पदोन्नति की उम्मीद में रिटायर्ड हो गए प्रोफेसर

रीवा। सालों से पदोन्नति की उम्मीद लगाए हुए कॉलेजों के प्रोफेसर रिटायर्ड हो गए। मगर विभाग द्वारा वरिष्ठता सूची जारी नहीं की जा सकी। सरकारी कार्य प्रणाली की उदासीनता के चलते असल हकदारों को प्रमोशन का लाभ नहीं मिल पाया। वर्ष 2007-08 के बाद शासकीय कॉलेजों में पदस्थ प्राध्यापकों की वरिष्ठता सूची 26 अप्रैल 2019 को जारी की गई थी। जिसके अनुसार प्रोफेसरों को प्राचार्य पद पर पदोन्नति देनी थी। मगर पिछले एक साल से यह कार्रवाई अटकी रही। इधर जिन प्रोफेसरों को प्राचार्य बनना था वह रिटायर्ड हो गए।

सूची में दो सौ प्राध्यापकों के नाम शामिल
विभाग में धूल खा रही वरिष्ठता सूची में रीवा-शहडोल संभाग के 71 कॉलेजों के दो सौ प्राध्यापकों के नाम शामिल हैं। उच्च न्यायालय ने पिछले वर्ष 8 जनवरी को याचिका पर सुनवाई करते हुए प्राध्यापकों की पदोन्नति करने के आदेश जारी किए थे। एक वर्ष गुजर जाने के बाद भी विभाग की नींद नहीं खुल पाई।

हर दस साल में प्रमोशन का प्रावधान
उच्च शिक्षा विभाग की गाइड लाइन के अंतर्गत हर एक प्रोफेसर को एक दशक तक सेवा देने के बाद पदोन्नति मिलनी चाहिए। जिन प्रोफेसर्स का नाम वरिष्ठता सूची में शामिल है वह पिछले 30 से 35 साल से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। मगर उन्हें अब तक सिर्फ एक ही प्रमोशन मिल पाया। जो वर्ष 2006 में दिया गया था।

एरियर राशि मिलने की उम्मीद
ऐसे करीब 50 से अधिक प्रोफेसर रहे हैं जो विभाग की लापरवाही के कारण प्राचार्य पद पर पदोन्नत नहीं हो पाए। विभाग अपनी गलती सुधारने के लिए उन्हें वापस प्राचार्य तो नहीं बना सकता मगर पदोन्नति देकर पे-स्केल बढ़ाई जा सकती है। इस हिसाब से रिटायर्ड हो चुके प्रोफेसरों की एरियर राशि मिलने की उम्मीद है।

डायरेक्ट भर्ती करने की सुगबुगाहट
कॉलेजों में प्राचार्य वही प्रोफेसर बनते हैं जिन्हें प्रमोशन मिलता है। मात्र दस प्रतिशत भर्तियां ही डायरेक्ट होती हैं। रीवा संभाग के 71 कॉलेजों में एकाध महाविद्यालयों में ही नियमित प्राचार्य हैं बाकी सब प्रभार पर हैं। ऐसा माना जा रहा है कि कॉलेजों में पीएससी के जरिए प्राचार्यों की भर्ती की जाने की कवायदें की जा रही हैं। हालांकि यह मामला भी हाईकोर्ट से लटकने की उम्मीद है।

जो रिटायर्ड हो गए उन्हें लाभ मिलना मुश्किल है। वरिष्ठता सूची त्रुटिपूर्ण बनाई गई। दस सालों से उच्च शिक्षा विभाग वरिष्ठता सूची बनाने की कोशिश कर रहा है मगर बना नहीं पा रहा है। हर बार लिस्ट में कमियां निकल आती हैं। हाईकोर्ट ने प्रमोशन पर स्टे लगाया हुआ है। जिसका सबसे बड़ा असर उच्च शिक्षा में पड़ा है। कई ऐसे प्रोफेसर रहे हैं जिनको पदोन्नति मिलनी थी मगर वह रिटायर्ड हो गए।
डॉ. पंकज श्रीवास्तव, अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा