गोपनीय विभाग की कुर्सी में सालों से जमे हैं कर्मचारी
रीवा | अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के प्रशासन का प्रबंधन डांवाडोल चल रहा है। हालात ऐसे हैं कि विश्वविद्यालय की गवर्नेस बाड़ी जो कि कार्य परिषद है उसके भी निर्देश का पालन नहीं हो पा रहा है। ज्ञात हो कि कार्य परिषद ने यह निर्देश दिए थे कि हर तीन साल में कर्मचारियों की पदस्थापना बदली जाए। बावजूद इसके विश्वविद्यालय के कई विभागों में ऐसे भी कर्मचारी हैं जो कई सालों से एक ही कुर्सी पर जमे बैठे हैं।
स्थिति कुछ ऐसी हो गई है कि उन कर्मचारियों के अंदर इतना आत्मविश्वास भर गया है कि वह न तो सही ढंग से कार्य संपादित करते हैं और न ही कभी सोचते हैं कि वह इस पद से हटाकर किसी और पद में भेजे जाएंगे। गोपनीय विभाग में कम से कम 8 कर्मचारी सालों से पदस्थ हैं। जिन्होंने अपनी सेवा का अधिकांश समय इसी विभाग में रह कर काट लिया है। जबकि कार्यपरिषद का निर्णय है कि 3 वर्ष के बाद पदस्थापना बदल दी जाय।
सहायक रजिस्ट्रार सालों से जमे
नियम यह है कि एक कर्मचारी एक कुर्सी पर तीन साल से ज्यादा पदस्थ नहीं रह सकता। उन्हें हर तीन साल में दूसरे विभाग में ट्रांसफर करना अनिवार्य है। हालात ऐसे हैं कि विश्वविद्यालय के सहायक रजिस्ट्रार बाबूलाल साकेत खुद दशकों से सहायक रजिस्ट्रार बने बैठे हुए हैं। इसके अलावा गोपनीय विभाग के विकास ताम्रकार, आरके वर्मा, प्रेमलाल गुप्ता, प्रेमशंकर तिवारी, रामहित, रचित गर्ग जैसे कई कर्मचारी हैं जो गोपनीय विभाग में पदस्थ हैं और उन्हें स्थानांतरित नहीं किया जाता।
स्थानांतरण के बाद कर लेते हैं साठगांठ
पता चला है कि विश्वविद्यालय में सालों से काम कर रहे कर्मचारी अधिकारियों से साठगांठ कर लेते हैं और उनका जब भी ट्रांसफर किसी दूसरे विभाग में होता है तो महज एक-दो महीने से अपना ट्रांसफर पुराने विभाग में करा लेते हैं। कुछ दिन पहले प्रेमशंकर तिवारी को गोपनीय विभाग से हटाकर अन्यत्र विभाग में ट्रांसफर कर दिया था मगर दो महीने के भीतर वह पुन: गोपनीय विभाग पहुंच गए। इसी प्रकार चपरासी और डेलीवेज के कर्मचारी भी अपने पद से कभी हटते ही नहीं हैं।