दिव्य विचार: दिशा बदलिए, दशा बदल जाएगी- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

दिव्य विचार: दिशा बदलिए, दशा बदल जाएगी- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

मुनिश्री प्रमाण सागर जी कहते हैं कि ये इन्द्रियों का समूह बड़ा बलवान है जो अच्छे-अच्छे विद्वानों को व्यास जैसे विद्वानों को भी प्रभावित कर देता है। कहते हैं वह युवती कोई और नहीं स्वयं सरस्वती थी जो व्यास जी के भ्रम को मिटाने के लिए प्रकट हुई थी। उन्हें बोध हो गया अपनी अज्ञानता का और सूत्र में किया गया संशोधन उन्होंने वापस ले लिया। अच्छे-अच्छे ज्ञानियों को भी इन्द्रियासक्ति भटका देती है। इसलिए अपनी इस दिशा को बदलिए आपकी दशा बदल जाएगी। जो इन्द्रिय विषयों की दिशा में बढ़ते गए हैं वे भटके हैं और दुखी हुए हैं तथा जिन्होंने इन्द्रियों को सही दिशा दी, मन को सही दिशा दी वे सम्हले हैं और सुखी हुए हैं। क्या चाहते हो भटकना और दुखी होना अथवा सम्हलना और सुखी होना। सम्हलना और सुखी होना चाहते हो तो आज से डायरेक्शन चैन्ज कर दो (दिशा बदल दो) और ये तय कर लो कि मैं अब इन्द्रिय-विषयों का रास्ता स्वीकार नहीं करूँगा। न तुम दिशा बदलना चाहते हो और न दशा सुधारना चाहते हो। तुम तो बस अपनी दशा पर रोना जरूर जानते हो। दिशा बदलना नहीं चाहते, दशा सुधारना नहीं चाहते बस रात दिन अपनी दशा का रोना रोते हो। हे महाराज ! आशीर्वाद दे दो बहुत दुखी हूँ। किसी के आशीर्वाद से कोई भी सुखी नहीं होता। सुखी होने के लिए तुम्हें खुद अपनी आत्मा को जगाना होगा। आत्मा को जगाओ, आध्यात्मिक दिशा में बढ़ना शुरु करो तब कहीं जाकर अपने जीवन में कुछ सार्थक उपलब्धि घटित कर सकोगे। इन्द्रिय-विषयों की स्थिति बहुत भयानक है। शास्त्रकारों ने कहा कि हाथी जैसा बलशाली प्राणी भी अपनी स्पर्शन- इन्द्रिय के व्यामोह में अपना सर्वनाश कर लेता है, मछली रसना इन्द्रिय की चाहत में अपना सत्यानाश कराती है, भौंरा घ्राण इन्द्रिय की चाह में अपना विनाश करता है, पतंगा या चमरी गाय अपनी नेत्र इन्द्रिय की चाह में; रूप की चाह में अपना सर्वनाश करती है और हिरन कर्ण इन्द्रिय के विषय में आसक्त होकर अपना विनाश करता है। ये पाँचों प्राणी एक-एक इन्द्रिय के विषय के कारण अपना विनाश करते है तो जो पाँचों इन्द्रियों का दास है उसका क्या हाल होगा विचार करो।