दिव्य विचार: हर परिस्थिति में सहज रहें- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

दिव्य विचार: हर परिस्थिति में सहज रहें- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

मुनिश्री प्रमाण सागर जी कहते हैं कि जहाँ समस्या है, वहाँ दुःख है। आज इस बात को अपनी गाँठ में बाँधकर रखने की कोशिश कीजिए। दूसरी बात सहजता को अपनाएँ, हर स्थिति में सहज रहने की कला भीतर विकसित कीजिए। सहज कब रहेंगे? जब आप निमित्तों से अप्रभावित रहेंगे। आज आम आदमी को हम देखते हैं तो छोटी-छोटी बातों में असहज हो जाते हैं, अभी आपकी थोड़ी सी तारीफ करूँगा तो आपका चेहरा खिल उठेगा। तारीफ के दो शब्द सुनते ही चेहरा खिल गया, टिप्पणी कर दो तो खौल जाता है। क्या हुआ? पल मैं खिलने वाले को खौलते देर नहीं लगती। यह कैसी विडम्बना है कि तुम्हें कोई भी चाहे जब खिला सकता है और चाहे जब तुम्हें कोई भी खौला सकता है। पानी को खौलने में तो फिर भी थोड़ा वक्त लगता है, अस्सी डिग्री टेम्परेचर जाता है तब पानी खौलना शुरु होता है। पानी को खौलने में तो फिर भी वक्त लगता है पर व्यक्ति के चित्त को खौलने में कोई देर नहीं लगती। एक पल में खौल जाता है। सन्त कहते हैं- खिलो और खेलो, खौलते क्यों हो? अपने ऊपर अपना नियन्त्रण हो, तब इससे बच सकते हैं। लोग मुझ पर कोई टिप्पणी न करें, यह मेरे हाथ में नहीं है पर मैं लोगों की टिप्पणी से प्रभावित न होऊँ, यह तो मेरे हाथ में है। मैं आपसे पूछता हूँ- कोई तुम पर टिप्पणी करता है, प्रभावित क्यों होते हो? रोजमर्रा की जिन्दगी में आपके मन में जो दुःख या क्षोभ आता है। एक तो बुरी स्थितियों के कारण आता है या कोई बुरा व्यवहार कर देता तो आता है, दुर्वचन बोल दिया तो आता है। उसने मुझे ऐसा बोल दिया, आज तो दिमाग खराब हो गया। क्या हो गया? दुर्वचन बोल दिया तो देखो तो कोई उसके जितने भी पुर्जे और पार्ट्स निकालकर देखो, कोई खराब नहीं दिखेगा। अगर ब्रेन को खोलकर देखा जाए तो किसी के बोलने से दिमाग खराब होता हो, ऐसा तो किसी मेडिकल साइंस ने नहीं बताया।