बरगी पर चर्चा: बगल के कमरे में बैठे रहे मंत्री पर समिति के सदस्यों से नहीं की मुलाकात

सतना | सत्तारूढ़ दल भाजपा हो या मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस अमूमन सभी राजनैतिक दल किसान हितैषी होने का दावा करते हैं लेकिन जब किसानों के लिए कुछ कर गुजरने की बात आती है तो सबके अपने - अपने स्वर्थ आड़े आ जाते हैं। कुछ यही हाल नर्मदा का पानी सतना लाने के मामले में हो रहा है। इस मसले पर सबसे दुर्भाग्यपूर्ण पहलू तो यह है कि जिले के किसानों के लिए एक तरह से जीवन रेखा नर्मदा के पानी को सतना लाने की अगुवाई जिन मंत्री महोदय को करनी चाहिए वे स्वयं इस संघर्ष में विंध्यवासियों के साथ आने में कतराते नजर आए ।

 हालत यह रही कि रविवार को वे नर्मदा लाओ संघर्ष समिति के सदस्यों से रूबरू होने से बचते रहे। मंत्री रामखेलावन पटेल सर्किट में मौजूद रहे लेकिन ठीक बगल के ही कमरे नर्मदा का पानी सतना कैसे आए इस पर परिचर्चा के लिए मौजूद नर्मदा लाओ संघर्ष समिति के सदस्यों से मिलने की जहमत उन्होने नहीं उठाई ।  

बताया जा रहा है कि इस परिचर्चा में भाग लेने के लिए जिले के अन्य जनप्रतिनिधियों के अलावा मंत्री रामखेलावन पटेल को भी आमंत्रित किया गया था और उन्होंने इसके लिए दस बजे का समय भी दिया था। इस बीच नर्मदा का पानी सतना लाने के लिए भागीरथी प्रयास कर रहे पूर्व विधायक रामप्रताप सिंह ने दावा किया है कि बरगी पर चर्चा के लिए जिले के सभी जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया था। शायद इससे जरूरी काम जनप्रतिनिधियों के पास आ गया होगा इस वजह से वे इसमें नहीं शामिल हो पाए। हो सकता है 20 जनवरी को आयोजित महापंचायत में शामिल हो। मुख्यमंत्री,पूर्व मुख्यमंत्री सहित विंध्य के सभी दलों के नेताओं को महापंचायत में आमंत्रित करूंगा।

ये रहे मौजूद
नर्मदा का पानी सतना कैसे लाया जाए इस पर चर्चा के लिए आयोजित बैठक में पूर्व विधायक रामप्रताप सिंह, कांग्रेस के जिला अध्यक्ष दिलीप मिश्रा, मंडी अध्यक्ष जगदीश सिंह,सुरेन्द्र शर्मा, किसान मोर्चा के जिला अध्यक्ष इंद्रजीत पाठक, संभागीय अध्यक्ष दिलीप सिंह, प्रदीप समदरिया एवं विक्रांत त्रिपाठी सहित  नर्मदा लाओ संघर्ष समिति के लोग मौजूद रहे। 

... तो क्या दबाव में थे या सवालों के नहीं थे जबाव
नर्मदा का पानी सतना लाने के लिए आयोजित परिचर्चा में भाग लेने के लिए जिले के सभी जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया था। इसके बावजूद चाहे सत्तारूढ़ दल से जुड़ा जनप्रतिनिधि हो या फिर विपक्ष से जुड़ा कोई भी जनप्रतिनिधि परिचर्चा में भाग लेने नहीं पहुंचा। किसानों के हितों से जुड़ी परिचर्चा से जनप्रतिनिधियों की दूरी से दो सवाल उठकर सामने आए पहला यह कि क्या जनप्रतिनिधि किसी दबाव में थे या फिर नर्मदा लाओ संघर्ष समिति के संभावित सवालों के जबाव उनके पास नहीं थे। 

12 सालों में 6 बार बढ़ी समय-सीमा अब 2023 में कैसे आएगा पानी?
नर्मदा लाओ संघर्ष समिति के बैनर तले नर्मदा का पानी सतना लाने के लिए नए सिरे से शुरू किए गए संघर्ष के बीच सरकार भी इस मुद्दे पर सक्रिय होती नजर आ रही है। बताया जाता है कि आगामी 18 जनवरी को बरगी के मुद्दे पर भोपाल में एक बैठक भी आयोजित की गई है। प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने हर हाल में 2023 तक नर्मदा जल विंध्य में लाने की अपनी कटिबद्ध दिखाई है।

अब सवाल यह है कि आखिर किस फार्मूले के तहत सरकार व सत्तारूढ से जुड़े जनप्रतिनिधियों द्वारा नर्मदा का पानी सतना लाने का दावा किया जा रहा है, जबकि पिछले 12 सालों में 6 बार नर्मदा का पानी सतना आने की समय - सीमा सीएम, विभागीय मंत्री और अन्य जनप्रतिनिधि पहले भी दे चुके हैं लेकिन इस दौरान पानी नहीं आया ऐसे में अब इन पर कैसे भरोसा किया जाए। गौरतलब है कि पहली बार 2011 में टनल बनने, फिर 2012, तीसरी बार 2013, चौथी बार जून 2016, पांचवीं बार दिसम्बर 2018 और छठवीं बार 2019 में नर्मदा का पानी सतना लाने का दावा किया गया था और अब इस समय सीमा को तीन साल और बढ़ाकर 2023 कर दी गई है।