अनुदान घोटाला: लपेटे में अधिकारी, जांच करेंगे अधीनस्थ

रीवा | शिक्षा विभाग में अनुदान प्राप्त अशासकीय विद्यालयों के शिक्षकों के वेतन में करोड़ों के फर्जीवाड़े की लीपापोती के विभागीय प्रयास तेज कर दिए गए हैं। प्राइमाफेसी संलिप्तता के चलते लेखापाल अशोक शर्मा और लिपिक अखिलेश तिवारी के निलंबन के बाद उच्च अधिकारियों को बचाने जेडी कार्यालय हरकत में आ गया।

मंगलवार को संयुक्त संचालक लोक शिक्षण रीवा संभाग की पावर आॅफ अटार्नी बने टीपी सिंह ने 4 सदस्यीय जांच कमेटी का ऐलान कर दिया। हैरानी की बात यह है कि जिस घोटाले में सीधे तौर पर वर्तमान और पूर्ववर्ती डीईओ संलिप्त करोड़ों के इस घोटाले की जांच अधीनस्थ अधिकारियों को सौंपी जा रही है। स्पष्ट है कि संयुक्त संचालक रीवा संभाग कार्यालय डीई रामनरेश पटेल एवं पूर्व डीईओ अंजनी त्रिपाठी को बचाने शासन के नियमों का गला घोंटने पर आमादा हैं। 

ताक पर रखे गए नियम
म.प्र. शासन द्वारा वित्तीय अनियमितताओं की शिकायत के लिए बनाये गये नियमों को ताक पर रख दिया गया है। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी दिशा निर्देश में समस्त विभागाध्यक्ष, आयुक्त एवं जिला अध्यक्ष को कहा गया है कि जिस अधिकारी के विरूद्ध शिकायत या अनियमितता प्राप्त हुई हो उसकी जांच उसके उत्तराधिकारी व समकक्ष अधिकारी से न कराई जाए। ऐसे जांच कम से कम आरोपी अधिकारी से एक स्तर वरिष्ठ अधिकारी से कराई जाए।

यह गाइड लाइन तब जारी की गई थी तब आरोपी अधिकारियों को बचाने के लिए अधीनस्थों की जांच कमेटी बनाई जाती थी। जिनको दवाब में लेकर मनमाफिक प्रतिवेदन तैयार कराया जाता था। जेडी कार्यालय द्वारा शासन के दिशा निर्देशों की अवहेलना की गई है। जबकि संयुक्त संचालक लोक शिक्षण विभाग में डीईओ से उच्च स्तर पर 6 सहायक संचालक और दो डिप्टी डायरेक्टर एसएन पाण्डेय डीईओ सतना एवं निराव दीक्षित जेडी दफ्तर रीवा पदस्थ है। लेकिन प्रभारी जेडी मरावी का काम देख रहे टीपी सिंह ने नियमों को दरकिनार कर दिया। 

संयुक्त संचालक कार्यालय रीवा संभाग द्वारा अनुदान प्राप्त अशासकीय स्कूलों के शिक्षकों व अन्य कर्मचारियों के वेतन, एरियर बिलों के भुगतान में हुए करोड़ों रुपए के घोटाले की जांच टीम गठित की गई है। जांच टीम में गंगा उपाध्याय प्राचार्य उत्कृष्ट मार्तण्ड उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रं. 1 रीवा, ब्लाक शिक्षा अधिकारी नागौद उपेन्द्रमणि तिवारी, सतना जिला शिक्षा केन्द्र में पदस्थ एपीसी और जेडी दफ्तर के लेखापाल चन्द्रभान पटेल को जांचकर्ता नियुक्त किया गया है। हास्यास्पद पहलू यह है कि ये जांच अधिकारी जिला शिक्षा अधिकारी रामनरेश पटेल और पूर्व डीईओ अंजनी त्रिपाठी के कारनामों की जांच करेंगे। जिनके अधीन काम करते हैं। 

क्या है मामला
गौरतलब है कि 2018-19, 2019-20 वित्तीय वर्ष में जिले की अनुदान प्राप्त अशासकीय विद्यालयों में कार्यरत करीब 225 शिक्षक और गैर शिक्षक कर्मचारियों को वेतन और अन्य देयकों के भुगतान में डीईओ कार्यालय द्वारा करोड़ों रुपए का खेल किया गया। बताया जाता है कि पूर्व डीईओ अंजनी त्रिपाठी के कार्यकाल में करीब 57 लाख एवं रामनरेश पटेल के कार्यकाल में 13.67 लाख रुपए वास्तविक शिक्षकों एवं कर्मचारियों के खातों में भेजने की बजाय दीगर नामों से संचालित बैंक खातों में आहरित किया गया। मामले के पकड़ में आने के बाद करीब 71 लाख रुपए बाद में वास्तविक शिक्षकों को भुगतान कर दिया गया। कुल मिलाकर एक संस्था और शिक्षक के नाम पर शिक्षा विभाग से क्रमश: दो बार में डेढ़ करोड़ रुपए से अधिक की राशि खुर्द-बुर्द कर दी गई।

इसमें बड़े पैमाने पर स्कूल संचालक एवं जिला शिक्षा अधिकारी उनका अधीनस्थ स्टाफ लिप्त रहा है। प्रारंभिक तौर पर कलेक्टर डॉ. इलैया राजा टी ने लेखापाल अशोक शर्मा और अनुदान शाखा के लिपिक अखिलेश तिवारी ग्रेड -3 को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। अभी शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों के विरूद्ध जांच रिपोर्ट के बाद कार्रवाई होने अथवा न होने की बात प्रशासनिक स्तर पर कही जा रही है। जबकि इसमें लिप्त गैर विभागीय व्यक्तियों का नाम और उनके खातों में भेजी गई राशि का खुलासा होना शेष है। इस घपले में बीएड कॉलेज में प्रशिक्षणार्थी शिक्षक का भी नाम सामने आ रहा है। 

रामनरेश के रहते कैसे होगी निष्पक्ष जांच
अनुदान प्राप्त अशासकीय स्कूलों के शिक्षकों के नाम पर करीब डेढ़ करोड़ के घपले की जांच के लिए संस्थित टीम की निष्पक्षता को लेकर सवाल खड़े हो गए है। इस घोटाले में संलिप्त जिला शिक्षा अधिकारी रामनरेश पटेल की मौजूदगी में अधीनस्थ अधिकारी उनके और पूर्व डीईओ अंजनी त्रिपाठी के कारनामों की असलियत निकाल पायेंगे इसके आसार नहीं है। जब तक बतौर डीईओ श्री पटेल यहां मौजूद रहेंगे जांच टीम को प्रभावित करने से रोकने की कोशिश से इनकार नहीं किया जा सकता है। श्री पटेल घोटाले के खुलासे के बाद भागकर भोपाल पहुंच गए है। दरअसल उनके बचाव का दरोमदार पूर्व सीएम के निजी सचिव रहे बृजेश पटेल और मऊगंज विधायक पर टिका है। बृजेश पटेल डीईओ रामनरेश पटेल के रिश्ते में साले है।