रेलवे: डॉक्टर तो नियुक्त, पर मेडिकल वैन का पता नहीं
सतना | विंध्य में एक कहावत बहुत लोकप्रिय है कि ‘डोली न कहार, दुलहन चलने को तैयार’। रेलवे की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए यह लोकोक्ति इन दिनों बेहद सटीक नजर आ रही है। रेल प्रशासन ने रेलकर्मियों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुचाने के लिए कॉन्ट्रेक्ट बेस पर डॉक्टर दीपक कुमार झारिया की नियुक्त तो कर दी है लेकिन जिस मेडिकल वैन के जरिए उनको रेलकर्मियों तक पहुंचना है वह इन दिनों नदारद है। बताया जाता है कि मेडिकल वैन सेवा पिछले 7 माह से बंद है, जिसके चलते सतना-रीवा रेलखंड के रेल कर्मचारी व उनके परिजनों को चिकित्सा सेवाओं के लिए काफी परेशानी झेलनी पड़ती है।
बताया जाता है कि जबलपुर डिवीजन में पहली बार सतना-रीवा रेलखंड मे मोबाइल मेडिकल वैन की सेवा 2019 मे शुरू की गई थी। पिछले 7 माह से यह सेंवा पूरी तरह से ठप्प है। रेल प्रशासन ने संविदा आधार पर डॉÞ तो नियुक्त कर दिया पर मेडिकल वैन के लिए अभी तक टेंडर नहीं किए गए है। ऐसे में सवाल यह है कि बिना मेडिकल वैन के डा. झारिया रेलकर्मियों तक कैसे पहुंचेंगे। सबसे ज्यादा परेशानी रोड साइड स्टेशन के स्टाफ को बताई जा रही है क्योंकि इनके नजदीकी क्षेत्र में कोई हॉस्पिटल नहीं है। ऐसे में कर्मचारियों में काफी रोष व्याप्त हो रहा है।
यह है उद्देश्य
सतना -रीवा सेक्शन में रोड मोबाइल मेडिकल वैन सेवा शुरू करने के पीछे रेलवे का उद्देश्य यह था कि कर्मचारियों को सतना हेल्थ यूनिट के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। इस सेक्शन में कम गाड़ियां थी तो वहीं रीवा स्टेशन से सतना की दूरी सड़क मार्ग से ज्यादा है जिससे कर्मचारियों को पूरा दिन लग जाता था। इस स्थिति को देखते हुए रेल प्रशासन ने रोड मोबाइल मेडिकल वैन सेवा चालू की गई थी जो स्टेशनों मे जा कर मेडिकल की सेंवाए कर्मचारियों को उपलब्ध कराई जाती थी
500 से ज्यादा कर्मचारी
बताया जाता है कि इस सेक्शन में कैमा, सकरिया, हिनौता, बगहाई, तुर्की और रीवा स्टेशन में काम करने वाले लगभग 500 से ज्यादा कर्मचारी व उनके परिजन रहते हैं। मोबाइल वैन के स्टेशनों में पहुंचने के अलग-अलग दिन निर्धारित किए गए थे। कर्मचारियों का कहना है कि कोरोना काल जब सबसे ज्यादा कर्मचारियों को इन दिनों मेडिकल पहुंच सुविधा की सबसे ज्यादा जरूरत है, तभी प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है।