स्कूल शिक्षा विभाग का फरमान, फीस नहीं जमा की तो पिछली कक्षा में ही रह जाएंगे छात्र
रीवा | स्कूल शिक्षा विभाग ने आगामी परीक्षाओं को लेकर सभी जिलों के कलेक्टर, जेडी, संचालक और डीईओ को आदेश जारी किया है। जिसमें यह बताया गया है कि अगर बच्चों के अभिभावक स्कूल फीस जमा नहीं कर पाते हैं तो उनके बच्चों को अगली कक्षा में प्रमोट न किया जाए। यानी कि जो गरीब अभिभावक अपने बच्चों को जैसे-तैसे स्कूल भेज रहे हैं और उनके पास फीस जमा करने के लिए पैसे नहीं हैं तो उनके बच्चे उसी कक्षा में रह जाएंगे।
विभाग का कहना है कि हाईकोर्ट ने शिक्षण शुल्क जमा करने का आदेश दिया है इसके बाद भी अभिभावक फीस नहीं जमा कर रहे हैं जो कि सही नहीं है। सरकार ने कोरोना संक्रमण काल में निजी विद्यालयों को केवल शिक्षण शुल्क लेने की अनुमति दी थी। वहीं नवमीं से बारहवीं की जिन कक्षाओं का संचालन नियमित रूप से शुरू हो गया है उनमें जनवरी से सत्र के अंत तक शिक्षण शुल्क के अतिरिक्त अन्य गतिविधियों की भी फीस ली जा सकेगी।
फीस देने की स्थिति में नहीं हैं हजारों अभिभावक
गौर करने वाली बात यह है कि कोरोना महामारी ने बड़े-बडे धन्नासेठों की कमर तोड़कर रख दी है। वहीं जो पहले से ही दो वक्त की रोटी के मोहताज हों और जैसे-तैसे अपने बच्चों को निजी स्कूल में पढ़ाकर उन्हें बेहतर शिक्षा देने की कवायद में लगे हों उनके अरमानों को विभाग चकनाचूर करने में लगा हुआ है। पता चला है कि निजी स्कूलों में ऐसे हजारों आवेदन पहुंचे हैं जिनमें अभिभावकों ने संचालकों को यह पत्र लिखा है कि उनकी फीस माफ कर दी जाए या फिर वर्तमान एडमीशन को कैंसिल कर दिया जाए।
एक तरफ सरकार और विभाग गरीब से गरीब बच्चे को पढ़ाने और बेहतर शिक्षा देने की बात करती है और दूसरी ओर सिर्फ पैसों की कमी के चलते स्कूली छात्रों का एक साल बर्बाद करने की बात करती है। जाहिर है कि स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों का भी अध्यापन एक रोजगार है। फीस न मिलने से उन्हें भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा मगर स्कूल शिक्षा विभाग ने सीधा यह फरमान जारी कर दिया है कि जो फीस जमा न कर पाए उस बच्चे को प्रमोशन नहीं दिया जाए।
मार्च से होंगी सीबीएसई की बोर्ड परीक्षाएं
पता चला है कि जिले में सीबीएसई स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की बोर्ड परीक्षाएं फरवरी महीने के बाद ही होंगी। जिनमें प्रेक्टिकल को भी शामिल किया गया है। गौरतलब है कि सामान्य दिनों में सीबीएसई की प्रेक्टिकल परीक्षाएं जनवरी में ही संपन्न हो जाती थीं और लिखित परीक्षाएं 15 फरवरी से प्रारंभ हो जाती थीं। कोरोना के चलते स्कूलों की पढ़ाई जिस तरह से प्रभावित हुई है, उसमें बोर्ड परीक्षाएं फरवरी तक संभव नहीं हैं। परीक्षाएं थोड़ा और देरी से आयोजित करने से छात्रों को तैयारी के लिए समय मिलेगा।
कोचिंग सेंटर अब भी बंद
स्कूल शिक्षा विभाग ने बोर्ड परीक्षाआें को लेकर दसवीं, बारहवीं की कक्षाएं शुरू कर दी हैं। वहीं कई स्कूलों में नवमीं से लेकर बारहवीं की भी कक्षाएं संचालित हो रही हैं। जाहिर है कि कोरोना के कारण स्कूलों के दरवाजे अब तक बंद थे। साथ ही कोचिंग सेंटर को भी इसी कारणवश बंद कर दिया गया है। मगर अब कोचिंग संचालक यह मांग उठा रहे हैं कि जब स्कूलें लगने लगी हैं तो कोचिंग क्यों नहीं चल सकती हैं। आखिर बोर्ड परीक्षा की तैयारी के लिए बच्चे स्कूल से ज्यादा कोचिंग पर ही निर्भर होते हैं। हालांकि अधिकारिक रूप से बहुतायत कोचिंग संस्थान बंद हैं मगर गुपचुप तरीके से कई ट्यूशन और कोचिंग संचालित हो रही हैं।