायनी के हाल
सतना। जिला अस्पताल इन दिनों नेशनल क्वालिटी एस्येरेंस के अवार्ड के लिए हाथ पैर मारने लगा है। प्रबंधन भी रोजाना मीटिंग कर तैयारियों में बिजी है पर अपने अस्पताल के अंदर की क्वालिटी के लिए कुछ भी करने को तैयार नहीं है। चिकित्सालय के अंदर बाकी के विभाग तो किसी कदर चल ही रहें हैं। डॉक्टरों की कमी के बाद भी मेडिसिन और आर्थो से लेकर सर्जरी में भी काम चल रहा है पर जहां चिकित्सकों की भरमार है और जिस गायनी में 10 डॉक्टरों की पोस्टिंग हैं वहां के हाल बेहाल ही है। आलम ये है कि सुबह पांच बजे से एक प्रसूता दर्द से कराहती रही बावजूद इसके उसको डॉक्टर नहीं मिला और न तो किसी चिकित्सक ने उसकी नब्ज टटोली। हालात ये हैं कि अस्पताल में प्रसूताएं बेहाल हैं ।
नर्सों का बर्ताव, स्ट्रेचर भी साफ कराया
जिला अस्पताल के गायनी में नर्सों का तो ऐसा बर्ताव है कि इनसे भगवान ही बचाये। प्रसूता का गर्भपात हो चुका था और खून रुक नहीं रहा था लिहाजा स्टेÑचर में खून लगा तो प्रसूता की मां के साथ बदसलूकी भी की गई। इतना ही नहीं उसकी मां से स्टेÑचर तक साफ कराया गया। अब सिविल सर्जन ही बता सकते हैं कि आखिर उनके मातहतों को नेशनल क्वालिटी के लिए क्या यही सिखाया जाता है। दूसरी ओर डॉ एसबी सिंह रोजाना टेÑेनिंग दे रहे हैं तो उनकी ट्रेनिंग में भी यही सब्जेक्ट है। वेदना से बेहाल प्रसूता की जानकारी सिविल सर्जन डॉ एस कारखुर को दी गई उसके बाद भी उपचार मिलने में डेढ़ घंटा लग गया।
दावा। गायनी में 24 घंटे चिकित्सक
स्वास्थ्य विभाग व जिला अस्पताल प्रबंधन का भी दावा है कि गायनी में चौबीस घंटे एक डॉक्टर की मौजूदगी होती है। अब इस दावे की पोल भी खुल रही है,नियमन गाायनी और खासकर लेबर रूम में एक चिकित्सक की मौजूदगी 24 घंटे रहनी चाहिए पर ऐसा होता नहीं है। अस्पताल में सालू वर्मा नामक 24 साल की एक प्रसूता मंगलवार की सुबह पांच बजे से चिकित्सालय में कराहती रही और उसे देखने वाला 10 में से कोई डॉक्टर नहीं था। साढ़े 5 घंटे बाद साढ़े 11 बजे डॉ भूमिका जगवानी ने पीपीओटी में उसका उपचार कर उसे भर्ती किया। दरअसल गर्भपात होने की वजह से प्रसूता दर्द से बेहाल थी और उसे साढ़े पांच घंटे के बाद इलाज मिला ये है जिला अस्पताल सतना की नेशनल क्वालिटी। प्रबंधन के दावो की बात करें तो जब 24 घंटे डॉक्टर मौजूद होते हैं तो फिर सुबह पांच बजे से मरीज को किसी ने क्यों नहीं देखा....?
कभी ओटी तो कभी पीपीओटी टहलाते रहे
प्रसूता दर्द से बेहाल होती रही और अस्पताल में डॉक्टर नसीब नहीं हुआ । इतना ही नहीं बल्कि स्टाफ नर्सों द्वारा कभी ओटी तो कभी पीपीओटी में प्रसूता को टहलाया जाता रहा । जबकि मरीज की हालत ऐसी थी वो वेदना से पीड़ित दो कदम चल तक नहीं पा रही थी बावजूद इसके अस्पताल के अमले का दिल नहीं पसीजा। इस बीच पीपीओटी में डॉ माया पांडे पहुंची और नर्सों ने प्रसूता को देखने को कहा पर डा. माया ने उसे नहीं देखा और लेट जाओ कह कर चलते बनी। हालांकि बाद में डॉ भूमिका ने पीपीओटी में इलाज किया। इस बीच एक और नजारा यह रहा कि एक प्रसूता प्रसव के लिए अस्पताल पहुंची और दर्र्द के कारण वो चल नहीं पा रही थी,सीएस दफ्तर के सामने लेट गई जो उठ नहीं सकती थी। उसके लिए स्ट्रेचर तक अस्पताल में नहीं मिला।