हाईकोर्ट के आदेश से खिलवाड़ कर रहे पीडब्लूडी विभाग के अधिकारी

सतना | लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने हाईकोर्ट के आदेश से लगातार खिलवाड़ कर रहे हैं। इसका उदाहरण हाईकोर्ट के दो आदेशों के परिपालन की प्रक्रिया देखकर ही समझा जा सकता है। पिछले एक लम्बे समय से यहां के कार्यपालन यंत्री की कुर्सी विवादों में रही है ,मगर ईएनसी रहे पी.सी. अग्रवाल समेत अन्य अधिकारियों ने अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए हाईकोर्ट जैसी कानून पालिका के आदेशों को खिलवाड़ बना रखा है।

4 माह पूर्व हाईकोर्ट ने सतना ईई रहे बीके विश्वकर्मा के इसी पद पर बने रहने संबंधी आदेश को हाईकोर्ट ने निरस्त करते हुए एचएल वर्मा के पक्ष में निर्णय दिया था , किन्तु इस आदेश का पालन कराने के लिए सत्ता पक्ष के तीन एवं कांग्रेस के एक विधायक को तारांकित, अतारांकित और ध्यानाकर्षण के जरिए कई प्रश्न विधानसभा में लगाने पड़े।

जबकि उच्चतम न्यायालय का स्पष्ट आर्डर था, मगर इस मामले में विधानसभा जैसे शीर्ष सदन को गुमराह करने वाले पीडब्लूडी के अधिकारियों ने उपयंत्री एके निगम के मामले में महज स्टे आर्डर को आधार बनाकर  जल्दबाजी में हवाई पट्टी निर्माण में हुए भ्रष्टाचार को दबाने के लिए उपयंत्री निगम की ज्वाइनिंग करा दी। ईएनसी से लेकर संभागीय अधिकारी न्यायालय के स्पष्ट निर्देश का आज तक पालन नहीं करा पाए।

यह दीगर बात है कि कोर्ट के निदेर्शानुसाार कलेक्टर अजय कटेसरिया ने एचएलवर्मा को एक तरफा कार्यपालन यंत्री का प्रभार देते हुए उन्हें डीडीओ पावर भी दे दिया। किन्तु उपयंत्री एके  निगम के मामले में महज स्थगन आर्डर को आधार बनाकर अब तक ईएनसी रहे पीसी अग्रवाल ने उपयंत्री की  की ज्वाइनिंग करा दी और अधीक्षण यंत्री व्हीके झा ने नियमविरूद्ध एडीओ नागौद का प्रभार सौंप दिया।

इस मामले में अफसरों ने अपने ही विभाग के उस नियम को भी दर किनार कर दिया जिसमें किसी उपयंत्री को एक साथ दो प्रभार नहीं दिए जाने का उल्लेख हैं किन्तु इंजीनियर एके निगम को सतना हवाई पट्टी, परसमनिया के अलावा सतना उपसंभाग में 14 महत्वपूर्ण कार्यो में कई माह तक बतौर उपयंत्री बनाए रखा। इतना हीं नहीं निगम को नागौद का प्रभारी एसडीओ का भी इसी दौरान प्रभार दे दिया गया था। यह सारे आदेश तात्कालीन सीई., जीआर गुजरे एवं मौजूदा अधीक्षण यंत्री व्हीके झा द्वारा किए गए।

और अब फंसी अधीक्षण यंत्री की गर्दन

अधीक्षण यंत्री व्हीके  झा ने अपने आदेश में उपयंत्री एके निगम की ज्वाइनिंग को अनुमोदित किए जाने का उल्लेख करते हुए हाईकोर्ट में दायर अपील प्रकरण क्रमांक 755/2021 में पारित स्थगन आदेश दिनांक 26 फरवरी का हवाला देते हुए लिखा कि आदेश क्रमांक 1232 दिनांक 22 दिसम्बर के निलंबन आदेश के प्रभाव एवं संचालन निष्प्रभावी रहेगा। इतनी ही नहीं कार्यपालन यंत्री एचएल वर्मा के पत्र क्रमांक 16789/90 दिनांक 23 मार्च 2021 को भी निष्प्रभावी करते हुए उपयंत्री पुष्पेन्द्र सिंह को संभागीय मुख्यालय अटैच कर दिया।

जबकि पुष्पेन्द्र सिंह की पदस्थापना ईएनसी द्वारा की गई थी। ऐसे में सवाल उठता है कि ईएनसी के आदेश की अनदेखी कर लेन-देन के खेल के बीच अधीक्षण यंत्री अपने कार्य का दायरा कैसे भूल गए? हालांकि इस मामले की शिकायत शीर्षस्तर तक पहुंच गई है, ऐसे में पिछले लगभग साढ़े पांच वर्ष से अधीक्षण यंत्री के पद पर जमें व्हीके झा की गर्दन अब फंसती नजर आ रही है।

अब सीएम की नजर

इस मामले में लोक निर्माण विभाग पूर्व मंत्री के दखल देने के बाद सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान मामले से सीधे जुड़ गए हैं। हवाई पट्टी के निर्माण को लेकर सांसद गणेश सिंह जहां शुरू से गंभीर रहें, वहीं सत्ता पक्ष के विधायक जुगुल किशोर बागरी, प्रदीप पटेल एवं नारायण त्रिपाठी के अलावा कांग्रेस विधायक विजय राघवेन्द्र सिंह ने विधानसभा में कई सवाल लगाए जिसके जवाब में यह जानकारी भेजी गई कि न्यायालय के निदेर्शों का पालन किया जा रहा हैं, मगर विश्वकर्मा एवं वर्मा के बीच जारी कुर्सी की जंग में आज तक विभागीय दिशा-निर्देश जारी नहीं किए गए। उधर बड़े स्तर पर कार्यवाही न होता देख अधीक्षण यंत्री ने प्रभारी एसडीओ नागौद पुष्पेन्द्र सिंह को अपने संभागीय कार्यालय में अटैच करने का आदेश जारी कर दिया।