शौचालय व प्रसाधन विहीन संस्कृत कॉलेज

रीवा। शासकीय व्यंकट संस्कृत महाविद्यालय में प्रसाधन की सुविधा नहीं है। महाविद्यालय में एक अरसे से यह समस्या बनी है। यहां तक कि सरकार के स्वच्छ भारत अभियान के तहत भी महाविद्यालय में प्रसाधन या शौचालय की सुविधा नहीं बन सकी है। लिहाजा महाविद्यालय के विद्यार्थियों को हर दिन परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

सबसे ज्यादा बुरी स्थिति महाविद्यालय में पढ़ने वाली छात्राओं व कार्यरत महिला कर्मचारियों के लिए बनी हुई हैं। जिनके लिए महाविद्यालय में प्रसाधन या शौचालय की सुविधा नहीं है। गौरतलब है कि शहर में इस महाविद्यालय की स्थापना तकरीबन 140 वर्ष पहले हुई थी। शहर के प्राचीन शिक्षा संस्थान में शुमार इस महाविद्यालय की दुर्दशा पिछले काफी समय से है, जिसकी अनदेखी उच्च शिक्षा विभाग तो कर ही रहा है।

साथ ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का भी शिकार यह महाविद्यालय हुआ है। यही वजह हो सकती है कि महाविद्यालय में पढ़ने वाले सैकड़ा भर विद्यार्थियों को किसी तरह की मूलभूत सुविधा नहीं मिल रही है। बताते हैं कि महाविद्यालय में पुराने प्रसाधन की जो व्यवस्था रही, उसकी छत और दरवाजे उखड़ गए हैं। जिनका उपयोग करना अब सम्भव नहीं है। 

पेयजल की सुविधा भी नसीब नहीं
महाविद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को किसी तरह पेयजल सुविधा भी नसीब नहीं है। यहां पढ़ने आने वाले विद्यार्थी पानी की खोज में दर-दर भटकने को मजबूर होते हैं। इसके अलावा महाविद्यालय का बरसों पुराना पुस्तकालय गत वर्ष आई बाढ़ में डूब गई थी, जिससे अधिकांश कीमती व पुरानी पुस्तकें खराब हो गई हैं। जिनके बदले दूसरी किताबों की खरीदी के लिए विभाग ने कोई बजट महाविद्यालय को नहीं दिया है। 

अरसे से नहीं हुई जर्जर भवन की मरम्मत
बताया गया कि महाविद्यालय का भवन अति जर्जर हो चुका है, जिसकी मरम्मत के लिए कई दफा लोक निर्माण विभाग को लिखा गया लेकिन कभी पीडब्ल्यूडी के अधिकारी इस भवन की खबर लेने नहीं आए। काफी समय से रंग रोगन, पुताई न होने के कारण महाविद्यालय भवन की दीवारों में दीमक लगने लगी है।