अपने ट्रैकमैनों को सेल, प्राइवेट को टॉर्च दे रही रेलवे
सतना। एक ओर जहां ट्रैकमैनों पर रेलवे ने पेट्रोलिंग का दबाव बना रखा है वहीं दूसरी ओर उन्हे जरूरी संसाधन तक उपलब्ध नहीं करा पा रहा है। यही नहीं खुद के कर्मचारियों से ज्यादा प्राइवेट पर ध्यान दे रहा है। इस बात को लेकर पेट्रोलिंग करने वाले रेलकर्मियों में अंदर ही अंदर आक्रोश पनप रहा है।
मिसाल के तौर पर देखे रेलवे अपने ट्रैकमैनों को रात्रि गश्त के लिए टॉर्च तक नहीं उपलब्ध करा रहा है इसके एवज में उन्हे मात्र सेल देता है जबकि प्राइवेट ट्रैकमैनों को बकायदा टॉर्च और सेल तक देता है। गौरतलब है कि रात्रि गश्त को लेकर रेलवे इस समय सबसे ज्यादा संजीदा है। इसके बाद भी ट्रैकमैनों को सुविधाएं नहीं दे रहा है। यहां ट्रैक जंगल से होकर भी गुजरता है जहां रौशनी की ज्यादा जरूरत पड़ती है। ऐसे में भी टॉर्च के नाम पर रेलवे सेल ही उपलब्ध करा पा रहा है।
पहली बार मिली जैकेट
अब तक रेलवे ट्रैकमैनों को हर साल एक वर्दी और स्वेटर देता आ रहा है। यह वर्दी और स्वेटर कई बार गैप के बाद दी जाती रही है। ट्रैकमैनों की बातों पर भरोसा करें तो रेलवे ने पहली बार ठंडी से निपटने के लिए जैकेट दी है। इस जैकेट में सुरक्षा के लिए रेडियम लगा हुआ है जो दूर से आ रहे प्रकाश में चमकने लगता है। इससे ट्रैक पर काम कर रहा कर्मचारी दूर से ही समझ आ जाता है।
यूनिट में एक प्राइवेट बढ़ाया
उपेक्षा से आहत ट्रैकमैनों अब रेलवे को भरोसा भी नहीं रहा। इस बात का उदाहरण मझगवां-चितहरा सेक्शन में मिला। यहां टाइग्रेस के मूवमेंट को देखते हुए रेलवे ने पेट्रोलिंग और मजबूत कर दी है। बताया गया है ट्रैकमैनों की यूनिट में एक-एक प्राइवेट कर्मचारी और बढ़ा दिया गया है। एक यूनिट में अब तक 50-50 होता था लेकिन रेलवे ने प्राइवेट कर्मचारियों पर भरोसा जताते हुए अपने कर्मचारियों को इससे दूर कर दिया है।
ब्लॉक में पिट गई महाकौशल
सतना-मैहर रेलखण्ड के बीच पड़ने वाले बरही रेल फाटक में पौने 2 करोड़ की लागत से बन रहे अण्डरब्रिज का काम लगभग पूरा हो गया है। रविवार को ढाई घण्टे का ब्लॉक लेकर बाक्स डाले गए हैं। बताया गया कि गेट नंबर-379 में अण्डरब्रिज का काम 12 जनवरी से चल रहा था। ब्लॉक के दौरान अप गाड़ी संख्या 12190 महाकौशल एक्सप्रेस 1 घण्टे तक सतना स्टेशन पर खड़ी रही। वहीं 3 मालगाड़ियां भी प्रभावित हुई थीं। कार्य स्थल पर इंजीनियरिंग विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ब्लॉक खत्म होने तक जुटे रहे।