भाजयुमो के जिला अध्यक्ष ने फर्जी पता लिखा कर लिया रिवाल्वर का लाइसेंस

शहडोल। प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की 15 सालों तक सत्ता रही। इस दौरान नियम और कानून तो लागू रहे, लेकिन पार्टी के पदाधिकारी उसके दायरे से बाहर रहे। यही कारण है कि रिवाल्वर के लायसेंस जारी करने के मामले में पुलिस से लेकर राजस्व तक के अधिकारियों ने युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष अजय सिंह बघेल के हर झूठ को नजरंदाज किया।

नियमों से परे झूठे दस्तावेजों पर सच की मोहर लगा दी। दरअसल अजय सिंह ने रिवाल्वर के लायसेंस के लिए कलेक्टर कार्यालय में आवेदन किया था। इसकी प्रक्रिया को नियमों से हटकर पूरा किया गया।  गुरूवार को कांग्रेस के जिला महामंत्री प्रदीप सिंह द्वारा मामले को सोशल मीडिया में उठाया गया। प्रदीप ने बताया कि वे कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को दस्तावेजी शिकायत देकर लायसेंस रद्द करने और आपराधिक मामला कायम करने की मांग करेंगे।

यह किया अजय सिंह ने 
अजय पार्टी के प्रदेश में सत्ता में रहने के दौरान रिवाल्वर के लायसेंस के लिए शॉर्टकट का इस्तेमाल किया। अपने वास्तविक पते में हेरफेर कर पुलिस की आंखों में धूल झोंकी। उसने अपने पुलिस सत्यापन वाले दस्तावेज बुढ़ार की जगह शहडोल भिजवाए। आपराधिक रिकार्ड छुपाया। और राजस्व व पुलिस विभाग में लगातार दबाव बनाकर रिवाल्वर का लायसेंस ले लिया। 

सच बताते तो नहीं मिलता लायसेंस 
कांग्रेस नेता प्रदीप सिंह ने आरोप लगाया है कि अजय ने जानबूझकर सत्य को छुपाया। राजस्व और पुलिस अधिकारियों को भी सत्य की जानकारी थी। पर उन्होंने अजय सिंह का साथ दिया। आवेदन में जानबूझकर गलत व झूठी शपथ की गई है। जल्द ही कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक से लेकर गृह मंत्री मध्यप्रदेश शासन तक शिकायत की जाएगी। प्रक्रिया में अजय के साथ शामिल राजस्व और पुलिस के तत्कालीन अधिकारियों, कर्मचारियों के खिलाफ भी जांच होना चाहिए। 

यह कहते हैं कायदे 
शस्त्र का लायसेंस लेने के लिए आवेदक को आॅनलाईन कलेक्टर कार्यालय के लिए आवेदन देना होता है। जिसके बाद आवेदन राजस्व व पुलिस विभाग के पास सत्यापन व जानकारी के लिए जाता है। राजस्व विभाग चल-अचल संपत्ति के बाद व्यक्ति के मूलनिवास आदि का सत्यापन करता है। वहीं पुलिस विभाग व्यक्ति के आपराधिक रिकार्ड व स्वभाव को लेकर चरित्र प्रमाण पत्र आदि देता है। जिसके बाद यह दोनों रिपोर्ट कलेक्टर कार्यालय पहुंचती है। इनके आधार पर ही शस्त्र लायसेंस देने की प्रक्रिया आगे बढ़ती है। 

अजय पर आरोप 
युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष अजय सिंह बघेल ने सत्ता का दुरूपयोग करते हुए दोनों ही जांचों को प्रभावित किया। साथ ही राजस्व व पुलिस विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों को धोखाधड़ी में शामिल किया। आरोप हैं कि अजय सिंह बघेल तत् समय और वर्तमान में धनपुरी नगर पालिका के वार्ड नंबर 1 कालेज कालोनी के निवासी हैं।  लेकिन आवेदन में पता जानबूझकर शहडोल दर्शाया। इसके पीछे मूल कारण यह था कि अजय सिंह बघेल के संदर्भ में पुलिस वैरीफिकेशन की फाईल बुढ़ार थाने न जाकर शहडोल कोतवाली पहुंची।

चूंकि बुढ़ार थाने में अजय के खिलाफ आपराधिक मामला कायम हैं। जो वर्तमान में बुढ़ार सत्र न्यायालय में विचाराधीन है। इस मामले में फरियादी मोनू सिंह परिहार की शिकायत पर अजय सिंह बघेल, एकांत सिंह व राहुल सिंह पर भारतीय दण्ड विधान की धारा 323, 294, 506 और 326 के तहत वर्ष 2014 में अपराध कायम हुआ था। वर्तमान में प्रकरण माननीय न्यायालय में प्रकरण क्रमांक 243/14 में विचाराधीन हैं और 29 जनवरी को अगली सुनवाई भी है। 

यह काफी पुरानी बात है। पूर्व में मैं शहडोल में ही रहता था। इसलिए वहीं का पता दिया है। जानबूझकर तथ्य नहीं छुपाये गये हैं। 
अजय सिंह बघेल, जिला अध्यक्ष युवामोर्चा, शहडोल