उद्यानिकी विभाग ने किसानों को छोड़ा बेसहारा
सतना | भोपाल से दिल्ली तक किसानों की आय दोगुनी करने के दावे के बीच प्रदेश के उद्यानिकी विभाग ने सब्जी व फल का उत्पादन करने वाले किसानों को बेसहारा छोड़ दिया है। सरकार का खजाना खाली है लिहाजा कोरोना का बहाना लेकर सरकार ने एक अघोषित संदेश किसानों को दे दिया है कि आप सरकार के भरोसे पर न रहें, खुद सोचें, अपने जेब से खर्च करें और फल सब्जी जो भी उगाना है उगायें। सरकार कैसी योजना पर काम कर रही है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अकेले सतना जिले में विभाग की नौ प्रमुख योजनाएं हैं पर चालू वित्तीय वर्ष के 9 महीने गुजरने के बाद भी एक भी हितग्राही को लाभ नहीं मिल पाया क्योंकि लक्ष्य ही जारी नहीं हुए। सिर्फ एक योजना ड्रिप सिंचाई के लक्ष्य 10 दिन पहले आये हैं पर उसकी लागत इतनी अधिक हैं कि किसान हिम्मत ही नहीं जुटा पा रहा।
सब्जी, मसाला सहित फलों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए जिले में स्थापित उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग इन दिनों बिना योजनाओं का विभाग बनकर रह गया है। हालत यह है कि दिसंबर का महीना समाप्त होने को है पर एक भी जरूरी योजना की कार्ययोजना नहीं बन पाई। इसका प्रमुख कारण प्रदेश से जिला कार्यालय को किसी भी योजना के लक्ष्यों का प्राप्त न होना बताया जा रहा है। कुल मिलाकर विभाग ने जिले के किसानों को उस स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है कि खुद योजना बनाओ, बाजार से महंगी दर पर बीज खरीदों और फसल लो।
सूत्रों की माने तो विभाग के पास फल का बगीचा लगाने, सब्जी व मसाला क्षेत्र का विस्तार करने, कृषक प्रशिक्षण सह भ्रमण, व्यावसायिक उद्यानिकी फसलों की संरक्षित खेती को प्रोत्साहित करना, उद्यानिकी विकास के लिये यंत्रीकरण को बढ़ावा देना, मौसम आधारित फसल बीमा योजना, खाद्य प्रंसस्करण उद्योगों के लिये विशिष्ट वित्तीय सहायता तथा किचेन गार्डेन जैसी योजनाएं हैं जो किसानों की आय को बढ़ा सकती हैं। लेकिन सरकार द्वारा खजाना खाली होने के चलते किसी भी योजना को बढ़ाने में रुचि नहीं ली जा रही। इन योजनाओं में सिर्फ ड्रिप सिंचाई के लिये इसी माह 50 हैक्टेयर का लक्ष्य मिला है और लागत अधिक होने के चलते किसान रुचि नहीं ले रहे। सिर्फ एक आवेदन रामपुर के एक किसान का आया है।
पॉली हाउस से लेकर ट्रैक्टर तक में अनुदान
सरकार द्वारा किसानों को लाभ पहुंचाने के लिये कृषि विभाग की तरह ही उद्यानिकी बिभाग सब्जी व फल की फसल लेने वाले किसानों के लिये काफी महत्वपूर्ण विभाग समझा जाता है लेकिन पिछले कुछ सालों से सरकारी नीतियों ने इस विभाग को बेकाम जैसा कर दिया है। सतना से लेकर भोपाल तक विभाग के पास स्टॉफ का टोटा है और काम न होने के साथ पूरा विभाग ही प्रभार पर चल रहा है। यह विभाग जहां किचेन गार्डेन के नाम पर किसानों को मुफ्त में सब्जी बीज देता था वहीं इसके द्वारा जिले में पता नहीं कितने पॉली हाउस-ग्रीन हाउस प्याज के भण्डार गृह तक बनवाये गये हैं। उद्यानिकी में यंत्रीकरण को बढ़ावा देने के लिये छोटे पावर ट्रिलर से लेकर बड़े ट्रैक्टर तक अनुदान में उपलब्ध कराये जा चुके हैं पर अब हालत यह है कि विभाग के पास 75 रुपये का सब्जी किट भी गरीब किसानों को देने के लिये बजट नहीं है।
कोरोना के चलते विभाग की योजनाओं का काम शुरूआती समय प्रभावित हुआ था पर अब सब कुछ रूटीन में आ गया है। सभी योजनाओं के लक्ष्य जिला कार्यालयों के पास उपलब्ध हैं। किसान अपनी पात्रता के अनुसार उनका लाभ ले सकते हैं।
मनोज अग्रवाल, संचालक उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण
विभाग में पिछले महीने ही कोल्ड स्टोर और ड्रिप सिंचाई योजना के लक्ष्य आये हैं। फिलहाल अभी अन्य योजनाओं के लक्ष्य आने की उम्मीद भी नहीं दिख रही। कोरोना के चलते विभागीय योजनाओं के काम प्रभावित हो रहे हैं।
जेपी कुल्हेकर, संयुक्त संचालक उद्यान रीवा
अधिकांश अनुदान योजनाओं के लक्ष्य भोपाल से अभी तक प्राप्त नहीं हुए। ड्रिप सिंचाई का लक्ष्य इसी माह मिला है। किसानों को भ्रमण के कार्यक्रम भी चालू हुए हैं। जैसे ही लक्ष्य आते जाएंगे योजनाओं का लाभ किसानों तक पहुंचाया जाएगा।
अनिल सिंह, उप संचालक उद्यानिकी