दिव्य विचार: कोई भी कार्य लगन के साथ करो- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

दिव्य विचार: कोई भी कार्य लगन के साथ करो- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

मुनिश्री प्रमाण सागर जी कहते हैं कि आप अपनी लगन लगाइए। लगाव, ललक, लगन और जब लगन हो जाए तो मगन। बिना लगन के लीनता हो ही नहीं सकती। किस में लीन हो जाओ? अपने आपमें लीन हो जाओ, प्रभु में लीन हो जाओ, धर्म में लीन हो जाओ, काम हो जाएगा। लगन से काम करो और लीन होकर काम करो, लवलीन होकर काम करो। अगर हमारी लगन नहीं होगी तो हम लीन नहीं हो सकेंगे फिर चाहे लोक का कार्य हो या लोकोत्तर हित की बात हो। अभी मैंने आपको जो भी बातें बताई, आध्यात्मिक उन्नति के सन्दर्भ में बताई, यदि ये चारों बातें आपने आत्मसात कर लीं तो वह दिन दूर नहीं जब आप अपने जीवन में परिवर्तन घटित कर सको, अपने आप में रूपान्तरण घटित कर सको। जब तक यह बातें घटित नहीं होगीं, तब तक तो सब बातें आई-गई होगीं। यहाँ बैठे लोग वर्षों से प्रवचन सुनते हैं और प्रवचन सुनकर बड़ा आनन्द लेते हैं लेकिन मैं आपसे कहता हूँ- प्रवचन सुनकर आनन्द लेना, प्रवचन का आनन्द लेना और प्रवचन सुनकर जीवन को आनन्द से भरना इनमें बड़ा अन्तर है। प्रवचन का आनन्द लेना, प्रवचन सुनकर आनन्दित होना, इनमें अन्तर है। प्रवचन सुनकर जीवन को आनन्दित करो तब जीवन में स्थायी बदलाव होगा। वह तुम्हारे जीवन की सच्ची उपलब्धि बन सकेगी। उस दिशा में अपना पुरुषार्थ होना चाहिए, प्रयास होना चाहिए। हमें ऐसी लगन लगे कि उसके बिना मन बेचैन हो उठे। बन्धुओं ! बात लगाव से लीनता की है, लीन होइए। अपनी- अपनी भूमिका है। हम जब भी सत्य पथ पर आगे बढ़ें तो आज से ये संकल्प लें कि पहले चरण में लगाव को ललक में बदलें, ललक जागेगी तो लगन लगेगी, इसमें कोई संशय नहीं है। ललक जब लगन में परिवर्तित हो जाएगी तो लीन होने का अवसर अपने आप प्राप्त हो जाएगा। आज तक जो अपने भीतर लीन हुए हैं, वे इसी प्रक्रिया के तहत हुए हैं। किसी को क्रम से होता है, किसी को एकाएक होता है, मार्ग तो केवल और केवल यही है, हम इस मार्ग का अनुकरण करेंगे तभी अपना उत्कर्ष कर पाएँगे।