उमाभारती और रामसिया भारती दमोह विधानसभा उपचुनाव में संभालेंगी मोर्चा
भोपाल | जैसे-जैसे गर्मी अपने तेवर दिखा रही है, वैसे-वैसे दमोह उपचुनाव में सियासत भी तेज होती जा रही है, जहां एक ओर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने मोर्चा संभाल रखा तो वहीं कमलनाथ भी दिल्ली से आने के बाद दमोह में ताकत दिखाने जाएंगे। इस बीच भाजपा ने इस सीट पर अपनी फायरब्रांड नेत्री उमा भारती को उतारने की तैयारी की है तो उनके जबाव में कांग्रेस ने साध्वी और उमा के मुकाबले के प्रवचन करने वाली रामसिया भारती को मैदान में उतार दिया है।
इन दोनों ही नेत्रियों की खासियत यह है कि दोनों एक ही वर्ग लोधी समुदाय से तो आती ही हैं , साथ ही दोनों धार्मिक प्रवृति की होने के साथ ही प्रवचनों के लिए भी जानी जाती हैं। दरअसल दमोह में कांग्रेस से दलबदल कर भाजपा में आए राहुल लोधी को प्रत्याशी बनाया गया है। उन्हें उमा भारती का खास माना जाता है। उन्हीं की वजह से राहुल ने कांग्रेस का हाथ छोड़ा था और भाजपा में आने के बाद ऐसे समय में दलबदल करते ही वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन का अध्यक्ष बनाया दिया गया था, जब भाजपा सरकार को पूर्ण बहुमत मिल चुका था। इस उपचुनाव को पार्टी कितनी महत्वपूर्ण मानकर चल रही हैं, इससे ही समझा जा सकता है कि दोनों ही दलों के प्रमुख नेता लगभग यहां पर डेरा डाल रहे हैं। इनमें भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा तो इलाका छोड़ने को ही तैयार नहीं हैं।
राहुल लोधी को अपनों से ही खतरा
इस सीट पर कांग्रेस व भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला देखा जा रहा है। यही नहीं इस बार के हालात और बन बिगड़ रहे समीकरणों की वजह से इस बार भाजपा के लिए इस उपचुनाव में राह आसान नहीं है। इसकी वजह है राहुल से इलाके के मतदताओं का दलबदल की वजह से नाराजगी तो है ही, साथ ही जैन समाज भी जयंत मलैया की उपेक्षा किए जाने से नाराज है। इस सीट पर भाजपा कार्यकर्ता भी अब तक राहुल को पूरी तरह से स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। वैसे भी अपनी ही सरकार से पार्टी कार्यकर्ता इन दिनों सत्ता में भागीदारी न मिलने की वजह से खफा बने हुए हैं।
जातीय समीकरण साधने पर जोर
इस उपचुनाव में भाजपा के साथ ही कांग्रेस ने पूरी ताकत जातीय समीकरण साधने पर लगाई हुई है। यही वजह है कि उसने अजय टंडन को उम्मीदवार बनाते ही जिलाध्यक्ष की कमान एक ब्राह्मण नेता को सौंप दी। इस इलाके में उनकी संख्या करीब 20 हजार है। इन्हें साधने के लिए ही पार्टी द्वारा बतौर स्टार प्रचारक बनाकर सुरेश पचौरी और चौधरी राकेश सिंह को भी दमोह भेजा जा रहा है। इसी तरह से पार्टी ने जैन मतों को साधने के लिए अपने पूर्व विधायक निशंक जैन को भी प्रचार में उतारा है। विधानसभा क्षेत्र में कुर्मी और आदिवासी मतदाताओं की संख्या को देखते हुए कांग्रेस ने अपने स्टार प्रचारकों की सूची में कमलेश्वर पटेल और कांतिलाल भूरिया को भी जगह दी है। इलाके के दलित मतदाताओं को रिझाने के लिए बीता चुनाव हार चुके फूल सिंह बरैया को भी प्रचार में उतारा जा रहा है।
कांग्रेस ने भाजपा के लिए रचा चक्रव्यूह
दरअसल कांग्रेस ने इस उपचुनाव में ऐसा चक्रव्यूह रचा है जो फिलहाल भाजपा के लिए खतरा बना हुआ है। भाजपा ने इस सीट पर अब राम का कार्ड चला है। यही वजह है कि उपचुनाव में प्रचार की कमान रामसिया भारती को पार्टी ने स्टार प्रचारक के रुप में सौंपी है। वे पड़ोसी इलाके की ही रहने वाली है, जिसकी वजह से इस इलाके में उनका अपना प्रभाव भी हैं। यह वो विधानसभा क्षेत्र है, जहां पर करीब 12 फीसदी लोधी मतदाता है। यह मतदाता पूर्व में भाजपा के समर्थन में मतदान करते रहे हैं , लेकिन कांग्रेस द्वारा राहुल लोधी को चुनावी मैदान में उतारने से उनका समर्थन कांग्रेस को मिल गया था।
यही वजह रही है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा के दिग्गज नेता और सात बार के विधायक जयंत मलैया को पराजित होने पर मजबूर कर दिया था। अब भाजपा ने उन्हीं राहुल लोधी पर दांव लगाया है। इसकी वजह से कांग्रेस ने लोधी मतदाताओं को साधने के लिए रामसिया भारती के अलावा इस सीट पर साधना भारती और प्रताप लोधी को उनके समुदाय वाले इलाकों में प्रचार का जिम्मा सौंपा है। रामसिया को स्थानीय स्तर पर भाजपा नेता उमाभारती के काट के रूप में देखा जा रहा है। यही नहीं भाजपा के लिए एक और निर्दलीय चुनाव लड़ रहे राहुल के भाई वैभव सिंह भी मैदान में हैं। उनसे भी राहुल को सजातीय मतों में बड़ा नुकसान होना तय माना जा रहा है।