सतना के प्रभारी मंत्री के लिए तीन नाम चर्चा में, जल्द हो सकती है घोषणा
सतना | राज्य की सत्ता की बागडोर संभाले हुए भाजपा को लगभग 9 माह होने वाले हैं, मगर बीते दिनों की स्थिति पर गौर करें तो सरकार खुले तौर पर सियासी फैसले लेने में हिचकी नजर आती है। अब राज्य में जिलों का प्रभार मंत्रियों को दिए जाने की तैयारी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी ऐलान किया है कि जिले के प्रभारी मंत्री जल्दी नियुक्त कर दिए जाएंगे। ऐसे में यह कयास लगने लगे हैं कि आखिर सतना का प्रभारी मंत्री कौन होगा? फिलहाल राजनीतिक गलियारों मे सतना जिले के प्रभारी मंत्री के लिए तीन नाम चर्चाओं में हैं।
इस मर्तबा जिलें में प्रभारी मंत्री का पद आसपास के जिलों के मंत्री को ही दिया जाएगा। संगठन का मानना है कि दूरस्थ जिलों के प्रभारी मंत्री अपने प्रभार वाले जिलों को अपेक्षित समय नहीं दे पाते हैं, ऐसे में आसपास के जिले के मंत्री को प्रभार देने को प्रथमिकता दी जाएगी। इसी रणनीति के चलते सतना जिले के प्रभार के लिए तीन नाम सुर्खियों में हैं। खनिज मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह का नाम सबसे ऊपर चल रहा है जबकि अनूपपुर से उपचुनाव जीतकर विधायक बने खाद्य मंत्री बिसाहूलाल सिंह भी सतना के प्रभारी मंत्री के प्रमुख दावेदारों में से है।
इसके अलावा आदिवासी कल्याण मंत्री मीना सिंह का भी नाम चर्चा में है। इनमे से बृजेंद्र प्रताप सिंह सतना से सेटे पन्ना जिला से निर्वाचित हुए हैं तो बिसाहूलाल सिंह व मीना सिंह सतना से लगे शहडोल संभाग से चुनावी रण जीते हैं। माना जा रहा है कि यदि सरकार ने अपने तय फार्मूले पर अमल किया तो इन तीन में से किसी एक को सतना जिले का प्रभारी मंत्री बनाया जा सकता है।
52 जिले, 31 मंत्री
मौजूदा समय पर प्रदेश में 52 जिले हैं जबकि मंत्रिमंडल में तुलसी सिलावट व गोविंद सिंी राजपूत के शामिल होने के बाद अब शिवराज मंत्रिमंडल में कैबिनेट व राज्य मंत्रियों की संख्या बढकर 31 हो गई है। बताया जाता है कि इनमें से 11 राज्यमंत्री हैं जबकि 20 कैबिनेट मंत्री। बताया गया कि कैबिनेट मंत्रियों को दो जिलों का तथा राज्य मंत्रियों को एक एक जिले का प्रभार सौंपा जा सकता है।
संगठन में चल रहा विमर्श
भाजपा सूत्रों का कहना है कि राज्य के प्रमुख जिलों- सतना, रीवा , जबलपुर, उज्जैन, सागर आदि का प्रभार पाने के लिए कई नेता जोर लगा रहे हैं। इन स्थितियों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए रास्ता खोजना आसान नजर नहीं आ रहा है, यही कारण है कि वे इस मामले में संगठन से परामर्श ले रहे हैं। पिछले कुछ माह भाजपा की राजनीति के लिए गहमा गहमी भरे रहे हैं लेकिन अब उप चुनाव के बाद सरकार स्थिर हो गई है। अब आगे निकाय चुनाव भी होने हैं ऐसे में पार्टी की कोशिश है कि आगामी समय में वह प्रभारी मंत्रियों के सहारे जिलों से चुनाव की कमान को संचालित करे, इसलिए प्रबंधन में माहिर मंत्रियों को इस काम में लगाए जाने की तैयारी की जा रही है। यदि सूत्रों की मानें तो जल्द ही प्रभारी मंत्री के नामों का चयन कर घोषणा कर दी जाएगी।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जिले का प्रभारी मंत्री ताकतवर होता है और वह उस क्षेत्र की सियासत पर अपरोक्ष रूप से न केवल नियंत्रण रखता है, बल्कि दखल भी दे सकता है, क्योंकि प्रशासनिक मशीनरी उसके हाथ में होती है। यही कारण है कि भाजपा और मुख्यमंत्री निकाय चुनावों को फतह करने सक्षम मंत्रियों की तैनाती करना चाहते हैं, लेकिन अधिकांश मंत्री बड़े जिलों का प्रभार चाह रहे हैं। ये स्थितियां भाजपा के लिए ज्यादा सहज और अनुकूल नहीं हैं।
सबसे प्रभावी रहे राजेन्द्र
यदि हम राजनीतिक पूर्वाग्रहों से हटकर देखें तो सतना जिले के लिए पिछले एक दशक में अब तक के सबसे प्रभावी प्रभारी मंत्री पूर्व खनिज मंत्री राजेंद्र शुक्ल रहे हैं। उनके कार्यकाल में सतना को कई प्रोजेक्ट मिले और सतना के डेवलपमेंट को गति भी मिली। सतना में जलावर्द्धन योजना , चित्रकूट की सीवर लाइन परियोजना , सतना-रीवा फोर लेन सड़क के अलावा उर्जा सेक्टर से जुडी कई परियोजनाएं उनके कार्यकाल में सतना को मिलीं। व्हाइट टाइगर सफारी की नींव भी उनके प्रभारी मंत्रित्वकाल में ही रखी गई जिसे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मदद से उन्होने पूर्ण कराया था।