डायबिटीज का साइड इफेक्ट: कम उम्र के किशोरों में दृष्टि शक्ति हो रही कमजोर

रीवा | डायबिटीज के मरीजों में विटामिन डी तेजी से घट रहा है। समय से पहले वे अंधेपन का शिकार हो रहे हैं। महज 6 से 8 साल के भीतर ही उनके आंखों की रोशनी करीब-करीब चली जाती है। ऐसे में समय पर उपचार कराना आवश्यक है। रीवा जिले में डायबिटीज पीड़ित मरीजों की संख्या हजारों में है। गत वर्ष स्वास्थ्य विभाग द्वारा जुटाए गए आकड़ों में इनकी संख्या करीब 16 हजार थी।

खान पान व बदलते परिवेश ने लोगों को बीमारियों ने चपेट में ले लिया है। इसमें सबसे अधिक घातक बीमारी डायबिटीज बन कर उभर रही है। इस बीमारी के कई साइड इफेक्ट नजर आने लगे हैं। वर्तमान माहौल में करीब 30 फीसदी मरीजों में डायबिटीज की समस्या मिल रही है। ऐसे में उनके आंखों की रोशनी को बनाए रखना भी डॉक्टरों के लिए चुनौती बन चुका है। डायबिटीज के मरीजों पर ही श्यामशाह मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने एक अध्ययन किया था। जिसमें कई चौकाने वाले नए तथ्य सामने आए हैं। 

रिसर्च में डॉक्टरों को पता चला कि सामान्य व्यक्ति की तुलना में डायबिटीज से पीड़ित मरीज में विटामिन डी का स्तर तेजी से घटता है। इसी के कारण मरीजों में अंधत्व की समस्या औसत दिनों की तुलना में पहले ही सामने आ रहा है। अब इस समस्या से निपटने के लिए डायबिटीज के मरीजों को जांच के बाद विटामिन डी की भी दवाईयां उपलब्ध कराई जा रही है। 

शोध में सामने आए यह तथ्य
वैसे तो डायबिटीज के मरीजों की आंख की रोशनी जानी तय मानी जाती है, लेकिन विटामिन डी की कमी इसमें आग में घी का काम करती है। रिसर्च में पता चला है कि यदि मरीज डायबिटीज कंट्रोल करता है तो उसके आंखों की रोशनी जाने में 15 से 20 साल का समय भी लग जाता है। वहीं यदि डायबिटीज अनियंत्रित होती है तो 8 से 10 साल का समय लगता है। इन सब में यदि विटामिन डी कम हो जाए तो मरीजों की आंख की रोशनी सिर्फ 6 से 8 साल के कम समय में ही चली जाती है। 

तेजी से बढ़ रही मरीजों की संख्या
जिले में डायबिटीज पीड़ित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। गत वर्ष स्वास्थ्य विभाग ने जो आकड़े जुटाए थे, उसमें करीब 16 हजार मरीज डायबिटीज पीड़ित पाए गए थे। इनमें कम उम्र के किशोर भी शामिल थे। जिस तरह से इन मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही थी, इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि अब तक यह संख्या 20 हजार के करीब पहुंच गई होगी।व