चेंबर में लेटर वॉर: क्यों नहीं हुई विवेक के खिलाफ कार्रवाई
सतना | विंध्य चेम्बर से 84 सदस्यों के प्रवेश व सदस्यता शुल्क के 2 लाख 94 हजार तथा 91 सदस्यों के सदस्यता शुल्क के 72 हजार 8 सौ रुपये जमा न होने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। अब संस्था के एक पूर्व सदस्य ने लेटर बम फोड़ते हुए मामले के जिम्मेदार पूर्व अध्यक्ष विवेक अग्रवाल के खिलाफ कार्रवाई न होने पर इसके परिणाम पूरी कार्यकारिणी को भुगतने की चेतावनी दी गई है। पूर्व अध्यक्ष लखन अग्रवाल ने पूछा है कि जब आर्थिक गड़बड़ी के इस मामले में कार्यकारिणी ने सहमति दे दी और पूर्व अध्यक्षों की ओर से भी हरी झंडी दिखा दी गई थी तो लेट क्यों किया जा रहा है। उन्होंने अध्यक्ष और महामंत्री की नियत पर भी सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि यदि संस्था कार्रवाई नहीं करती और संस्था को आर्थिक क्षति हुई तो वे पूरी कार्यकारिणी के खिलाफ पुलिस का दरवाजा भी खटखटा सकते हैं।
ये है मामला
मतदाता सूची में गड़बड़ी सहित अन्य अनियमितताओं को लेकर संस्था में पहले भी हो हल्ला मचता रहा है पर सत्र सत्र 2018-20 के लिये द्वारिका गुप्ता की टीम के आने के बाद जब पूर्व अध्यक्ष लखन अग्रवाल ने जानकारी मांगनी शुरू की तब मामला खुलकर सामने आया। बताते हैं कि सत्र 2016-18 में चेम्बर की लेखा पुस्तकों के अनुसार इसी सत्र की मतदाता सूची में शामिल 84 सदस्यों के प्रवेश व सदस्यता शुल्क (3500 रुपये प्रति सदस्य) के 2 लाख 94 हजार तथा 91 सदस्यों के सदस्यता शुल्क 800 रुपये प्रति सदस्य 71 हजार 800 रुपये जमा नहीं पाए गये। कुल राशि 3 लाख 66 हजार 800 रुपये है।
इस मामले को लेकर संस्था द्वारा आधा दर्जन के करीब पत्र तत्कालीन अध्यक्ष विवेक अग्रवाल को कर्मचारियों व रजिस्टर्ड डॉक से भेजे गये पर कोई भी पत्र उनके द्वारा स्वीकार नहीं किया गया। इसके बाद पूर्व अध्यक्षों की सहमति के बाद बहरहाल शनिवार 16 जनवरी को संस्था कार्यकारिणी की सम्पन्न बैठक में सर्वसम्मति से श्री अग्रवाल से राशि जमा कराने के लिये पत्र लिखने और राशि जमा न होने पर उनको संस्था की सदस्यता से बाहर करने के साथ ही कानूनी कार्यवाही करने का फैसला लिया था। इसके बाद श्री अग्रवाल को इस मामले में मार्गदर्शन के लिये पत्र भेजा गया पर पूर्व की भांति यह पत्र भी वापस आ गया। तब से लेकर अब तक मामले में कोई पहल नहीं हुई।
दो माह से क्यों लटका है मामला?
पूर्व अध्यक्ष लखन अग्रवाल द्वारा 15 मार्च को संस्था अध्यक्ष व मंत्री को संबोधित पत्र 16 मार्च को संस्था कार्यालय पहुंचा है। इस पत्र में कहा गया है कि 3 लाख 66 हजार 800 रुपए की सदस्यता शुल्क की राशि लेखा पुस्तकों में इन्द्राज नहीं है। इस प्रकार संस्था को आर्थिक रूप से क्षति हुई है। इस विषय में चेम्बर के पूर्व अध्यक्षों द्वारा आपको मांगे जाने पर यह मार्गदर्शन भी 29 दिसंबर 2020 को दिया गया था कि संस्था हित व संवैधानिक दायरे को ध्यान में रखकर कार्यकारिणी द्वारा लिये गये निर्णय के आधार पर न्यायसंगत कार्यवाही करें। लेकिन अब तक दृष्टिगोचर नहीं हो रहा है कि वर्तमान कार्यकारिणी इस विषय में गंभीर है। क्या संस्था को हुई उपरोक्त क्षति की राशि वर्तमान कार्यकारिणी एवं पदाधिकारियों द्वारा क्षतिपूर्ति की जा रही है अथवा जिम्मेदार लोगों के खिलाफ वसूली की कोई कार्यवाही की जा रही है अथवा उक्त संबंध में कोई एफआईआर की गई है स्पष्ट नहीं हो रहा है ।
दो माह पहले कार्यकारिणी ने कार्रवाई का निर्णय लिया था। इसके पहले पूर्व अध्यक्ष इस मामले में कार्रवाई की सहमति दे चुके हैं। इसके बाद भी संस्था के अध्यक्ष, महामंत्री व कार्यकारिणी संबंधित के खिलाफ कार्रवाई से बच रहे हैं। यह संस्था के खिलाफ है। जरूरत पड़ी तो पूरी कार्यकारिणी के खिलाफ पुलिस में भी जाएंगे।
लखन अग्रवाल, पूर्व अध्यक्ष विंध्य चेम्बर
सत्र 2016-18 में सदस्यों के प्रवेश शुल्क एवं सदस्यता शुल्क की 3 लाख 66 हजार की राशि चेम्बर के रिकार्डों में जमा होना न पाये जाने पर पूर्व अध्यक्ष श्री अग्रवाल से कई बार इस विषय पर जानकारी व मार्गदर्शन चाहा गया पर लेकिन लेकिन उन्होंने हर पत्र वापस कर दिया।
द्वारिका गुप्ता, अध्यक्ष विन्ध्य चेंबर