दो दशक पुरानी व्यवस्था बदली, दो सेक्शनों के ओआईसी बनाए
सतना। सर्व शिक्षा अभियान के जिम्मेदार विभाग में सालों बाद बदलाव किया गया है। यह परिवर्तन विभाग ने नहीं बल्कि स्थानीय स्तर से किए गए हैं जिसके चलते अंदरखाने हलचल मची हुई है। बिना प्रमुख चल रहे जिला शिक्षा केन्द्र के कामकाज को पटरी पर लाने की कवायद के बीच डीपीसी का प्रभार देख रहे जिला शिक्षा अधिकारी ने 19 साल से चली आ रही सरकारी व्यवस्था में परिवर्तन करते हुए दो सेक्शनों को जहां ओआईसी दिए हैं वहीं अन्य सेक्शनों को सहयोगी के रुप में आॅपरेटर।
जानकारी के मुताबिक जिला शिक्षा केन्द्र में अब तक स्थापना का कार्य लिपिक के भरोसे था जिसे संविदा के कर्मचारी रामजी पटनहा देख रहे थे अब इसमें ओआईसी के रुप में एपीसी सीएंडएम भूप सिंह को कामकाज दिया गया है। इस क्रम में सीएम हेल्पलाइन मानचित्रकार बृजेश श्रीवास्तव के भरोसे था इसके लिए एपीसी फाइनेंस मनीष प्रजापति को ओआईसी बनाया गया है। इसी तरह तकनीकी कर्मचारी प्रोग्रामर को बैठकों और एजेंडों का प्रभार सौंपा गया है।
अब तक इस काम को देखने वाला कोई भी कर्मचारी नियुक्त नहीं था। बताया गया है कि निर्माण में सहयोग के लिए संविदा आॅपरेटर प्रकाश केशरवानी तथा सूचना का अधिकार का कामकाज एकाउंटेंट पंकज अग्रवाल को सौंपा गया है। इन बदलावों के बीच सबसे ज्यादा चर्चा स्थापना और सीएम हेल्पलाइन को लेकर है। गौरतलब है कि सर्व शिक्षा अभियान 2001 में लागू हुआ था तब से स्थापना का कामकाज लिपिक ही देखते आ रहे हैं। ऐसा ही रोस्टर अन्य सरकारी विभागों में है लेकिन यहां करीब दो सालों से डीपीसी विहीन चल रहे जिला शिक्षा केन्द्र की चौपट व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए पहली बार आमूलचूल बदलाव किए गए हैं।
इधर वर्क लोड भी बढ़ाया
अधिकारियों की कमी से जूझ रहे जिला शिक्षा केन्द्र में दो अधिकारियों पर वर्कलोड भी बढ़ाया गया है। जानकारी अनुसार एपीसी जेंडर और एपीसी आईईडी के ऊपर और भी कामकाज लाद दिए गए हैं। इनके पास पहले से क्रमश: ईएंडआर और एकेडमी का प्रभार है। इन दोनों सहायक परियोजना समन्वयों को जो अतिरिक्त कार्य दिए हैं। वह राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा जारी जॉब चार्ट के इतर है। राज्य कार्यालय ने 17 सितम्बर 2012 को जारी आदेश क्रमांक राशिके/ नियु./2012/8917 में जॉब चार्ट दिया है। जो काम जेंडर और आईईडी को दिए गए हैं वह जॉब चार्ट अनुसार सहायक परियोजना समन्वयक कम्यूनिटी एंड मोबालाइजेशन के दायरे में आते हैं।
फिर से डिप्लोमाधारी एई
सहायक यंत्री की कुर्सी को रिक्त हुए 5 साल से ज्यादा का समय गुजर गया। कामकाज प्रभावित न हो तो उचेहरा के उपयंत्री विनायक तिवारी को प्रभार दे दिया गया था, लेकिन उनके कार्यप्रणाली को देखते हुए अब यह प्रभार राजकुमार पांडेय देखेंगे। बताया गया है कि इस बार भी डिप्लोमाधारी (पॉलीटेक्निक) इंजीनियर को सहायक यंत्री का प्रभार दिया गया है। श्री पांडेय और श्री तिवारी दोनों ही सहायक यंत्री की योग्यता नहीं रखते हैं। इस पद की योग्यता के लिए बैचलर आॅफ इंजीनियरिंग आवश्यक है। आपको बता दें कि अमरपाटन और नागौद के उपयंत्री बीई डिग्री धारी इंजीनियर हैं।