दिव्य विचार: गलत रास्ते पर जाने से अपने को बचाएं- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज
मुनिश्री प्रमाण सागर जी कहते हैं कि पाँच इन्द्रियों के विषयों ने आज तक कभी किसी को तृप्त नहीं किया। जैसे कोई खाज खुजाकर अपनी खाज मिटाना चाहता है तो क्या खुजाने से आज तक किसी की खाज मिटी है? खुजाने से खाज नहीं मिटती। जाते वक्त थोड़ी देर की राहत जरूर महसूस होती है। लेकिन बाद में उतनी ही तीव्र जलन होती है। ये अभ्यस्त विषय है। इसलिए जब भी खाज उठती है तो कोई भी समझदार व्यक्ति खाज खुजाता नहीं उस पर कोई लोशन या मरहम लगा लेता है ताकि खाज खत्म हो जाए। सन्त कहते हैं ध्यान रखो पंच इन्द्रिय-विषयों की खाज जब भी उठे उसे खुजाकर शांत नहीं किया जा सकता। उस खाज से मुक्त होना चाहते हो तो उस पर भेद-विज्ञान की मरहम लगा दो. वैराग्य का लोशन चढ़ा दो, खाज मिट जाएगी। आज तक का इतिहास है इन्द्रिय विषयों की दिशा में जो भी गया है वह भटका है। बड़े-बड़े विद्वानों ने भी इन पंच इन्द्रियों के विषयों के चक्कर में फंसकर अपना सर्वनाश किया है, सत्यानाश किया है। इसलिए अपने आप को सम्हालो और इस गलत डायरेक्शन (दिशा) से अपने आपको बचाने की कोशिश करो तब कहीं जाकर तुम अपने जीवन को सफल और सार्थक बना सकोगे। इन्द्रिय चेतना हमारे चित्त को बहिर्मुखी बनाती है। बहिर्मुखी दृष्टि हमें विषयों में आसक्त बना देती है और ये आसक्ति हमें आतुर बनाती है। आसक्ति, आतुरता, अतृप्ति और अधीरता - ये ही पंच-इन्द्रिय विषयों की निष्पत्तियाँ हैं। किसी भी विषय पर एक बार व्यक्ति का मन आसक्त हो जाए फिर वह उसे प्राप्त करने के लिए एकदम आतुर हो जाता है। और प्राप्त कर ले तो उसे भोगने के लिए अंदर में अभीरता, एकदम उतावलापन आता है और फिर कभी उसे तृप्ति नहीं होती। अच्छे-अच्छे ज्ञानियों के साथ भी ऐसा घटित हुआ। इन्द्रियों का समूह बड़ा बलवान है ये अविद्वानों को दुखी करता है।