कमिश्नर के आदेश को दबा गए जिला शिक्षा समन्वयक
रीवा | सिरमौर जनपद शिक्षा केंद्र में पदस्थ बीआरसीसी सुधीर साकेत के खिलाफ कांग्रेस नेता सिद्धनाथ पांडे की शिकायत पर आयुक्त रीवा संभाग द्वारा संयुक्त संचालक लोक शिक्षण रीवा संभाग से जांच कराई गई। जिसमें जांच दल ने अपना निष्कर्ष देते हुए सुधीर साकेत को वित्तीय अनियमितताओं का दोषी मानते हुए वित्तीय नियंत्रण से मुक्त रखने के लिए स्पष्ट रूप से प्रतिवेदन दिया था।
संयुक्त संचालक से प्राप्त प्रतिवेदन पर आयुक्त रीवा संभाग द्वारा पत्र क्रमांक 3473 दिनांक 24 सितंबर 2020 द्वारा कलेक्टर रीवा को पत्र लिखकर प्रतिवेदन के आधार पर प्रकरण का निराकरण करने का निर्देश दिया था। कलेक्टर रीवा ने उक्त पत्र को डीपीसी को मार्क करते हुए अभिमत सहित प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। जिस पर पिछले 3 महीने में डीपीसी द्वारा अपने कार्यालय की अलग-अलग शाखाओं में फाइल को घुमाते हुए न सिर्फ उल जलूल टिप्पणियां ली गई बल्कि आरोपी बीआरसीसी से असंबद्ध दस्तावेज प्राप्त कर गलत तरीके से प्रकरण में लिखा पढ़ी की गई।
शिकायतकर्ता ने डीपीसी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यह अत्यंत खेद का विषय है कि प्रथम दृष्टया तो जांच होने में 10 महीने लगभग का समय लग गया और जांच प्रतिवेदन प्राप्त होने पर कमिश्नर द्वारा आदेश करने के बावजूद डीपीसी रीवा द्वारा अपने कार्यालय में फाइल को सुनवाई एवं साक्ष्यों के नाम पर रखने एवं फाइल घुमाते रहने का काम किया और कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत ही नहीं किया।
श्री पांडे ने बताया कि वह इस संबंध में संभाग आयुक्त एवं कलेक्टर से एक बार मिलकर अपनी बात भी रख चुके हैं। लेकिन इसके बावजूद डीपीसी की मनमानी के कारण आज तक फाइल कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत नहीं हो सकी है और आरोपी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई है।
कथित फर्जी फर्मों को चेक देने का है मामला
बीआरसीसी साकेत पर आरोप है कि उन्होंने अपने कार्यालय से कुछ ऐसे भुगतान किए थे जिनके बिल ही कार्यालय को प्राप्त नहीं हुए थे। इसके अलावा सिरमौर में कुछ फर्जी फलों के नाम पर बिल को कंप्यूटर से टाइप कर फर्जी भुगतान किए गए एवं उनका आहरण अपने पक्ष में कर लिया गया।
हाईकोर्ट से डिसमिस हो चुकी है याचिका
बीआरसीसी साकेत को तत्कालीन कलेक्टर द्वारा दिसंबर 2019 में 3 साल से ज्यादा की अवधि पूर्ण होने पर वापस कर दिया गया था। जिस पर बीआरसी द्वारा कोर्ट में याचिका लगाई गई थी। श्री पाण्डेय ने बताया की माननीय उच्च न्यायालय द्वारा श्री साकेत की याचिका डिसमिस कर दी गई है तथा उनके सारे लाभ समाप्त कर दिए गए हैं जिसका आदेश 10 दिसंबर 2020 को माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पारित किया गया है। गौरतलब है कि तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी रीवा द्वारा मई 2020 में गलत तरीके से कोर्ट का हवाला देकर सुधीर साकेत को चुपचाप बीआरसीसी पद पर बैठा दिया गया था।
डीपीसी की बढ़ सकती हैं मुश्किलें
यदि इस फाइल पर कमिश्नर या कलेक्टर द्वारा संज्ञान लिया गया तो डीपीसी अपने गलत बयानी और लिखा पढ़ी के लिए मुश्किलों में फंस सकते हैं। राज्य शिक्षा केंद्र से प्रतिनियुक्ति पर आए डीपीसी को उनके कार्यालय के लोगों ने गुमराह कर बुरी परिस्थिति में डाल दिया है। श्री पाण्डेय ने कहा कि यदि इस पर तत्काल कार्यवाही नहीं हुई तो वे उग्र रूप से अपनी बात मनवाने के लिए बाध्य होंगे।