लीडरशीप डेवलपमेंट प्रोग्राम बढ़ा रहा आदिवासी नेताओं में कटुता

भोपाल। प्रदेश कांग्रेस इन दिनों पार्टी से दूरी बना रहे आदिवासी मतदाता को साधने की कवायद कर रही है। इसके चलते पार्टी ने धार जिले के मोहनखेड़ा में लीडरशिप डेवलपमेंट प्रोग्राम रखते हुए 120 आदिवासी युवाओं को प्रशिक्षित करने की तैयारी की है। इस कार्यक्रम से नेता प्रतिपक्ष और आदिवासी चेहरा उमंग सिंघार ने अब तक दूरी बनाए रखी है। इसके पीछे कारण यह है कि पार्टी ने विक्रांत भूरिया को इस कार्यक्रम की जिम्मेदारी सौंपी है। उमंग के अलावा कुछ और आदिवासी नेता भी अब तक इस कार्यक्रम से किनारा किए हुए हैं।
कांग्रेस के लिए सरकार बनाने में अह्म भूमिका का निर्वाह करने वाले आदिवासी मतदाताओं ने पिछले दो चुनावों से कांग्रेस से दूरी बनाई है, जिसके चलते यह वर्ग पार्टी से छिटकता नजर आ रहा है। इसे साधने के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और आदिवासी विभाग के प्रमुख रामू टेकाम ने हाल ही में बैठक कर आदिवासी वर्ग के 120 चयनित युवाओं को धार जिले के मोहनखेड़ा में आदिवासी लीडरशिप डेवलपमेंट प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने का फैसला लिया। यह प्रशिक्षण 19 से 25 फरवरी तक दिया जाएगा, जिसकी कमान विधायक और हाल ही में आदिवासी विभाग के राश्टीय प्रमुख बनाए गए विक्रांत भूरिया को सौंपी। इसके बाद आदिवासी वर्ग के नेताओं खासकर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और उनके समर्थकों को यह बात रास नहीं आई। धार जिला उमंग सिंघार का गृह जिला माना जाता है, वहीं पर होने वाले इस कार्यक्रम में उनकी अनदेखी से वे खफा नजर आए। अब वे इस कार्यक्रम से दूरी बनाए हुए हैं। सिंघार इन दिनों बुंदेलखंड के दौरे पर हैं और कार्यक्रम से कन्नी काटते नजर आ रहे हैं।
आदिवासी विकास परिषद के चुनाव से शुरू हुआ विवाद
विक्रांत भूरिया और उमंग सिंघार के बीच वैसे तो देखा जाए तो करीब एक माह पहले आदिवासी विकास परिषद के अध्यक्ष के चुनाव के वक्त से विवाद की स्थिति बनी हुई है। उमंग सिंघार को परिषद की बैठक में जाने के लिए विक्रांत के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी रोका था, मगर वे दोनों को आश्वासन देने के बाद बैठक में पहुंचे और उन्हें अध्यक्ष बना दिया गया। इसके बाद विक्रांत ने मामले को दिल्ली में कांग्रेस नेताओं के सामने रखा। इसके बाद विक्रांत भूरिया को कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्तर की कमान सौंप दी थी। मगर यह विवाद अब भी शांत होता नजर नहीं आ रहा है। अब देखना यह है कि कांग्रेस के मोहनखेड़ा में होने वाले प्रशिक्षण शिविर में नेता प्रतिपक्ष और उनके समर्थक आदिवासी विधायक और नेता कितने सक्रिय नजर आते हैं।