तराई में टहल रहे बाघ, वन विभाग मौन
सतना। पन्ना टाइगर रिजर्व और रानीपुर वन्य प्राणी अभयारण्य के बाघों के लिए वाकिंग कारीडोर बने मझगवां वन परिक्षेत्र में लगातार बाघों के टहलने की खबरे सामने आने के बाद भी वन महकमा बाघों के संरक्षण के प्रति उदासीन बना हुआ है। मुंबई-हावड़ा रेलखंड के सतना-मानिक पुर रेल सेक्शन के बीच एक बार पुन: वनराज के दीदार हुए हैं ।
गुरूवार की रात बाघ को चितहरा रेल ट्रैक के किनारे कुछ रेल कर्मियों ने विचरते देखा तो उनकी घिघ्घी बंध गई। शुक्रवार की सुबह भी रेल ट्रैक के किनारे के गांवों में बाघ देखा गया जो सुबह की चहल पहल बढ़ने के साथ मझगवां के जंगला में समा गया । हालांकि बाघ देने की सूचना रेल कर्मियों को आला अधिकारियों को नहीं दी है लेकिन बाघ की मौजूदगी ने ग्रामीणों के बीच दहशत बढ़ा दी है।
ट्रैक पर कट चुका बाघ
इसके पूर्व चितहरा स्टेशन के निकट वर्ष 2016 में एक बाघ रेलगाड़ी से कटकर मौत की नींद सो चुका है, जबकि समय-समय पर कई मर्तबा ट्रैक के आसपास बाघ देखा जाता रहा है। अंतिम बार अप्रैल माह में मझगवां स्टेशन के निकट बाघ देखा गया था। बाघ के ट्रैक पर कटकर मरने के बाद बाघों की सुरक्षा के लिए कई प्रावधान तय किए गए थे लेकिन उनमें से किसी प्रावधान का पालन करने या कराने में वन विभाग नाकाम रहा है।