दिव्य विचार: अकड़ो नहीं, झुकना सीखो- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

दिव्य विचार: अकड़ो नहीं, झुकना सीखो- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

मुनिश्री प्रमाण सागर जी कहते हैं कि बहुत कम लोग होते हैं, रिश्तों को तोड़ने के लिए तैयार हैं पर झुकने के लिये तैयार नहीं हैं। संत कहते हैं थोड़ी देर के लिये झुक जाओ जन्दगी भर सुखी रहोगे। और अकड़े रहोगे तो जिन्दगी उखड़ जायेगी। अकड़ो मत अकड़ोगे तो उखड़ जाओगे और झुकोगे तो सुखी रहोगे। जीवन को मोड़िये। कहीं भी किसी के साथ कुछ खटपट हो जाये तो सॉरी कहने में मत चूकिए और यह सॉरी मुँह वाली नहीं, अन्दर की क्षमा माँगिए। आज कल तो बड़ा इन सब चीजों पर ध्यान चल रहा हैं। पश्चिम में डीवाईन फारगिवनेस और थैक्स गीविंग पर प्रयोग चल रहा हैं और यह कहते हैं कि आप सबको थेंक्स दें, सबको थेंक्स दें, पूरी प्रकृति को थेंक्स दें। ये आपके अंदर की पूरी नेगेटिविटीज को खत्म करती हैं और फारगिवनेस हो, उसको उन्होंने नाम दिया - डीवाईन फारगिवनेस, क्षमा, दिव्य क्षमा। यह सॉरी कोई कितना भी करें हम बातों को इग्नोर करने में सक्षम बने और अगर हमसे कोई चूक हो तो हम उसको क्षमा माँगने में रन्च मात्र भी संकोच न करे। यह धारा हमारे भीतर विकसित होनी चाहिये। वे इस तरह की धारा हमारे अंतर में प्रवाहित होती हैं तो हमारा जीवन धन्य हो जाता हैं। हमारे जीवन में दिव्यता का संचार होगा। हम अपने जीवन में उसे विकसित करने की कोशिश करे। हम प्रेम बढ़ाना चाहते हैं तो पहली बात धन्यवाद दें दूसरी बात प्रशंसा करें तीसरी बात सॉरी कहना सीखें औरी चौथी बात जो बहुत महत्वपूर्ण हैं स्माईल दें, मुस्कुराहट दें। एक स्माईल पूरे वातावरण को बदल देती हैं। अक्सर देखते हैं लोग मुँह चढ़ाकर बात करते हैं। अपनो से, दूसरो से तो बड़े अच्छे से। अरे अगर घर परिवार में एक दूसरे को देखो तो प्रमोदभाव प्रकट होना चाहिये। चेहरे पर पहली मुस्कान होनी चाहिए।