टीआरएस के हॉस्टल में कृषि विभाग का कब्जा

रीवा | उच्च शिक्षा के विकास और छात्र हित का डंका बजाने वाले उच्च शिक्षा विभाग ने जिले के छात्र-छात्राओं को छात्रावास की सुविधा से वंचित रखा है। प्रति वर्ष आधा दर्जन महाविद्यालय खोलने वाले उच्च शिक्षा विभाग के विकास की दृष्टि ऐसी है कि जिले में सिर्फ एकमात्र छात्रावास है, जो जीडीसी कॉलेज में महिला छात्रावास के नाम से संचालित है। इसके अलावा शहर के नैक द्वारा ए ग्रेड प्रमाणित कॉलेज टीआरएस कॉलेज में छात्रावास निर्माणाधीन है। जिसका उपयोग अभी नहीं किया जा सकता।

गौरतलब है कि रीवा जिले में संभाग और संभाग से बाहर के करीब 20 हजार छात्र महाविद्यालय में पढ़ाई कर रहे हैं। जिन्हें यहां रहकर अध्ययन करने के लिए किराए के कमरे लेने पड़ रहे हैं। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए दूरदराज व दूसरे शहरों से रीवा पहुंचने वाले छात्र-छात्राओं के लिए यहां रहने की कोई सुविधा विभाग द्वारा नहीं दी गई है।

मजबूरन किराए के कमरों में मकान मालिकों को मनमानी पैसा देने के लिए छात्र बाध्य हैं। गौरतलब है कि जिले में करीब उच्च शिक्षा देने वाले 15 सरकारी महाविद्यालय हैं। ऐसे में हर कॉलेज में कम से कम एक महिला और एक बालक छात्रावास अनिवार्य रूप से होना चाहिए। यह बात और है कि अधिकांश महाविद्यालयों  के पास खुद के भवन ही नहीं हैं तो छात्रावास दूर की बात है।

कृषि विभाग ने डाला है डेरा
टीआरएस कॉलेज के पास रहे छात्रावास में कृषि विभाग का कब्जा है। जिसे बड़ी जद्दोजहद के बाद खाली कराया गया लेकिन समस्या जस की तस है। ऐसे ही मॉडल साइंस कॉलेज के छात्रावास में न्यू साइंस कॉलेज ने आधिपत्य जमाया हुआ है। लेकिन वह विद्यार्थियों के रहने के लिए उपयोग में नहीं आ रहा है। अधिकाधिक संख्या वाले टीआरएस कॉलेज में बाहरी छात्र-छात्राओं की संख्या बहुत है। इसीलिए टीआरएस कॉलेज में छात्रावास की आवश्यकता है। छात्रों का कहना है कि जीडीसी, माडल साइंस कॉलेज में छात्र-छात्राओं की संख्या को देखते हुए विभाग को हॉस्टल की व्यवस्था होनी चाहिए।