दिव्य विचार: अच्छे कार्य की प्रशंसा भी करें- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज
मुनिश्री प्रमाण सागर जी कहते हैं कि कोई सामान्य हैसियत का व्यक्ति यदि तुम्हारे प्रति बहुमान व्यक्त करता है तो तुम उसका सत्कार करते हो या उपेक्षा? अपने मन से पूछना है, इतनी जल्दी में जवाब नहीं देना आज से ये सीख लो कि मैं हर किसी के प्रति अच्छे व्यवहार में अच्छा प्रतिभाव प्रकट करूंगा। आप एक बात बताइए, आपने कोई उपलब्धि अर्जित की हो और इस उपलब्धि को सुनकर अगर आपका अपना कोई व्यक्ति, दुनिया तो आपकी प्रशंसा कर रही है और आपका अपना व्यक्ति आपके लिए एक शब्द भी नहीं बोल रहा है, आपके मन में क्या प्रतिक्रिया होगी? दुःख होगा न? आपने कोई अच्छा कार्य किया और सामने वाले ने उसे आपके कहने के पहले ही सुनते ही आपके प्रति आपको बधाई देना शुरु किया, आपकी प्रशंसा करना शुरु कर दिया, आपके मन में उसके प्रति क्या भाव होगा? आप उसे अपना शुभचिन्तक मानोगे, आपके अन्दर की प्रसन्नता बढ़ेगी और उसकी प्रेरणा और प्रोत्साहन से आप अपनी योग्यता का भी विकास करोगे। यह सब चीजें एक साथ जुड़ी हुई हैं। मैं आप सबसे यही कहना चाहता हूँ- जो स्थिति तुम्हारे साथ है, वही स्थिति औरों के साथ है। यदि कोई दूसरा अच्छा करे तो तुम उसके प्रति अच्छा प्रति- भाव प्रकट करने में कोई कसर मत रखो। उसकी प्रशंसा करो, उसको धन्यवाद दो, उसको उत्साहित करो, उसके प्रति आभार व्यक्त करो, यह प्रति-भाव होना चाहिए। लेकिन मैं क्या कहूँ, औरों की बात तो जाने दीजिए, कई-कई बार ऐसा देखने में आता है कि पिता बेटे से कुछ कह रहे हैं और बेटा उसे अनसुना करके जा रहा है। आजकल के छोकरों के साथ यह स्थितियाँ हो रही हैं। बेटा अपने आपको बाप से बड़ा मानना शुरु कर देता है, उसे लगता है कि मैं पढ़-लिख गया हूँ, मेरे बाप को तो कुछ आता ही नहीं, वह कुछ जानते ही नहीं।