इधर महिलाओं का सम्मान, उधर अस्पताल में मौत से जंग लड़ रही दो बेटियां

सतना। सोमवार को जब सतना के विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी संस्थान महिला दिवस पर महिलाओं का सम्मान कर रहे थे , उसी समय सतना जिले की दो बेटियां दिल्ली और भोपाल के अस्पतालों में मौत से जंग लड़ रही थी। दोनो ही लाड़लियों के परिजनों की आर्थिक स्थिति भी दयनीय है जिससे इलाज प्रभावित हो रहा है और लाड़लियों के जीवन पर संकट मडरा रहा है। परिजनों ने सरकार और स्वयंसेवी संस्थाओं का ध्यान आकृष्ट करा मदद की गुहार लगाई है। 

श्रेया का लीवर फेल, 17 लाख सिर्फ ट्रांसप्लांटेशन का खर्च 

 

6 वर्षीया श्रेया पांडेय दिल्ली के आईएलबीएस हास्पिटल में भर्ती है और जीवन व मौत के बीच झूल रही है। इस अल्पायु में उसक ा लीवर फेल हो गया। इसका पता परिजनों को तब चला जब उसकी लगातार तबियत बिगड़ने पर जांच कराई गई। जांच के बाद विषय विशेषज्ञ चिकित्सकों ने श्रेया का जीवन बचाने लीवर ट्रांसप्लांटेशन की जरूरत बताई। कुल खर्च पूछने पर लगभग साढ़े 17 लाख रूपए लीवर ट्रांसप्लांटेशन का जबकि छुट्टी होने तक हास्पिटल चार्ज तकरीबन 10 लाख बताया गया।तकरीबन 27 लाख की  बड़ी रकम सुनकर श्रेया के मध्यम वर्गीय परिजनों के पांव तले की जमीन खिसक गई।

ट्रांसप्लांटेशन का यह खर्च तब है जब श्रेया की मां ने ट्रांसप्लांटेशन के लिए अपना लीवर दान दे रही  हैं।  अब तक यहां वहां से कर्ज लेकर बेटी श्रेया का इलाज कर रहे परिजनों की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वह इतनी भारी भरकम रकम जुटा सके। श्रेया की देखभाल करने वाले मामा अमित द्विवेदी कहते हैं कि सब रिश्तेदारों ने मिलकर कुछ पैसे जुटाए हैं लेकिन वह अस्पताल प्रबंधन की अपेक्षित रकम की तुलना में आधी भी नहीं है। ऐसे में इलाज के बाधित होने का खतरा मुहबाए खड़ा हो गया है। उन्होने सरकार व स्वयं सेवी संगठनों से आग्रह किया है कि उनकी भांजी को बचाने के लिए सामने आएं और मदद मुहैया कराएं ताकि 6 वर्षीया श्रेया के सिर से मौत का खतरा टल सके और वह पुन: सामान्य जीवन में लौट सके। 

अकाउंट होल्डर- अमित द्विवेदी , मो. नं. -9111667565
बैंक -पंजाब नेशनल बैंक 
आईएफएससी कोड- PUNB0324400, खाता क्र.-3244000100104007

रिया को नहीं नसीब हुई मदद, सर्वर दे गया दगा    

अस्पताल में मौत से जंग लड़ रही पहली बेटी रामपुर बाघेलान विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत बम्हौरी गांव निवासी अखिलेश सिंह की 11 वर्षीया बेटी रिया है जो  ब्लड कैंसर जैसी बीमारी से पीड़ित है ।  उसक ी जिंदगी बचाने उपचार नागपुर के निजी अस्पताल अमेरिकन आॅनकोलॉजी इंस्टीट्यूट  के 6 वें फ्लोर पर चल रहा है। माता-पिता आर्थिक तौर पर इतने सक्षम नहीं है कि लाखों का खर्च उठा कर अपने कलेजे के टुकड़े को जिंदगी दे सके।  

इसकी मदद के लिए सीएम शिवराज सिह चौहान ने पांच लाख रुपया देने का एलान किया था। जिला प्रशासन ने उसकी मेडिकल केस हिस्ट्री व दस्तावेज तैयार कर तकरीबन 15 दिन पूर्व  भोपाल भी भेज दिए लेकिन अब तक पीड़िता के खातों में जो अब तक महज घोषणा ही साबित हुई। अब हालात ये बन गए हैं कि नागपुर के इस अस्पताल प्रबंधन रिया का इलाज करने से इंकार कर रहा है। परिजनों ने इस बावत स्टार समाचार से बताया कि सरकार द्वारा भेजी गई मदद अस्पताल तक तो आई लेकिन सर्वर के दगा दे जाने के कारण रकम वापस लौट गई है और रिया के परिजन अभी भी वहीं खड़े हैं जहां वे मदद मागने के लिए पहले खड़े थे। 

प्रक्रिया जटिल इसलिए पात्र रह जाते हैं वंचित

दरअसल सरकार की बीमारी सहायता योजना का लाभ पाने के लिए प्रक्रिया इतनी जटिल बनाई गई है कि गरीब व मध्यम वर्ग का व्यक्ति इसका लाभ नहीं उठा पाता। जिस परिवार के जिगर का टुकड़ा अस्पताल में जीवन मौत से जूझ रहा हो उसे उस दौरान दस्तावेज जुटाने के लिए बाध्य किया जाता है । किसी तरह उसने दस्तावेज जुटा भी लिए तो लाभ का मिलना अफसरों व जनप्रतिनिधियों के मूड पर निर्भर करता है। इन बाधाओं को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि सरकार को संवेदनशीलता के साथ ध्यान देना चाहिए और प्रक्रिया का सरलीकरण किया जाना चाहिए ताकि ऐसी बाधाएं इलाज के लिए मिलने वाली मदद को बाधित न कर सकें।