बरगी नहर: 28 जनवरी 2020 से रुका है काम, सुरंग खोदने की दोनों मशीनें बंद
सतना | जिस सुरंग के जरिए नर्मदा का पानी सतना आने के सपने दिखाए जा रहे हैं वह सुरंग बारह सालों में मात्र साढ़े पांच किमी ही अभी तक खुद पाई है। 2008 में वर्क आर्डर के बाद इसे तीन सालों के अंदर खोदना था लेकिन तीन सालों तक काम ही नहीं शुरू हो सका अप्रैल 2011 में जब काम शुरू हुआ तब से अब तक आधे से भी कम सुरंग खोदने का काम हो पाया है। एक जानकारी के मुताबिक स्लीमनाबाद में बन रही टनल को खोदने के काम लगी दोनों मशीनें फिलहाल बंद हैं। एक मशीन पिछले एक साल 28 जनवरी 2020 से बंद है तो दूसरी 21 दिसम्बर 2020 से।
बरगी संघर्ष समिति की बैठक आज, सांसद विधायक को आमंत्रण
बरगी संघर्ष समिति की एक बैठक आज सर्किट हाउस में आयोजित की गई है। पूर्व विधायक रामप्रताप सिंह के नेतृत्व में आयोजित होने वाली इस बैठक के लिए सांसद, विधायक के अलावा जिले के वरिष्ठ समाजसेवियों, जनप्रतिनिधियों व किसान प्रतिनिधियों को आंमत्रित किया गया है। रविवार को होने वाली बैठक में बरगी परियोजना को अतिशीघ्र पूरा करने की रूपरेखा बनाई जाएगी।
अपनों ने ही अन्नदाताओं से किया छल
बरगी बांध के दायीं तट से सिंचाई के लिए नर्मदा का पानी सतना- रीवा लाकर जिले के अन्नदाताओं को खुशहाली के सपने दिखाने वाले जनप्रतिनिधियों ने ही उन्हें ठगा है। खेतों में सिंचाई के लिए बरगी बांध दायीं तट से नर्मदा के पानी की आस लगाए बैठे विंध्य के किसान अपनों से ही ठगे गए। अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए हजारों किसानों के विश्वास को तोड़ा गया है। अब जबकि प्रदेश में एक बार फिर से किसान हितैषी होने का दावा करने वाली भाजपा सरकार है तो सतना- रीवा के किसानों को एक बार फिर से उम्मीद जागी है कि भाजपा के कार्यकाल में शायद उन्हें खेतों के लिए बरगी का पानी मिल जाए। बहरहाल किसानों का यह सपना कब पूरा होता है यह तो आने वाला समय बताएगा लेकिन यदि बरगी का पानी सतना- रीवा लाने की पहल ईमानदारी से की गई होती तो आज सतना- रीवा भी खेती के मामले में पंजाब बन गया होता।
एक तरफ यहां के खेतों को बाणसागर का पानी तो मिल ही रहा है दूसरी तरफ नर्मदा का पानी मिल जाता तो यह ‘सोने पे सोहागा’ होता। पर शायद हमारे जनप्रतिनिधियों को यह मंजूर नहीं था कि सतना- रीवा के अन्नदाता भी खुशहाल हों। अन्नदाताओंं के नाम पर सरकार ने कृषि कर्मण अवार्ड तो लिया, खेती को लाभ का धंधा बनाने का दावा तो किया लेकिन जिससे (बरगी के पानी) खेती लाभ का ध्ांधा बन सकती है उसे सतना- रीवा लाने के लिए ईमानदार पहल नहीं की। अब एक बार फिर नर्मदा का सतना - रीवा लाने की आमजन आन्दोलित हैं ऐसे में सरकार और उससे जुड़े जनप्रतिनिधियों से अन्नदाता को उम्मीद है। नर्मदा के पानी से सतना जिले के 855 व रीवा जिले के 30 गांवों की खेती को सिंचित करने का लक्ष्य रखा गया है। अकेले सतना में नर्मदा के पानी से 1 लाख 59 हजार 655 हेक्टेयर जमीन सिंचित किए जाने का लक्ष्य है।
पानी आया नहीं और दरक गई नहरें
सतना के सात ब्लाकों के 855 गांवों के किसान पिछले कई सालों से नर्मदा के पानी का इंतजार कर रहे हैं। जब से बरगी बांध बना है तब से नहरों के जरिए पानी लाने का प्रयास शुरू किया गया जो अनवरत जारी है। पर स्लीमनाबाद में टनल का काम पिछले बारह सालों से अधूरा होने की वजह से सतना पानी नहीं आ पा रहा है लेकिन पानी लाने के लिए बनाई गई नहरें जरूर पानी के इंतजार में दरक गईं हैं। मैहर, उचेहरा, नागौद एवं अमरपाटन क्षेत्र में नहर के निर्माण में भी जमकर भ्रष्टाचार किया गया है। यदि टनल का काम देर-सवेर पूर्ण हो भी जाता है तो किसानो के खेतों तक पानी पहुंचेगा इस पर संशय के बादल अभी से मंडराने लगे हैं। इसकी वजह यह है कि पानी लाने के लिए बनाई गई नहरें कई स्थानों पर दरक गई हैं।