आचार्य विद्यासागर की स्मृति में राजधानी में बनेगा स्मृति स्थल

आचार्य विद्यासागर की स्मृति में राजधानी में बनेगा स्मृति स्थल

मुख्यमंत्री ने की घोषणा, आचार्य के जीवन पर आधारित 25 पुस्तकों का किया विमोचन
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महामुनिराज की स्मृति में भोपाल में स्मृति स्थल विकसित किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने विद्यासागर महाराज के प्रथम समाधि स्मृति दिवस पर विधानसभा परिसर में आयोजित गुरु गुणानुवाद सभा में गुरु वंदना कर अतिशय पुण्य अर्जित करने आए समर्पित भक्तों का राज्य शासन की ओर से अभिवादन किया।
गुणानुवाद सभा में मुख्यमंत्री ने संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलित किया तथा मुनि प्रमाण सागर महाराज का पाद प्रक्षालन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। मुख्यमंत्री ने आचार्य विद्यासागर महाराज के जीवन और कृतित्व पर आधारित 25 पुस्तकों का विमोचन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आचार्य विद्यासागर ने अपने जीवन में सभी आवश्यक नियमों का पालन किया। संत परंपरा का अनुसरण करते हुए उनके प्रकृति के साथ संबंध, जीवन शैली, मानव सेवा और समाज को मार्गदर्शन के माध्यम से वे अपने जीवन काल में ही देवता के रूप में स्वीकारे जाने लगे। व्यक्तिगत जीवन में तप, संयम, त्याग, सेवा, समर्पण जैसे शब्द उनके व्यक्तित्व के सम्मुख छोटे पड़ जाते हैं।
साक्षात देवता के समान प्रतीत होता है संतश्री का अलौकिक व्यक्तित्व
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें नेमावर में संतश्री के सानिध्य का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। साक्षात देवता के दर्शन के समान प्रतीत होता संतश्री का अलौकिक व्यक्तित्व जीवन को धन्य करने वाला था। जैन और सनातन दर्शन में आत्मा की भूमिका आवागमन की बताई गई है। यह माना जाता है कि वस्त्र बदलने के समान ही पवित्र आत्मा शरीर बदलती है। इस दृष्टि से यह मानना कि महाराज जी हमारे बीच नहीं है, व्यर्थ है। वास्तविकता यह है कि उन्हें स्मरण करने और मन की आंखों से देखने के क्षणिक प्रयास मात्र से ही आचार्य विद्यासागर के आस-पास होने की सहज अनुभूति होती है। उनके व्यवहार, स्वरूप और विचार के प्रभाव के परिणाम स्वरूप सभी व्यक्ति उन्हें अपना मानते थे। प्रदेशवासियों में संतश्री के प्रति इतने अपनत्व और आदर का भाव था कि यह किसी को अनुभूति ही नहीं होती थी कि वे कर्नाटक से हैं।
संतश्री ने जीवन के कई क्षेत्रों में समाज को दिशा दी
मुख्यमंत्री ने कहा कि आचार्य विद्यासागर ने अपनी इच्छा शक्ति से जीवन के कई क्षेत्रों में समाज को दिशा दी। स्वरोजगार के क्षेत्र में जेल से लेकर समाज में महिलाओं को रोजगार देने का मार्ग प्रशस्त किया। गौ-माता की भी उन्होंने चिंता की तथा गौ-माता के माध्यम से लोगों के जीवन और प्रकृति में बदलाव के लिए गतिविधियों को प्रोत्साहित किया। इसी प्रकार किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में की गई उनकी पहल अनुकरणीय है।
देश और समाज के प्रमुख आयोजन तिथियों के आधार पर हों
मुख्यमंत्री ने भारतीय संस्कृति में तिथियों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतीय काल गणना देश के प्राचीन ज्ञान, कौशल के बल पर स्थानीय ऋतुओं और परिस्थितियों के अनुसार विकसित हुई, जिस पर सभी को गर्व है। देश और समाज के प्रमुख आयोजन तिथियों के आधार पर होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महामुनिराज संत नहीं जीवित देवता हैं, उनका स्नेह, प्रेम, दुलार और आशीर्वाद सब पर बना रहे यही कामना है।