परशुराम आश्रम में जुटे साधु-संत: आश्रम का निर्माण किए बगैर यहां से हिलूंगा नहीं

रीवा | इटौरा बायपास में शासकीय भूमि पर बनाए गए परशुराम आश्रम को प्रशासन द्वारा नेस्तनाबूत कर दिए जाने के बाद वहां पर पहुंचे सनकादिक महाराज ने वहीं पर अपनी धूनी रमा ली है। चार दिन से खुले आसमान के नीचे रात और दिन आश्रम का पुन: निर्माण किए जाने की जिद में बैठे हुए हैं।

शुक्रवार को सनकादिक महाराज द्वारा धर्म संसद का आयोजन किया गया। जिसमें चित्रकूट, जबलपुर, बनारस के साधु-संत परशुराम आश्रम में पहुंचकर उन्हें अपना समर्थन दिया है। इस दौरान आश्रम के नव निर्माण की बात कहते हुए श्री सनकादिक महाराज ने कहा है कि जब तक आश्रम का निर्माण नहीं हो जाता, वह यहां से नहीं हिलेंगे। इस दौरान आसपास के भक्त भी उनके द्वारा आयोजित की गई धर्म संसद में पहुंचकर उन्हें अपना समर्थन दिए हैं।

धर्म संसद में जबलपुर, बनारस एवं चित्रकूट के संतों ने अपने उद्बोधन दिए। उनका कहना है कि भगवान की पूरी भूमि है। ऐसे में अगर उनका मंदिर एवं आश्रम बनाया गया तो क्या पाप किया गया है। जिला प्रशासन द्वारा की गई इस कायराना हरकत पर सभी संतों ने एक स्वर में परशुराम आश्रम के पुन: निर्माण की बात कही है।

जरूरत पड़ी तो यहीं लगेगा कुम्भ
आश्रम ढहाए जाने के बाद पंजाब से वापस लौटकर परशुराम आश्रम पहुंचे सनकादिक महाराज ने कहा है कि जब तक आश्रम का निर्माण नहीं हो जाता, वह यहां से नहीं हटेंगे। खुले आसमान के नीचे रात-दिन वह आश्रम के पुन: निर्माण को लेकर बैठ गए हैं। शुक्रवार को आयोजित धर्म संसद के दौरान उन्होंने कहा कि जिसने भी इस आश्रम को गिराया है, वह यहां आकर भगवान से क्षमा मांग ले और आश्रम का फिर से निर्माण कराए। उन्होंने कहा कि हरिद्वार में लगने वाले कुंभ के लिए साधु-सन्यासी वहां पर जा रहे हैं ऐसे में अगर जरूरत पड़ी तो इटौरा बायपास स्थित परशुराम आश्रम में ही कुंभ लगाया जाएगा।

यहीं पर संत तपस्या करेंगे, यहीं खुले आसमान के नीचे विश्राम एवं यहीं प्रसाद ग्रहण होगा। गौर करने वाली बात यह है कि सनकादिक महाराज खुले आसमान के नीचे चार दिन से कड़कड़ाती ठण्डी में अपने आपको तपा रहे हैं। उनके बारे में लोगों द्वारा बताया गया कि उन्होंने कई कठिन तपस्याएं की हैं। कई बार उन्होंने भोर में घड़े में रखे ठण्डे पानी से स्रान किया है। इतना ही नहीं चार दिन से वह परशुराम आश्रम में नग्न बदन खुले आसमान के नीचे रह रहे हैं। जिसका कोई फर्क उन पर नहीं पड़ रहा है। शुक्रवार को आस पड़ोस के पुरुष एवं महिलाएं उनके द्वारा बताई गई बातों को सुनने के लिए एकत्रित रहे। इस दौरान लोगों ने प्रसाद भी ग्रहण किया।