उमा के विरोध के बाद नई शराब दुकानें खोलने का फैसला वापस

भोपाल | मध्यप्रदेश में शराब को लेकर छिड़े सियासी संग्राम व शराब की नई दुकानें खोलने के मुद्दे पर चौतरफा आलोचना के बाद शिवराज सरकार को झुकना पड़ा। शिवराज सरकार अपनों से घिरी नजर आ रही है। ज्ञात हो कि आबकारी आयुक्त राजीवचंद्र दुबे ने 21 जनवरी को सभी कलेक्टर्स को लिखे गए उस पत्र पर दूसरे ही दिन शुक्रवार को कार्रवाई नहीं करने के लिए कहा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि आप 20 फीसदी नई दुकानें खोलने के लिए प्रस्ताव भिजवाएं।

ये निर्णय शुक्रवार सुबह हुई मुख्यमंत्री की बैठक के बाद लिया गया। उक्त पत्र को निरस्त करने संबंधी आॅर्डर फिलहाल जारी नहीं हुआ है। सुबह 11 बजे मुख्यमंत्री ने उच्चस्तरीय बैठक बुलाई थी। शिवराज सिंह ने इस मामले में फिर बात दोहराई कि सरकार ने फिलहाल नई शराब दुकानों के बारे में निर्णय नहीं लिया है। इससे पहले गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने नई शराब दुकानों को खोलने के प्रस्ताव की बात कही थी। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने इसका विरोध शुरू कर दिया था। वहीं, विपक्ष ने भी सरकार के इस निर्णय को गलत बताया।  चौतरफा घिरने के बाद सरकार ने ये निर्णय लिया।

सियासत का ये कैसा चेहरा
बता दें कि शराब दुकानें बढ़ाने का फैसला बीते साल 6 जनवरी 2020 को तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने किया था और इस बारे में अधिसूचना जारी की थी, जब यह फैसला आया था, तब शिवराज सिंह ने विपक्ष के नेता के रूप में चिट्ठी लिखकर फैसले का विरोध किया था और कहा था कि हमने तो राज्य में शराब दुकानें घटाईं, आप इनकी संख्या बढ़ा रहे। शराब से बड़े पैमाने पर अपराध बढ़ेंगे और महिलाओं, बच्चों पर अत्याचार बढेगा।

अपने बयान पर कायम हैं नरोत्तम मिश्रा

गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने गुरुवार को एक बार फिर कहा था कि प्रदेश में अवैध शराब की बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए मैंने दुकानों की संख्या बढ़ाने की तर्क सम्मत बात सबके सामने रखी है। इस पर अंतिम निर्णय लेने का पूरा अधिकार मुख्यमंत्री जी को है। इस बारे में मतभेद जैसी कोई बात नहीं है।