मुरैना: जहरीली शराब से अब तक 24 की मौत, जांच करने पहुंचे अफसर
मुरैना | मुरैना में जहरीली शराब ने तीन और लोगों की मौत के साथ मरने वालों की संख्या 24 पहुंच गई है। लापरवाही का आलम यह है कि जिस जगह से पुलिस ने शराब का जखीरा जब्त किया वहां छूटी शराब पीकर यूपी के एक बुजुर्ग सहित तीन की जान गई है। उधर गुरुवार को भोपाल से विशेष जांच दल मुरैना पहुंचा और पीड़ित परिवारों, अस्पताल में भर्ती मरीजों के अलावा पूर्व कलेक्टर व एसपी से भी पूछताछ की।
बुधवार-गुरुवार की रात छैरा भाजपा मंडल अध्यक्ष राजपाल सिंह किरार के चचेरे भाई पंजाब (50) पुत्र किशनचंद किरार की तबियत खराब हुई। इलाज के लिए ग्वालियर ले जाते वक्त रास्ते में उसने दम तोड़ दिया। कुछ देर बाद छैरा के ही रमेश (45) पुत्र चिलोई बाल्मिकी ने दम तोड़ दिया और फिर उत्तरप्रदेश के आगरा जिले स्थित जैतपुर-रैपुरा निवासी कैलाश (60) पुत्र रामसहाय वाल्मिकी की भी मौत हो गई।
गांव के बुजुर्ग जगदीश सिंह किरार ने बताया कि बुधवार की शाम पुलिस ने छैरा के सरकारी मैदान में रखी करब के नीचे से दर्जनों शराब की पेटी जब्त की थीं, वहां से रमेश वाल्मीकि एक पेटी में कुछ शराब के पौआ ले आया। रमेश के छोटे भाई विनोद के यहां कैलाश वाल्मिकी आया हुआ था। रमेश और कैलाश ने यही शराब पी और एक घंटे के अंतराल में दोनों ने दम तोड़ दिया। पंजाब सिंह ने भी रमेश से ही कुछ पौआ लिए थे।
एफआईआर की धाराओं से नाखुश जांच दल
गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा की अध्यक्षता वाली एसआईटी गुरुवार को गांवों में पहुंची। एडीजीपी पुलिस मुख्यालय ए सांई मनोहर और उप पुलिस महानिरीक्षक ट्रेनिंग मिथलेश शुक्ला के साथ टीम ने करीब एक घंटे तक मुरैना रेस्ट हाउस में हटाए गए कलेक्टर अनुराग वर्मा व एसपी अनुराग सुजानिया से पूछताछ की। राजौरा ने प्रभारी एसडीओपी वायपीएस रघुवंशी से पूछा कि आरोपितों पर क्या धाराएं लगी हैं। एसडीओपी ने आबकारी एक्ट की 49(ए) के अलावा 34(2) के तहत कायमी बताई। इससे अधिकारी असंतुष्ट हुए और कहा कि इन पर 420 की धारा बनती है, क्योंकि आरोपितों ने आबकारी विभाग के नाम के पर्चे, ढक्कनों व ब्रांडेड कंपनियों के नाम के नकली स्लिप का उपयोग किया है।
प्रदेश में जहरीली शराब से बीते 9 महीने में सरकार के एक हजार करोड़ रु. डूब गए हैं। आबकारी विभाग, पुलिस और स्थानीय नेताओं के गठजोड़ से अवैध शराब का सिंडीकेट खड़ा हो गया है। इसकी वजह से वैध शराब के बराबर ही अवैध शराब बिक रही है। पिछले महीने मप्र देसी-विदेशी मदिरा व्यवसायी एसोसिएशन ने 17 दिसंबर और 22 दिसंबर को मुख्यमंत्री को दो पत्र लिखे थे। इसमें अवैध शराब से एक हजार करोड़ रुपए की कर चोरी का जिक्र था। लेकिन, इस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। वैध शराब से सरकार को सालाना 6 हजार करोड़ रु. राजस्व मिलता है।
ठेकेदार शराब की पर्ची कटाने के बाद 40% माल कम उठाते है, जिससे वेट पर ही 600 करोड़ का घाटा हुआ है। मुरैना में जिस शराब के पीने से लोगों की जानें गईं, उसमें इंडस्ट्रियल स्प्रिट और उसे फाड़ने के लिए सस्ते जहरीले केमिकल का इस्तेमाल किए जाने की संभावना है। यह स्प्रिट मुरैना में हरियाणा व राजस्थान से केमिकल के नाम से आता है।ढाबों पर और ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध शराब, कच्ची शराब, स्प्रिट से बनी शराब, राजनीतिक संरक्षण प्राप्त लोगों के कहने पर चलने वाले माफियाओं से रिश्तेदारों से अवैध शराब का कारोबार किया जाता है।