ऊर्जा संरक्षण दिवस आज, फिर से केवल होंगी बातें
सतना | आज ऊर्जा संरक्षण दिवस है। इस अवसर पर पुन: ऊर्जा संरक्षण की बड़ी बड़ी बातें की जाएंगी । ऐसा हर साल होता है। मगर, ऊर्जा संरक्षण केवल भाषणों में ही होता है। हालात यह हैं कि एशिया के सबसे बड़े सोलर प्लांट की मौजूदगी वाले विंध्य में ही सौर ऊर्जा के प्रति लोगों की दिलचस्पी नहीं है। इसके लिए लोगों की मानसिकता के साथ सरकारी की उदासीनता भी जिम्मेदार है जिसने सौर ऊर्जा के इस्तेमाल के लिए लोगों का आह्वान तो किया लेकिन वैसे जागरूकता कार्यक्रम नहीं चलाए ताकि कार्यक्रमों से विंध्यवासी समझते कि सौर ऊर्जा का उपयोग क्यों आवश्यक है।
शो-पीस बनकर खड़े हैं सोलर पैनल
सरकारी स्तर पर सौर ऊर्जा को लेकर हो रही उपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में लगाए गए सोलर पैनल धूल फांक रहे हैं। मझगवां क्षेत्र के बिछियन, कड़ियन, समेत कई स्थलों पर सोलर पेनल लगाकर बिजली आपूर्ति करने के प्रयास हुए । शुरूआत के छ माह तक तो पैनल काम करते रहे लेकिन फिर मेंटेनेंस के अभाव में बंद हो गए। तब से कोई यह झांकने तक नहीं पहुंचा कि सोलर पैनल चल भी रहे हैं या नहीं। कमोबेश यही हाल विधायक व सांसद मद से जिले के विभिन्न स्थलों पर लगाए गए सोलर पैनलों का भी है।
विंध्या बोर्ड ने पेश की है नजीर
ग्राम पंचायत गाढ़ा स्थित विंध्य बोर्ड्स ने पेपर प्लांट के लिए सरकारी बिजली पर निर्भरता कम रखने वैकल्पिक उर्जा स्त्रोत पर भी बल देकर वैकल्पिक ऊर्जा के इस्तेमाल के मामले में नजीर पेश की है । प्रबंधन ने पेपर प्लांट परिसर में साढ़े चार एकड़ क्षेत्र में 750 किलोवाट क्षमता का समुन्नत सोलर प्लांट तैयार किया है, जो सूर्य की किरणों की दिशा परिवर्तित करने के साथ ही अपने पैनल की दिशा बदलने में सक्षम है। इसके लिए बीएफडी फनल भी लगाया है जो बिजली के उपयोग को नियंत्रित करता है। साथ ही सोलर इलेक्ट्रिसिटी को कंटोल करने कंट्रोल पैनल भी तैयार किए गए हैं।
आम के आम गुठलियों के दाम की तर्ज पर पेपर सुखाने के लिए बनाएगए ब्वायलर में एक टर्बाइन भी लगाई गई है जिससे 200 किलोवाट बिजली उत्पादित करने का लक्ष्य प्रबंधन ने रखा है। यदि ऐसी ही सोच के साथ अन्य औद्योगिक इकाइयां भी काम करें तो सौर्य उर्जा के उपयोग को बढ़ावा जा सकता है। सरकार भी उद्योग संचालन के लिए कुछ फीसदी सौर्य उर्जा के इस्तेमाल को बाध्य कर सौर्य उर्जा की खपत को बढ़ा सकती है।
ऐसे बचाएं ऊर्जा
- जब उपयोग में न हो, मशीनों, बत्तियों, हीटरों को बंद रखें।
- ट्यूब लाईट, बल्वों तथा अन्य उपकरणों पर जमी हुई धूल को नियमित रूप से साफ करें।
- हमेशा आईएसआई मुहर लगे बिजली उपकरणों और साधनों का प्रयोग करें।
- अपनी ट्यूब लाइट और बल्बों को ऐसी जगह लगाएं जहां प्रकाश आने में दिक्कत न हो।
- ऊर्जा बचाने के रोशनी के लिए एलईडी लाइट, ट्यूब लाइट में इलेक्ट्रॉनिक चोक और स्टार रेटिंग बिजली उपकरणों का प्रयोग करें।
- खाना बनाने में ऊर्जा क्षमतावाले चूल्हों का प्रयोग करें।
- खाना बनाते समय बर्तन को ढक कर रखें। इससे खाना बनाते समय ऊर्जा की बचत होती है।
- खाना बनाने से पहले अनाज को भिगोये रखें।
मैं जिले के सभी बिजली उपभोक्ताओं से आग्रह करता हूं कि वे कम वाट के बल्बों का इस्तेमाल करें तथा ऐसे एसी, कूलर व अन्य बिजली उपकरणों का उपयोग करें जिनमें बिजली खपत न्यूनतम हो। हर व्यक्ति को अपने दैनिक जीवन में उपयोग होने वाले पंखे, लाइट, हीटर या अन्य बिजली के उपकरणों का अनावश्यक इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। बिजली के तमाम उपकरणों का कम से कम उपयोग ऊर्जा संरक्षण अभियान को सफल बनाने में अहम भूमिका निभा सकता है और भविष्य में उत्पन्न होने वाले ऊर्जा संकट को दूर करने में मददगार साबित हो सकता है।
केके सोनवाने, अधीक्षण यंत्री मप्रपूविक्षेकं.
पावर जनरेशन के सभी स्त्रोतों से जो उर्जा मिल रही है उसका अधिक से अधिक सदुपयोग होना चाहिए। केंद्र सरकार एलईडी लाइट वितरित करने और सौर्य उर्जा को प्रोत्साहित करने की कई योजनाएं चला रही है जिसका लाभ उठाकर राष्टÑ की उर्जा बचाने में हम योगदान दे सकते हैं। इसकी शुरूआत सोलर रूफ टाप जैसी व्यवस्थाएं कर घर से ही होनी चाहिए ।
योगेश ताम्रकार, उपाध्यक्ष, मप्र चेंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज
वैकल्पिक उर्जा के मामले में सौर्य उर्जा सबसे बेहतर विकल्प है, लेकिन सरकार ही इसके प्रति उदासीन है। नियम बनाया गया था एक निर्धारित वाट से अधिक बिजली खपत पर औद्योगिक संस्थानों को सोलर प्लांट लगाने के लिए बाध्य किया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जागरूकता की दिशा में भी काम नहीं हुआ नतीजतन सौर्य उर्जा का उपयोग अभी भी चलन में नहीं आ सका है।
राजेश तिवारी, डिस्ट्रीब्यूटर पलक सोलर एजेंसी