शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज: स्टाफ की कमी घटा सकती है ग्रेडिंग

रीवा | शासकीय अभियांत्रिकीय महाविद्यालय ने वर्ष 2020 में एनबीए मूल्यांकन की सारी तैयारियां कर ली थीं। गत वर्ष 27 मार्च को टीम का निरीक्षण भी तय था मगर कोरोना के कारण लागू हुए लॉक डाउन ने सारी योजनाओं को चौपट कर दिया। अब एनबीए की तरफ से जवाब आ गया है कि वह शैक्षणिक सत्र 2020-21 में मूल्यांकन करने नहीं पहुंचेगी बल्कि नए सत्र में मूल्यांकन के लिए आएगी। ऐसे में इंजीनियरिंग कॉलेज प्रबंधन चिंता में पड़ गया है।

मूल्यांकन में ग्रेडिंग घटने का डर है। क्योंकि मार्च के बाद इंजीनियरिंग कॉलेज का स्टाफ आधे से भी कम हो जाएगा। वर्ल्ड बैंक की योजना इक्विप के तहत पढ़ाई का काम करा रहे लगभग 30 शिक्षक हट जाएंगे और इंजीनियरिंग कॉलेज में नियमित प्रोफेसरों की संख्या घटकर लगभग 25 पहुंच जाएगी।

नियमित कक्षाएं संचालित न होने से दिक्कत
टीम तभी निरीक्षण करती है जब कक्षाएं नियमित रूप से संचालित हों। इंजीनियरिंग कॉलेज में भौतिक कक्षाएं अब तक शुरू नहीं हो सकी हैं। तकनीकी शिक्षण ने भौतिक कक्षाएं प्रारंभ करने की अनुमति नहीं दी है। गौरतलब है कि कॉलेज में 14 मार्च से कक्षाएं बंद हैं और कॉलेज में भौतिक रूप से अध्ययन-अध्यापन का कार्य अगले सत्र से ही संभावित लग रहा है। यही वजह है कि एनबीए की टीम ने इस सत्र में मूल्यांकन करने से मना कर दिया और कक्षाएं संचालित होने के बाद निरीक्षण करने की बात कही। पता चला है कि अगले सत्र जुलाई माह में टीम के आने की उम्मीद है मगर तब तक इंजीनियरिंग कॉलेज के लिए काफी देर हो जाएगी।

प्रत्येक विभाग पर खर्च किए थे 90 हजार
गत वर्ष कॉलेज को मूल्यांकन की सूचना दी गई थी। इसके बाद महाविद्यालय द्वारा विभागवार तैयारी की गई। अधोसंरचना, लैब, लाइब्रेरी, पोताई, फिटिंग कार्य में प्रबंधन ने लगभग 5 लाख रुपए खर्च कर दिए जो वर्ल्ड बैंक द्वारा उपलब्ध कराया गया था। वहीं लगभग 90 हजार रुपए प्रति विभाग की मरम्मत में खर्च किए गए। मगर एनबीए की टीम नहीं पहुंची। ऐसे में कॉलेज द्वारा की गई यह व्यवस्थाएं बेकार हो गर्इं। क्योंकि एनबीए का मूल्यांकन अगले सत्र जुलाई अगस्त में होने की संभावना है। तो इंजीनियरिंग कॉलेज को पांच महीने में फिर से सारी व्यवस्थाओं को दुरुस्त करना होगा।