अवैध उत्खनन: बालू के लिए खोद रहे पहाड़ों का सीना

सतना | बालू के लिए नदियों का सीना छलनी करने वाले अवैध खननकारी अब पहाड़ों का सीना खोद रहे हैं। वन विभाग द्वारा चलताऊ एहतियाती उपाय करने के बाद उत्खनन का शिकार हो रहे पहाड़ को नजरंदाज करने के कारण अवैध उत्खननकारियों के पौ-बारह हैं। मामला सिंहपुर रेंज के कोठी सर्किल अंतर्गत आने वाली ढाली बीट स्थित लड़हरा पहाड़ का है जिसका सीना अवैध उत्खनन कर चाक -चाक किया जा रहा है। 

अब इसे वन विभाग की उदासीनता कहें अथवा अवैध उत्खननकारियों की दबंगई कि झाली बीट पी-कंपार्टमेंट 221 व 223 स्थित लेड़हरा पहाड़ में जहां जहां तक नजरें जाती हैं अवैध उत्खनन के बड़े-बड़े गड्ढे ही नजर आते हैं। कभी हरा-भरा नजर आने वाला लेड़हरा का बलुआ पहाड़ अब विभागीय उदासीनता व अवैध खननकारियों की दबंगई के कारण खदान में बदल गया है। बताया जाता है कि बलुआ होने के कारण यहां उत्खनन कर यहां की बालू को बेचा जाता है। यह बालू सिंहपुर, रैगांव, करसरा, कोठी समेत आसपास के गांवों में ही नहीं बल्कि पहाड़ीखेरा, देवेंद्रनगर व पन्ना तक धड़ल्ले से बेची और खरीदी जाती है। 

नाली खोदकर निभाते हैं ड्यूटी
ग्रामीणों ने बताया कि वन विभाग के अधिकारी अवैध खननकारियों के ट्रैक्टर व ट्रकों को लेड़हरा पहाड़ तक पहुंचने से रोकने के लिए नीचे नालियां खुदवाकर अपने कर्त्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं। सिंहपुर संवाददाता द्वारा जुटाई गई जानकारी के अनुसार खननकारी इन नालियों को पाटते हैं और पहाड़ तक ट्रैक्टर ले जाकर बालू का परिवहन कर लेते हैं।  वन विभाग के अधिकारी नाली खोदने के बाद उत्खनन की सूचना के बाद भी मौके पर नहीं पहुंचते हैं। गौरतलब है कि अर्सा पूर्व अवैध उत्खनन कर रहे एक ऐसे ही ट्रैक्टर के पलट जाने से एक व्यक्ति की मौत हो चुकी है। संभवत: विभाग को ऐसे ही किसी हादसे का इंतजार है जिसके बाद संभवत: विभाग चेतेगा और तेजी से खदान में तब्दील हो रहे लेड़हरा पहाड़ को बचाने की कवायद करेगा। 

जंगल में बन रहे घर 

एक ओर वन विभाग वन भूमियों को अतिक्रमणमुक्त करने की कवायद कर रहा है तो दूसरी ओर लेड़हरा पहाड़ की वन भूमि पर खनन के साथ अतिक्रमण भी हो रहा है। कुछ लोगों ने घर बनाना शुरू कर दिया है जिसे विभागीय अधिकारी नजरंदाज कर रहे हैं। वन भूमियों पर अतिक्रमण के लिए खास तरीका निकाला जाता है। पहले गरीबों की आड़ में झोपड़ियां खडीÞ की जाती हैं फिर धीरे-धीरे पक्की संरचनाएं तैयार कर ली जाती हैं। मझगवां रेंज में प्राचीन घोड़ादेवी मंदिर में इसी प्रकार पहले झोपड़ी फिर सुविधा के नाम पर पक्का भवन वन भूमि पर तान लिया गया है। कुछ ऐसा ही खेल लेड़हरा पहाड़ में भी खेलने की तैयारी की जा रही है। हैरानी है कि रेंजर हरिंचंद्र गौड़ और डिप्टी रेंजर नीलांबुज पांडेय खनन और अतिक्रमण पर अंकुश लगा पाने में नाकाम साबित हो रहे हैं। 

यह सही है कि लेड़हरा में अवैध उत्खनन होता है, जिस पर हमने कई बड़ी कार्रवाइयां भी की हैं। कई वाहन पकड़े और राजसात भी कराए गए हैं। हम पहाड़ पर नजर रखे हुए हैं। दो तरफ से पहाड़ को सुरक्षित किया गया है जबकि दो दिशाओं का प्रस्ताव गया है। जल्द ही पहाड़ को हम चारो ओर से सुरक्षित कर देंगे। यहां वृक्षारोपण करा पहाड़ को सेफ किया जाएगा। 
हरिचंद्र गौड़, रेंजर सिंहपुर रेंज