केन्द्रीय विद्यालय की तर्ज पर शुरू होंगी सीएम राइज स्कूलें
रीवा | स्कूल शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए प्रदेश सरकार और स्कूल शिक्षा विभाग केन्द्रीय विद्यालय की तर्ज पर सीएम राइज स्कूल शुरू करने की योजना बना रही है। रीवा संभाग में सैकड़ों की संख्या में यह स्कूलें शुरू की जाएंगी। हिन्दी, अंग्रेजी दोनों माध्यम से संचालित होने वाली इन स्कूलों में विश्व स्तरीय सुविधाएं जैसे स्वीमिंग पुल, बैंकिंग काउंटर, डिजिटल स्टूडियो, कैफेटेरिया, जिम, थिंकिंग एरिया होंगी। खास बात यह है कि जहां इन स्कूलों का निर्माण होगा वहां से 15 से 20 किलोमीटर के दायरे में आने वाले बच्चे ही यहां पढ़ेंगे।
बताया गया है कि शासन स्तर से सीएम राइज स्कूल पर काम शुरू हो गया है। जिनमें संकुल केन्द्रों को अपने क्षेत्र की स्कूलों की सूची भेजकर एक संकुल से तीन-तीन स्कूलों का चयन करने के लिए कहा गया है। बताया गया है कि 2023 से सभी स्कूलों को शुरू करने का लक्ष्य लेकर विभाग चल रहा है। इस नीति में 15 से 20 किलोमीटर के दायरे में आने वाली पुरानी स्कूलों को मर्ज किया जाएगा।
20 किमी के दायरे में आने वाली सभी स्कूलें होंगी मर्ज
बताया गया है कि स्कूल का कैम्पस काफी बड़ा होगा। या यूं कहें कि 15 से 20 किलोमीटर तक फैला होगा। क्योंकि उस परिधि के अन्य सभी सरकारी स्कूलों को बंद करके सीएम राइज स्कूल से मर्ज कर दिया जाएगा। हालांकि जहां इस परिधि में इकलौता प्राइमरी, मिडिल एवं हाईस्कूल है वहां नई व्यवस्था पहले चरण के बाद लागू की जाएगी।
साइकिल वितरण होगा बंद
स्कूलों तक बच्चों को पहुंचने के लिए सरकार छठवीं से लेकर नवमीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को साइकिल बांटती है। इस योजना को बंद करने पर शासन विचार कर रहा है। गौरतलब है कि कोविड काल में इस शैक्षणिक सत्र अब तक साइकिलें नहीं बांटी गई हैं। बताया गया है कि सरकार को इससे करोड़ों रुपए की बचत होगी। जिस मद का इस्तेमाल करते हुए बेहतर ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था की जाएगी और स्कूली छात्रों को घर से लाने और ले जाने की नि:शुल्क सुविधा होगी।
चार स्तर पर बनेंगी स्कूलें
एमपी बोर्ड में पढ़ाई करने वाले छात्र सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड से पढ़ाई में मुकाबला कर सकें इसी लक्ष्य को लेकर सीएम राइज स्कूल का मॉडल तैयार किया गया है। जिस पर हर एक स्कूल के निर्माण में 20 करोड़ रुपए से अधिक का खर्च करना बताया गया है। पता चला है कि यह स्कूल चार स्तर में होगी। जिसमें संकुल के नीचे संकुल, ब्लाक और जिला पर तैयार होंगे। इस स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों को भी परीक्षा देनी होगी और उन्हें नियमित शिक्षकों की तुलना में अधिक वेतन मिलेगा।
यहां तक कि रहने के लिए मकान भी स्कूल में ही होगा ताकि शिक्षकों को आने-जाने में देरी न हो और समय पर कक्षाएं लगें। कुल मिलाकर शासन एक आधुनिक और बेहतर निजी स्कूलों की तर्ज पर स्कूलें खोलने का उद्देश्य लेकर चल रही है। देखना यह है कि यह योजना का सिर्फ खाका ही बनकर तैयार रह जाता है या दो साल बाद वास्तविकता में संभाग के अंदर ऐसी स्कूलों में बच्चों को पढ़ने का मौका मिलेगा।