यूपीएससी की तर्ज पर भर्ती कैलेंडर बनाने के दिए निर्देश

मुख्य सचिव ने कहा कि भर्ती अभियान के बजाय इसे नियमित प्रक्रिया बनाया जाना चाहिए। इसके लिए सभी विभागों को रिक्त पदों की जानकारी नियमित रूप से भर्ती एजेंसियों (पीएससी और ईएसबी) को भेजनी होगी। इसके अलावा परीक्षा, परिणाम, और नियुक्ति को एक तय समय-सीमा में पूरा करना आवश्यक है। पीएससी की परीक्षाएं आमतौर पर दो साल या उससे अधिक समय में पूरी होती हैं। इसका उदाहरण है कि राज्य सेवा परीक्षा 2019 को पूरा होने में चार साल लगे, जबकि 2023 की मेन्स परीक्षा का रिजल्ट नौ महीने बाद भी लंबित है। इसके अलावा 2022 और 2023 की परीक्षाओं के परिणाम भी देरी से जारी होने की संभावना है। मुख्य सचिव ने अधिकारियों से कहा कि यदि आप तीन-तीन साल तक भर्ती प्रक्रिया का इंतजार करेंगे, तो यह न केवल युवाओं के लिए अनुचित है, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था के लिए भी हानिकारक है। उन्होंने भर्ती प्रक्रिया को तेजी से पूरा करने के लिए विभागों और एजेंसियों को समन्वित प्रयास करने का सुझाव दिया।
उल्लेखनीय है कि यूपीएससी सालाना परीक्षा कैलेंडर जारी करता है और निर्धारित समय-सीमा में प्रक्रिया पूरी करता है। मुख्य सचिव ने एक ऐसी ही भर्ती प्रक्रिया मॉडल प्रदेश में भी लागू करने को कहा है। मुख्य सचिव जैन ने भर्ती प्रक्रिया में देरी को लेकर गंभीरता दिखाते हुए सभी विभागों को समयबद्ध योजना बनाने का निर्देश दिया। अगर यह योजना सफल होती है, तो युवाओं को रोजगार के अवसर तेजी से उपलब्ध होंगे और प्रशासनिक कार्यों में भी सुगमता आएगी।