405 तालाबों का अस्तित्व समाप्त, कुछ में हो रही खेती तो कुछ में बन गई इमारतें

रीवा | पचास वर्ष पूर्व जहां जिले में जलाशयों की संख्या 12सौ से ऊपर थी, वहीं अब घटकर मात्र 5सौ हो गई है। इन आंकड़ों को देखने के बाद यह स्पष्ट हो जाता है कि लगातार तालाब, पोखरों को नष्ट करने की कवायद चलती रही। जो आज नक्शे में आधे से कम बचे हुए हैं। गर्मी के दिनों में लगातार घट रहे जलस्तर का भी कारण तालाब एवं पोखरों का समाप्त होना माना जा रहा है। हालांकि शासन द्वारा पानी रोकने के लिए कई योजनाएं शुरू की गर्इं जो मात्र फाइलों में दफन हो गई हैं।

गौरतलब है कि जिले में बहुतायत मात्रा में पाए जाने वाले तालाब एवं पोखरों के लगातार घटती संख्या यह बयान करती है कि प्रशासन द्वारा तालाबों के संरक्षण पर कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया। निजी एवं शासकीय तालाबों का भू-माफिया द्वारा स्वरूप ही बदल दिया गया। कुछ तालाबों में जहां खेती हो रही है वहीं कुछ तालाबों में इमारतें खड़ी कर दी गई हैं। सबसे अहम बात यह है कि जिले के शासकीय तालाबों को प्रशासन की लापरवाही से नष्ट किया गया और उसमें शासकीय भवन एवं कार्यालय बना दिए गए।

मलकपुर तालाब का अस्तित्व खतरे में
जिले के मनगवां बस्ती के बीचोंबीच बड़े जलाशय के रूप में मलकपुर तालाब बनाया गया था। जिसका पानी कभी सूखता नहीं था। प्रशासन की लापरवाही के चलते तालाब को नष्ट करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। यहां तक कि उस तालाब के अगोर में तहसील कार्यालय, आईटीआई, दूरसंचार आफिस खोल दिया गया है। इन शासकीय कार्यालयों के खुल जाने के बाद अब तालाब का रकबा आधे से भी कम बचा है। यहां तक कि कुछ भू-भाग में लोगों ने कब्जा कर अपनी इमारतें खड़ी कर लीं। इससे यह साफ जाहिर होता है कि अभी भी तालाबों के संरक्षण पर प्रशासन बेपरवाह बना हुआ है।

शहर के तालाब भी हुए गायब
शहर में तालाबों की संख्या जहां एक दर्जन से ज्यादा हुआ करती थी, आज वह सिमटकर मात्र पांच हो गई है। ऐसे में यह सहज ही आंकड़ा लगाया जा सकता है कि पुराने तालाबों को कितनी बेदर्दी से नष्ट किया गया है। शहर में रानीतालाब, रामसागर तालाब, चिरहुला तालाब एवं रघुराजसागर तालाब के अस्तित्व को अभी समाप्त नहीं किया जा सका है। जबकि शहर के सबसे बड़े ललपा तालाब, गोरहा तालाब एवं करहिया तालाब का पूरा वजूद ही समाप्त कर दिया गया। अब इन तालाबों के स्थान पर मात्र इमारतें दिख रही हैं।

सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के अनुसार किसी भी जलाशय के अस्तित्व के साथ छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। जिला प्रशासन भी इस ओर ध्यान दे रहा है। अगर कोई शिकायत आती है तो उसमें कार्रवाई की जाएगी।
फरहीन खान, एसडीएम रीवा