घरों के अंदर खंभे, खतरे में आबादी

सतना | देश के किसी भी इलाके में शायद ही आपने ऐसा नजारा देखा होगा जैसा नजारा दक्षिणी पतेरी के उस इलाके में देखने को मिल रहा है, जो मप्र विद्युत क्षेत्रीय कंपनी से सटा हुआ है। पतेरी में बने डेढ़ सैकड़ा से अधिक घर ऐसे हैं जिनके घरों के भीतर बिजली के खंभे गड़े हुए हैं। इन खंभों की तारों से दिन भर हाईवोल्टेज का करेंट प्रवाहित होता है बावजूद इसके लोग खतरे के नीचे रहकर जीवन यापन कर रहे हैं। बताया जाता है कि यहां 50 फीसदी मकान उस जमीन पर बने हुए हैं जो जमीन कभी बिजली विभाग को दी गई थी। पहले बिजली विभाग अपनी जमीन को लेकर बेफिक्र बना रहा और उसके अधिकारियों व कर्मचारियों ने अपने ही विभाग की जमीन बचाने का प्रयास नहीं किया लेकिन अब जब कलेक्टर ने एक विद्यालय के लिए जमीन आवंटित की तो बिजली विभाग ने उसे फेंसिंग करा अपने कब्जे में यह कहते हुए ले रखा है कि विद्यालय बिजली विभाग की जमीन पर है। इस मामले को लेकर कलेक्टर ने 123 लोगों को नोटिस भी जारी की है। 

राजस्व अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध 
इस मामले में पावर ट्रांसमिशन बिजली कंपनी के अधिकारियों की भूमिका तो संदिग्ध है ही , साथ ही राजस्व अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध है क्योंकि बिना राजस्व अधिकारियों की सहमति के जमीनों के बटांक नहीं हो सकते थे और न ही खसरे में प्रविष्ष्टियां दर्ज हो सकती थीं। बताया जाता है कि यहां सबने मिलकर मलाई चाटी और करोड़ों की जमीन को खुर्द-बुर्द कर दिया। विडंबना की बात है कि उस दौरान पदस्थ राजस्व कर्मचारियों ने ट्रांसमिशन कंपनी के अफसरों व भूमाफियाओं के साथ मिलकर करोड़ों की जमीनों की बंदरबांट कर ली। अब नोटिस उन परिवारों को दी जा रही है जिन्होने न केवल जमीनें खरीदीं बल्कि रजिस्ट्री भी कराई। सवाल यह है कि जिला प्रशासन उन कर्मचारियों व अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करता जिन्होने जमीनों को खुर्द-बुर्द कर दिया। 

एसडीएम की रिपोर्ट में इन्हें माना सही, इन्हें गलत 
एसडीएम ने अपनी रिपोर्ट में साफ उल्लेख किया है कि आराजी क्र. 751/2 रकबा 10 डिसमिल लक्ष्मीबाई , 751/3 रकबा 10 डिसमिल गोरेलाल व 751/4 रकबा 15 डिसमिल कुल 35 डिसमिल(0.35 एकड़)की प्रविष्टियां सही हैं लेकिन 751/1 ,751/5 तथा 751/6 के सभी सम्मिलित खसरा नंबर गलत व नियमविरूद्ध प्रविष्टियां जिन्हें शासन हित में मप्र शासन दर्ज किया जाना चाहिए। एसडीएम की इसी रिपोर्ट के आधार पर कलेक्टर ने यहा 123 लोगों को नोटिस भेजी है। 

चारदीवारी के अंदर पोल 
जहां पर बिली विभाग के ट्रांसमिशन कंपनी का प्रवेश द्वार है उसी के निकट एक बड़ी चारदीवारी के भीतर गड़े बिजली के खंभे व ट्रांसमीशन लाइन बताती है कि किस प्रकार से यहां की जमीन पर अतिक्रमण किया गया है। बताया जाता है कि चारदीवारी समेत कई मकान ऐसी ही जमीन पर बने हैं जिन्हें उस दौर के राजस्व कर्मचारियों व कंपनी कर्मचारियों ने कब्जा करा दिया था। अब हालात यह हैं कि सरकारी भवनों के लिए भी यहां जमीन नहीं है। 

क्या है मामला 
इस मामले को जिला प्रशासन ने संजीदगी से लेते हुए हाल ही में जांच कराई है। एसडीएम द्वारा इस मामले की जांच कराने के बाद जो रिपोर्ट कलेक्टर को 15 फरवरी को दी गई उसके अनुसार तहसील रघुराजनगर के अमौधाकला हल्का अंतर्गत आराजी क्र. 751 स्थित है जिसका रकबा बंदोबस्त रिकार्ड में (1958-59 में)40.26 एकड़ दर्ज है। बाद में इसके चार बटांक कर आराजी को आंवटित किया गया। यदि 1963 से 69 तक के राजस्व अभिलेखों को देखें तो इसके चार बटांकों में से 751/1 रकबा 39.51 एकड़ मप्र शासन , 751/2 रकबा 10 डिसमिल लक्ष्मीबाई , 751/3 रकबा 10 डिसमिल गोरेलाल व 751/4 रकबा 15 डिसमिल दुइजीराव के नाम दर्ज पाया  गया।

वर्ष 1963-68 में इसके 5 बटांक हो गए और से 751/1 रकबा 13.91 एकड़ मप्र शासन ,751/2 रकबा 10 डिसमिल लक्ष्मीबाई , 751/3 रकबा 10 डिसमिल की जगह रहस्यमयर अंदाज में 50 डिसमिल जमीन गोरेलाल के नाम पर दर्ज हो गई।  इसी प्रकार आराजी क्र. 751/4 रकबा का 15 डिसमिल का रकबा अचानक 25 डिसमिल का दुइजीराव के नाम दर्ज कर दिया गया जबकि एक और बटांक कर आराजी क्र. 751/5 रकबा 25 एकड़ थर्मल स्टेशन के नाम दर्ज कर दिया गया । इस आराजी पर बटांक का खेल यहीं नहीं रूका बल्कि 1969-1973 के खसरे में और बटांक सामने आ गए।

इस अवधि का खसरा बताता है कि से 751/1 रकबा 13.91 एकड़ मप्र शासन , 751/2 रकबा 10 डिसमिल लक्ष्मीबाई , 751/3 रकबा 10 डिसमिल गोरेलाल व 751/4 रकबा 15 डिसमिल दुइजीराव के नाम जबकि 751/5 रकबा 1 एकड़ मोहन शंभू कायस्थ के नाम दर्ज हो गया जबकि पांचवा बटांक थर्मल स्टेशन के नाम दर्ज था। थर्मल स्टेशन को इस अवधि के खसरे में 751/6 रकबा 25 एकड़ दर्ज किया गया।

फिलहाल नोटिस जारी की गई है। इस मामले में ट्रांसमिशन कंपनी से भी जवाब मांगा गया है। इसकी जांच चल रही है। जांच रिपोर्ट आने के बाद  नियमपरक कार्रवाई की जाएगी। 
अजय कटेसरिया, कलेक्टर