भूमि-भवन न होने पर नैक ग्रेडिंग से वंचित हो रहे तीन दर्जन कॉलेज
रीवा | अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा विभाग कार्यालय अंतर्गत रीवा-शहडोल संभाग के ऐसे 33 कॉलेज हैं जो चाहकर भी नैक ग्रेडिंग का हिस्सा नहीं बन सकते। क्योंकि इन महाविद्यालयों के पास टू-एफ, 12बी की मान्यता नहीं है और यह मान्यता तभी मिल सकती है जब कॉलेज के पास बुनियादी जरूरत जैसे भूमि और भवन न हो। एक तरफ सरकार नए कॉलेज खोल रही है मगर पुराने कॉलेजों को किराए के कमरों में ही संचालित किया जा रहा है। जबकि कॉलेजों के प्राचार्यों को चाहिए वह अपने महाविद्यालय के लिए किसी सही जमीन की तलाश करें। जिला प्रशासन से उसे अपने नाम कराएं और भवन निर्माण के लिए क्षेत्रीय कार्यालय में अपील करें। मगर हाथ पर हाथ धरे बैठे प्राचार्यों से इतना भी नहीं हो पा रहा है।
मूलभूत सुविधाओं का अभाव
देखा जाए तो शासन एक तरफ कॉलेजों को मान्यता प्राप्त करने और नैक ग्रेडिंग कराने के लिए निर्देश जारी करता है और दूसरी तरफ महाविद्यालयों को भवन जैसी बुनियादी जरूरत से वंचित रखे हुए है। गौरतलब है कि कॉलेजों के पास स्वयं का भूमि, भवन, नियमित स्टाफ व अधोसंरचना न होने के कारण उन्हें टू एफ, 12बी की मान्यता नहीं मिल पा रही है। मगर सरकार ऐसे कॉलेजों को मूलभूत सुविधा देने की बजाय प्रति वर्ष नए महाविद्यालय खोलती जा रही है।
जिन्हें भी जमीन और भवन उपलब्ध नहीं कराया जा रहा। और न ही इन कॉलेजों में नियमित स्टाफ की नियुक्ति की जा रही है। जाहिर है कि उच्च शिक्षा विभाग कॉलेजों में शैक्षणिक गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा रहा है। बावजूद इसके कॉलेजों में नियमित स्टाफ, अच्छी व्यवस्था, भवन जैसी जरूरतों को पूरा नहीं किया जा रहा है। ऐसे में साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिस कॉलेज के पास स्वयं के भवन न हों और महाविद्यालय स्टाफ से वंचित हो वहां शैक्षणिक गुणवत्ता का विकास कैसे संभव है।
अनुदान से भी रह जाते हैं वंचित
मिली जानकारी के मुताबिक ऐसे कॉलेजों को यूजीसी की तरफ से आज तक किसी भी प्रकार का अनुदान नहीं प्राप्त हुआ है। क्योंकि उक्त कॉलेजों के पास टूएफ और 12बी की मान्यता नहीं है। इसीलिए यूजीसी महाविद्यालयों को आर्थिक मदद नहीं दे पा रहा है। वहीं राज्य शासन की तरफ से भी कॉलेजों को निर्देश के सिवाय कुछ नहीं मिलता।
विशेष प्रावधान में टम्प्रेरी मान्यता दे दी जाती है मगर ज्यादातर कॉलेजों के पास टू-एफ, 12बी की मान्यता नहीं है। जिससे वे नैक मूल्यांकन कराने की पात्रता नहीं रखते हैं।
डॉ. पंकज श्रीवास्तव, अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा विभाग