सड़क परियोजनाएं शुरू नहीं पर तालाब और खेत चढ़ गए बलि

सतना। जिले की दो सड़क परियोजनाएं सवालों के घेरे में हैं। केंद्र सरकार के भारत माला प्रोजेक्ट के अलावा नागौद रिंग रोड ऐसी ही दो सड़क परियोजनाएं हैं जो अभी प्रारंभ तो नहीं हुई हैं लेकिन सवाल उठने शुरू हो गए हैं। भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत चयनित चित्रकूट -मैहर सड़क मार्ग को लेकर जहां स्थानीय जनों ने तालाब और सैकड़ों हरे-भरे पेड़ों का अस्तित्व मिटाने को लेकर आपत्ति दर्ज कराई गई है वहीं नागौद में रिंग रोड का सब्जबाग दिखाकर खेत में ही कालोनी बसाने के सपने बेचे जा रहे हैं। 

भारतमाला के लिए तालाब की बलि 
केंद्र सरकार के जिस भारत माला प्रोजेक्ट के तहत जिले के सुप्रसिद्ध तीर्थ स्थल चित्रकूट को मां शारदा के पावन धाम मैहर से जोड़ना है , उसके पथ चयन को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। तकरीबन 119 किलोमीटर लंबी फोरलेन रोड से जोड़ने के लिए 2661  करोड़ डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट  (डीपीआर)भी तैयार कर  नेशनल हाईवे अथारिटी आॅफ इंडिया (एनएचएआई) को भेजा जा चुका  है, जिसकी स्वीकृति के बाद जमीनों का अधिगृहण भी किया गया है। अब इसी पथ चयन को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं।  

मैहर और चित्रकूट जैसे पवित्र तीर्थस्थल को इसी नेशनल कॉरिडोर के जरिए प्रयाग, वाराणसी और अयोध्या से सीधे जोड़ने की सरकार की महत्वाकांक्षी योजना पर स्थानीय रहवासियों ने सवाल खड़े किए हैं। दरअसल जहां से इस सड़क को गुजरना है वहां एक बड़ा तालाब है।  इस तालाब के बीच से सड़क निकाली जानी है। साथ ही इस मार्ग पर 6 सौ से अधिक पुराने व हरे भरे पेड़ हैं जिन्हें काटे बगैर सड़क निर्माण नहीं किया जा सकता है। स्थानीय रहवासियों ने मांग की है कि सड़क बनाई जाय लेकिन उसका पथ निर्धारण इस प्रकार से किया जाय कि पुराना तालाब भी बचा रहे और हरे-भरे पेड़ भी बचे रह सकें। 

क्यों बदली ड्राइंग-डिजाइन
इस मामले में ओमप्रकाश बंसल ने जिला प्रशासन को एक शिकायती पत्र देकर बताया है कि 3 अक्टूबर 2018  को प्रकाशित अधिसूचना में ग्रीन बेल्ट, जलाशय आदि का ध्यान रखा गया था लेकिन 24 नवंबर 2020 को जो अधिसूचना प्रकाशित हुई उसमें न तो ग्रीन बेल्ट का ध्यान रखा गया और न ही जलाशय का। जलाशय का सीना चीरकर जहां इस सड़क को बनाया जा रहा है वहीं जिस आराजी पर भरतमाला प्राजेक्ट के तहत सड़क बनाई जानी है वह औद्योगिक उपयोग हेतु डायवर्टेड है। ओमप्रकाश ने शिकायती पत्र में बताया है कि पूरे परिवार का जीविकोपार्जन उक्त आराजी में है तथा मंदिर व कई प्रकार के सालों पुराने पेड़ भी हैं जिन्हे नष्ट किया जाना उचित नहीं होगा। 

3 अलग-अलग पैकेज में होगा निर्माण 
चित्रकूट से मैहर के बीच 119 किलोमीटर पर प्रस्तावित 2661 करोड़ की फोर लेन सड़क का काम 3 अलग-अलग पैकेज में पूरा किया जाएगा। एनएचएआई का कटनी आफिस इसे कंट्रोल करेगा। सूत्रों ने बताया कि इस मद में भूअर्जन व्यय पर 877 करोड़ रुपए के खर्चे का अनुमान है। कुल 673 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा। जिसमें से 562 हेक्टेयर भूमि प्रायवेट और 111 हेक्टेयर जमीन शासकीय होगी।  प्रथम पैकेज के तहत चित्रकूट से कोठी के बीच 55 किलोमीटर पर 1026.54 करोड़  की लागत का अनुमान है।  कुल 268 हेक्टेयर भूमि अर्जित की जाएगी। जिसमें से  196 हेक्टेयर भूमि निजी और 72 हेक्टेयर भूमि शासकीय होगी।

लगभग 347 करोड़ का भू अर्जन व्यय आएगा। इस पैकेज के अंतर्गत प्रति किलोमीटर पर 18 करोड़ 66 लाख रुपए के खर्चे का अनुमान है। इसी प्रकार दूसरे पैकेज के तहत कोठी से सतना के बीच  21 किलोमीटर पर 530 करोड़ की लागत प्रस्तावित है। कुल 122 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा। जिसमें  104 हेक्टेयर निजी और 17 हेक्टेयर सरकारी जमीन होगी। 172 करोड़  का भू अर्जन व्यय आएगा। इस पैकेज के अंतर्गत प्रति किलोमीटर पर 24 करोड़ 11 लाख के खर्चे का अनुमान है। जबकि सतना से मैहर के बीच 39 किलोमीटर के फोर लेन वर्क पर 1063 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इसके लिए 284 हेक्टेयर जमीन की जरुरत होगी। जिसमें से 262 हेक्टेयर भूमि निजी स्वत्व और  22 हेक्टेयर  जमीन सरकारी है। भूअर्जन पर 358 करोड़  रुपए खर्च होंगे। इस पैकेज के अंतर्गत प्रति किलोमीटर पर 27 करोड़ 46 लाख रुपए खर्च होंगे। 

यह सही है कि भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत जमीनों का अधिगृहण किया जा रहा है। जहां तक सवाल जलाशय और हरे-भरे पेड़ों को लेकर स्थानीय जनों के विरोध का है तो फिलहाल मेरे पास ऐसी कोई शिकायत नहीं आई है। यदि शिकायत आती है तो उसे दिखवाया जाएगा और हायर अथारिटीज को अवगत कराया जाएगा। 
दिव्यांक सिंह, एसडीएम 

जिस आराजी से सड़क निकाली जानी है उसमें एक तालाब है। इसके अलावा औद्योगिक उपयोग हेतु डायवर्टेड जमीन के साथ साथ इस सड़क से सटी पेप्टेक सिटी भी है। वर्ष 2018 में जो अधिसूचना जारी हुई थी उसमें इन बातों का ख्याल रखा गया था लेकिन फिर सड़क ड्राइंग-डिजाइन ही बदल दी गई है। प्रशासन को जलाशय व पेड़ों को बचाने सामने आना चाहिए। 

ओमप्रकाश बंसल, शिकायतकर्ता