कम उम्र में अंधेपन की ओर धकेल रहा मोतियाबिंद
रीवा | मूलत: वृद्धों में होने वाला मोतियाबिंद का शिकार अब कम उम्र के लोग भी होने लगे हैं। युवा वर्ग इससे प्रभावित हैं। हर माह 5 से 7 मरीज सामने आ रहे हैं। समय पर आंखों की जांच न होने से इसका पता देरी से चलता है, जिसके कारण वह अंधत्व का शिकार हो जाते हैं। जिले में सभी उम्र के लोगों को देखा जाए तो हर वर्ष इस रोग से प्रभावित करीब 10 हजार मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं।
जिले में मोतियाबिंद के बढ़ रहे मरीजों के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। मोतियाबिंद के बढ़ रहे मरीजों की जांच के बाद विभाग मात्र आॅपरेशन तक सिमटकर रह गया है। इस बीमारी को रोकने का अभी तक कोई भी कारगर उपाय नहीं किया गया है। हालांकि विभाग का यह मानना है कि उम्र के साथ मोतियाबिंद होना कोई नई बात नहीं है परंतु विभाग का यह दावा तब गलत सिद्ध हो जाता है जब कम उम्र के लड़के-लड़कियों में इसका प्रभाव देखा जाता है। ऐसे में यह बात शोध करने जैसी है कि कम उम्र में भी मोतियाबिंद से ग्रसित हो रहे लोगों में आखिर क्या कमी है जो इसका कारण बन रही है। प्रति वर्ष 10 हजार से अधिक लोग मोतियाबिंद का शिकार हो रहे हैं। जिसके लिए मेडिकल कॉलेज के साथ-साथ जिला स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी कैम्प लगा कर आंखों के आॅपरेशन के लिए लोगों को पे्ररित करते हैं।
बड़े शहरों का रुख कर रहे मरीज
जिले में तेजी से मोतियाबिंद के मरीज बढ़ रहे हैं। इसमें 10 प्रतिशत मरीज कम उम्र के होते हैं। लेकिन जिले में अभी तक इसका कारगार आॅपरेशन या उपचार नहीं हो पा रहा है। जिसकी वजह से मरीज बड़े शहरों की तरफ रुख कर रहे हैं। ज्यादातर मरीज चित्रकूट के अस्पताल में जाकर आॅपरेशन कराते हैं।
हर माह लगाया जाता है कैम्प
जिला स्वास्थ्य विभाग एवं गांधी मेमोरियल अस्पताल में करीब-करीब हर माह मोतियाबिंद का कैम्प लगाया जाता है। लेकिन यहां पर ज्यादा मरीज नहीं आते हैं। वहीं रेडक्रॉस सोसायटी द्वारा भी लगातार कैम्प का आयोजन किया जाता है। यहां आने वाले ज्यादातर मरीजों को आॅपरेशन के लिए चित्रकूट के अस्पताल में भेजा जाता है।
मोतियाबिंद का कारण
- उम्र का बढ़ना
- डायबिटीज
- अत्यधिक मात्रा में शराब का सेवन
- सूर्य के प्रकाश का अत्यधिक एक्सपोजर
- अत्यधिक व लंबे समय तक धूम्रपान करना
मोतियाबिंद के लक्षण
- दृष्टि में धुंधलापन या अस्पष्टता
- बुजुर्गों में निकट दृष्टि दोष में निरंतर बढ़ोतरी
- रंगों को देखने की क्षमता में बदलाव
- रात में ड्राइविंग में दिक्कत आना
- दिन के समय आंखें चौंधियाना
- दोहरी दृष्टि (डबल विजन)
मोतियाबिंद किसी भी उम्र में हो सकता है। लेकिन 60 वर्ष से ऊपर के लोग इससे ज्यादा प्रभावित होते हैं। जिनका आंकड़े करीब 70 प्रतिशत हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों में कम उम्र के लड़के-लड़कियों में भी यह बीमारी तेजी के साथ बढ़ रही है।
डॉ. शशि जैन, नेत्र रोग विशेषज्ञ