अंतत: प्रशासन ने परशुराम आश्रम किया जमीदोज

रीवा | भारी कशमकश के बीच मंगलवार को अन्तत: प्रशासन ने तमाम विरोध को दरकिनार करते हुए परशुराम आश्रम जमीदोंज कर दिया। विश्वविद्यालय के समीप रीवा-सिरमौर मार्ग में बाईपास की जमीन पर स्थापित आश्रम को बचाने की औपचारिक कोशिशें नाकाम रही। सुबह 10 बजे से ऊहापोह के हालात बने रहे। लेकिन दोपहर प्रशासनिक अमला हरकत में आ गया।

जेसीबी के पंजे एक-एक कर आश्रम के प्रवेश द्वार को उखाड़ कर फेंकना शुरू कर दिया। इस बीच आश्रम समिति के अध्यक्ष श्रीधर दुबे, वहां मौजूद संतगण, समाजवादी नेता सुरेन्द्र माला और स्थानीय लोग सामने आ गए। कई नेतागण भी विरोध दर्ज कराने पहुंचे लेकिन आश्रम ध्वस्त करने पर आमादा प्रशासन द्वारा किसी को नहीं सुना गया। शाम होने के पूर्व मंदिर को छोड़कर आश्रम के तमाम निर्माण पेड़ पौधे, यज्ञ स्थल, संत विश्रामालय आदि धराशायी कर दिए। 

सरकारी भूमि पर किए गए परशुराम आश्रम के निर्माण को धराशायी करने की दी गई नोटिस के 24 घंटे के अंदर प्रशासनिक तत्परता का जिले में यह पहला मामला है। जिसमें सामाजिक एवं धार्मिक गतिविधियों के इकलौते केन्द्र को ध्वस्त किया गया है। इसकी शिकायत भाजपा के एक विधायक द्वारा  की गई। जिसे मूर्तरूप देने के लिए एनएचएआई के कंधे का इस्तेमाल किया गया। आश्चर्य जनक पहलू यह है कि भगवान परशुराम के नाम से स्थापित मंदिर, आश्रम के खिलाफ हुई कार्रवाई के दौरान धर्म की राजनीति करने वाले नेता, तथा कथित ब्राम्हण संगठन और उनके स्वयं भू राष्ट्रीय, अंतराष्ट्रीय अध्यक्ष अथवा उनसे जुड़ा कोई भी शख्स नजर नहीं आया। अलबत्ता परशुराम आश्रम समिति के पदाधिकारी इधर-उधर छटपटाते रहे।

गौरतलब है कि मंगलवार को परशुराम गिराने पहुंचे पुलिस बल के साथ प्रशासनिक अधिकारियों को विरोध का सामना करना पड़ा। इस दौरान आश्रम को नेस्तानाबूद होने से बचाने के लिए पहुंचे पूर्व विधायक लक्ष्मण तिवारी एवं अधिकारियों के बीच हुई चर्चा के बाद टीम वापस लौट गई। विधायक जाने के कुछ मिनटों बाद फिर से टीम पहुंची इस दौरान स्थानीय लोगों ने जमकर विरोध किया। लिहाजा मंदिर को छोड़कर किए गए निर्माण कार्य धराशायी कर दिए गए। 

आश्रम का गेट एवं यज्ञशाला को धराशायी करने के बाद जैसे ही जेसीबी संत विश्रामालय तोड़ने पहुंची इस दौरान आश्रम से जुड़े तमाम लोग जेसीबी के सामने आ गए। जयश्री राम का नारा लगाते हुए लोगों ने कहा कि जब पूरा स्टेक्चर ध्वस्त कर दिया गया है ऐसे में मंदिर गिराने के बाद ही अन्य निर्माण कार्य गिराये जायेंगे। हालांकि प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा मंदिर न गिराने की बात बार-बार कही जाती रही। इस दौरान वहां के संत ने कहा कि जब यहां पर रहने के लिए नहंी मिलेगा ऐसे में मंदिर की देखरेख एवं भगवान का भोग कैसे लगाया जाएगा। इसलिए मंदिर को भी गिरा दिया जाए। घंटों तक ेलोग जेसीबी के सामने खड़े रहे। काफी मशक्कत के बाद पुलिस बल द्वारा लोगों को वहां से खदेड़ा गया और मंदिर को छोड़कर सारे निर्माण कार्य ध्वस्त कर दिए गए। 

पुलिस के साथ हुई झूमा झटकी
परशुराम आश्रम को धराशायी करने पहुंची टीम के साथ भारी मात्रा में पुलिस बल भी मौजूद था। इस दौरान आश्रम को बचाने के लिए तत्परता से खड़े लोगों एवं पुलिस के बीच झूमा-झटकी भी हुई। काफी समझाइश के बाद लोगों को आश्रम से बाहर निकाला गया। गौर करने वाली बात यह है कि आश्रम के चारों तरफ पुलिस का बेरीकेट्स बना दिया गया था। जिसके अंदर किसी को जाने की अनुमति नहीं दी गई थी। 

परशुराम आश्रम को बचाने पहुंचे भाजपा के पूर्व विधायक लक्ष्मण तिवारी ने मौके पर मौजूद एडीएम इला तिवारी एवं एसडीएम फरहीन खान को जमकर खरी-खोटी सुनाई है। उन्होंने कहा कि पूरे शहर में शासकीय जमीनों पर जो अतिक्रमण वह जिला प्रशासन को नहीं दिखाई दे रहा। हिन्दू धर्म के आस्था का प्रतीक परशुराम मंदिर को तोड़ा जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।

आश्रम को ढहाना दुर्भाग्यपूर्र्ण: रमाशंकर
जिला सहकारिता प्रकोष्ठ रीवा के अध्यक्ष रमाशंकर मिश्रा ने बायपास स्थिति परसुराम आश्रम को गिराये जाने की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि प्रशासन की यह फौरी कार्यवाही राजनीति से पे्ररित है जिसकी सर्वत्र निंदा होनी चाहिए और जिस तरीके से प्रशासन ने परशुराम आश्रम में बुल्डोजर चलाया, वह स्थिति और दुर्भाग्य पूर्ण है। श्री मिश्रा ने कहा कि  सबका कल्याण और भगवान के प्रति आस्था जुड़ी हो ऐसे धर्मस्थलों पर बुल्डोजर चलाना जन भावनाओं पर प्रहार करना है। उन्होंने कहा कि बड़ा दुर्भाग्य है कि रीवा के विधायक को ईश्वर के प्रति विश्वास नहीं रह गया है। 

अतिक्रमण के नाम पर सरकार गिरा रही मंदिर: सिद्धार्थ
इटौरा बाईपास में निर्मित भगवान हनुमान, परशुराम व शनि देव की मंदिर के विंध्वस को पहुंचे प्रशासनिक अमले का विरोध जताने पहुंचे कांग्रेस नेता सिद्धार्थ तिवारी ने कहा कि मंदिर के नाम पर राजनीति करने वाली शिवराज सरकार अतिक्रमण के नाम मंदिर गिरा कर हम सबकी आस्था को चोट पहुंचाना चाहती है। उन्होंने कहा कि यह मंदिर शासकीय जमीन पर निर्मित है लेकिन शिवराज सरकार व उनके नुमाइंदो को समदड़िया व बसंल के बेशकीमती शासकीय जमीनों पर निर्मित भवन ही मंदिर नजर आते है। उन्होंने कहा कि भाजपा केवल राम के नाम की राजनीति न करें बल्कि उन्हें आत्मसात भी करे।